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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपसाद्रं २१७ उपहरणं उपसाद्रं (नपुं० ) गृहोद्यान। (वीरो० ५/३७) उपसुन्दः (पु.) एक राक्षस, निकुम्भ का पुत्र। उपसुप्त (वि०) [उप+सुप्+क्त] सोया हुआ। 'सुखोपसुप्ता निशि पश्चिमायाम' उपसूर्यकं (नपु०) [उप. सूर्य कन्] सूर्यमण्डल, सूर्यपरिवेश। उपमृष्ट (भू० क० कृ०) [उप सृज्+क्त] १. संयुक्त, सम्मिश्रित, संयोग, मिश्रित किया। २. कष्टग्रस्त, अभिभूत, तिरस्कृत, क्षतिग्रस्त। ३. उपद्रव युक्त, उपसर्ग सहित। उपसृष्टः (पुं०) ग्रहण युक्त सूर्य या चन्द्र। उपसेकः (पुं०) [उप+सिच्+घञ्] सींचना, अभिषेक करना, सिंचन करना, छिड़कना, भींगना! उपसेचनं (नपुं०) अभिसिंचन, छिड़कना, भीगना। उपसेवनं (नपुं०) [उप+से+ल्युट्] १. उपासना, आराधना, सम्मान, पूजा, सेवा। २. आसिक्त होना, लिप्त होना। ३. उपयोग करना, काम लेना। उपस्करः (पुं०) [उप+कृ-अप्+ सुट्] १. अवयव, संघटक। २. सामान, वस्तु, उपकरण, (जयो० २२/३६) उपबन्ध, आवश्यक वस्तु। ३. अलंकरण, आभूषण।। उपस्करणं (नपुं०) [उप+कृ+ ल्युट्] १. अवयव संचय, संग्रह। २. वध करना, क्षत-विक्षत करना। ३. परिवर्तन, सुधार। उपस्कारः (पु०) [उप+कृ+घञ्] १. परिशिष्ट, अध्याहार। २ सुशोभित करना, अलंकृत करना, रमणीय बनाना। ३. अलंकरण, आभूषण। ४. आघात, प्रहार। उपस्कृत (भू० क० कृ०) [उप+कृ.क्त] १. तैयार किया हुआ, बनाया गया, निर्मित किया। २. संचित, संग्रहीत। ३. अलंकृत, विभूषित। ४. आभूषण, अलंकरण, ५. अध्याहत परिमार्जित। उपस्कृतिः (स्त्री०) [उप+कृ+क्तिन्] परिशिष्ट, अध्याहार, समावेश। उपस्तम्भः (पुं०) [उप+स्तम्भ+घञ्] १. आश्रय, आधार, सहायक प्रयोजन। २. प्रोत्साहन. अग्रणीकरण। उपस्तरणं (नपुं०) [उप+स्तृ+ ल्युट्] १. संक्तरण, बिछाना, फैलाना। २. चादर, बिस्तर। उपस्त्री (स्त्री०) विवाहित के अतिरिक्त रखी गई स्त्री, रखैल। उपस्थ: (पुं०) [उप+स्था क] १. अंक, गोद। २. मध्यभाग, पेडू। २. जननेन्द्रिय, योनि, कामेन्द्रिय (मुनि.३०) ४. गुदा। ५. कूल्हा। उप-स्था (अक०) उपस्थित होना, सम्मुख आना। 'उपतिष्ठामि द्वारि पश्य।' (सुद० ९४) उपतिष्ठतं (जयो० २।८) उपस्थानं (नपुं०) [उप+स्था ल्युट्] ०आराधना, पूजा, देवालय, मन्दिर। उपस्थापनं (नपुं०) [उप+स्था णिच्+ ल्युट्] १. पहुंचना, आना. दर्शन देना। २. पूजन, अर्चन, प्रार्थना, आराधना, उपासना। ३. प्रणम्यभाव, नमस्करण, प्रणाम, नमन। ४. स्मरण, स्मृति। ५. उपस्थिति, समीप्यता। उपस्थापय (अक०) उपस्थित होना, सन्निकट पहुंचना, दर्शन देना। उपस्थापयति (दयो०६०) उपस्थापित (भू० क० कृ०) [उप+स्था+णिच्+क्त] उपस्थित हुआ, सन्निकट पहुंचा। उपस्थायकः (पुं०) [उप-स्था+ण्वुल] सेवक, नौकर। उपस्थित (भू० क० कृ०) [उप+स्था+क्त] ०सन्निविष्ट, जात, सम्मुख आया। (जयो० वृ० ५/१७) (दयो० ५६) पुलिने चलनेन केवलं वलितग्रीवमुपस्थितो वक:।' (जयो० १३/६३) 'उपस्थितः सन्निष्टो बकः' (जयो० वृ० १३/६३) उपस्थितिः (स्त्री०) [उप+स्था+क्तिन्] १. विद्यमानता, समागमन, ०अवाप्ति प्राप्ति, रहना, निवास करना। (जयो० २/५७) २. स्मरण, ०स्मृति, प्रत्यास्मरण। ३. सेवा, परिचर्या। ४. सन्निकट जाना,०पहुंचना, ० उपस्थित रहना, सम्मुख होना। उपस्नेहः (पुं०) [उप+स्निह+घञ] आर्द्र होना, गीला होना. सरलता प्रकट करना। उपस्पर्शः (पुं०) [उप+स्पृश्+घञ्] १. सम्पर्क, साथ होना। २. स्पर्श करना, छूना, आलिंगन करना। ३. मार्जन करना, आचमन करना, कुल्ला करना। ४. प्रक्षालन, स्नान,संक्षालन। उपस्मृतिः (स्त्री०) स्मृति से लघु शास्त्र, लघु स्मृतिग्रन्थ/सिद्धान्त ग्रन्थ, संक्षिप्त आत्म-विशेषणात्मक ग्रन्थ। उपस्रवणं (नपुं०) [उप+ + ल्युट्] मासिकस्राव। उपस्वत्वं (नपुं०) राजस्व, भू-सम्पदा से प्राप्त सम्पत्ति। उपस्वेदः (पुं०) [उप+स्विद्+घञ्] पसीना, शरीर। उपहत (भू० क० कृ०) [उप+ हन्+क्त] १. व्यापन्न, पीड़ित, चोट ग्रस्थ हुआ, घायल, आघात युक्त। (जयो० १८/३०) २. आबद्ध, पराभूत, अभिभूत, घिरा हुआ। ३. उपेक्षित, निन्दनीय, प्रदूषित, अपवित्रता युक्त, कलुषित। उपहतक (वि०) [उपहत+कन्] भाग्यहीन, दुर्भाग्यशाली, हीन। उपहतिः (स्त्री०) [उप+हन्+क्तिन्] आघात, प्रहार, वध, हत्या। उपहरणं (नपुं०) [उप+ह+ ल्युट्] १. ग्रहण करना, लेना. For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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