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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उपदर्शकः २०९ उपधानाचारः उपदर्शकः (पुल) [ उप दृश-णिच एवल] १. मार्गदर्शक, | उपदेष्ट्ट (वि०) [उप+दिश्+तृच] प्रवचनकार, व्याख्याकार, निर्देशक। २. द्वारपाल, साक्षी। शिक्षणदाता, अध्ययन कराने वाला। उपदश (वि०) दश तक। उपदेहः (पुं०) [उप+दिह्+घञ्] १. विलेपन,शृंगार, प्रसाधन, उपदा (स्त्री०) [ उप+ दा अङ्] उपहार, भेंट, प्राभृत। (सुद० लेप। २. चादर, आवरण, ठक्कन। उपदोहः (पुं०) [उप+दुह+घञ्] पात्र में दूध दुहना, स्तन के उपदानं (नपुं०) [उप+दा ल्युट्] १. उपहार, प्राभृत, भेंट। २. आग्र भाग से दूध दुहना। सुरक्षा, संरक्षण, अनुग्रह, कृपा। उपद्रवः (पुं०) [उप+द्रु+अप्] १. कष्ट, संकट, बाधा, पीड़ा, उपदिश् (अक०) उपदेश करना, सिखाना, पढ़ाना, अभ्यास आपत्ति, विपत्ति। २. हानि, उत्पीड़न, राष्ट्र संकट, विद्रोह, करना, समझाना। अशान्ति। 'न जातुचिदभूल्लक्ष्यस्तत्कृतोपद्रवे पुनः' (सुद० उपदिश् (स्त्री०) मध्यम दिशा, ईशान दिशा, आग्नेय दिशा, १३५) उपद्रवकर (वि०) उत्पीड़न करने वाला, अशान्ति उत्पन्न नैऋत्य दिशा आदि। करने वाला। इत्यात्मीयमलोत्करं च भवतैकान्ते तथा उपदेवः (पुं०) कुदेव मिथ्यादेव। त्यज्यताम्' (मुनि० १३) उपदेशः (पु०) [उपदिश्+घञ्] परिषक (जयो० वृ० २/१३८) उपद्रवहर (वि०) ईतिहत, व्याधि हरण करने वाला। ईति भीति १. शिक्षण, निर्देशन, अध्ययन, ज्ञान, देशना, तत्त्वज्ञानाभ्यास, दूर करने वाला। (जयो० वृ०२/११८) संदेश। २. प्रवचनप्रतिपापन, निरूपण, प्ररूपणा। 'तत्त्वोप उपद्रावणं (नपु०) १. प्राणियों का कष्ट, पीड़ा, उत्पीड़न। २. पशकृत्साशास्त्रं कापथघट्टनम् (सम्य० ९३) 'येषांसु आधाकर्म विशेष। 'जीवस्य उपद्रवणं ओद्दावणं णाम' वाचः सहजोपदेशा:' (भक्ति० १२) 'उपदेशो मौनीन्द्र (धव० १३/४६) प्रवचनप्रतिपादनरूप:।' उपद्गुतः (पुं०) ०उपद्रव, उत्पीड़न, ०कष्ट, बाधा, हानि, उपदेशक (वि०) [उप दिश् ण्वुल्] प्रवचनकार, व्याख्याकार, उपहत। (वीरो० १/१२) 'उपद्रुतोऽशुस्तिमिरैः' (जयो० शिक्षादायी, अध्ययन कराने वाला। १५/२२) 'उपद्रत उपद्रवं गतः सन भयेऽपि संकटसमयेऽपि' उपदेशकरणं (नपुं०) प्रवचनकार। (सुद० ९२) (जयो० वृ० १५/२२) 'उपद्रुतः स्वात्स्वयमित्ययुक्तिर्यस्य उपदेशकर्ता (वि०) प्रवचनकार, व्याख्याकार। प्रभावान्निरूपद्रवा पू:।' (वीरो० १२/४७) उपदेशनं (नपुं०) शिक्षण, अध्ययन। उपधर्मः (पुं०) [उप+धृ+मन्] उपविधि, धर्म के विरुद्ध उपदेश-प्रदायक (वि०) अध्ययन कराने वाला, प्रवचनदाता। नियम, अतिचार युक्त धर्म। उपदेशभावः (पुं०) निरूपण भाव, अध्ययन भाव, ज्ञानाभ्यास उपधा (स्त्री०) [उप+धा+अङ] १. उपाय, नियम, विधि, परीक्षण। २. छल, धोका। 'पर-वञ्चनेच्छा उपधा' (जैन उपदेश-रूचिः (स्त्री०) तत्त्वश्रद्धा, उत्तम रुचि, ज्ञानरुचि। ल०२७०) ३. पीड़ा (जयो० ९/४) उपदेशविधानं (नपुं०) तत्त्वचिंतन विधि। (सुद० ९४) उपधातुः (स्त्री०) मिश्रित धातु, स्वर्ण, रजत, ०तुत्थ, उपदेश-सम्यक्त्वः (पुं०) आत्म-तत्त्व श्रद्धान के प्रति सम्यक् ०कांस, ०राति, सिंदूर और शिलाजीत। शरीरधातु-दुग्ध, श्रद्धा, पुराण पुरुषों के प्रति श्रद्धा। रज, चर्वी, श्वेद् दन्त, बाल और ओज। उपतर्प (सक०) पिलाना, देना। 'प्राणहारिणमहो स्फुरन्नयः उपधानं (नपुं०) [उप+धा+ल्युट्] तकिया, आसंदी, मसनद, कोऽत्र सर्पमुतर्पयेत् स्वयम्' (जयो० २/१०२) दीवान पर रखा जाने वाला गोल तकिया, उपधान तप उपतर्पणं (नपुं०) दान देना, अर्पण करना। 'पात्राणामुपतदर्पणं 'उपदधातीत्युपधानं तपः' (जैन० ल० २७०) टिकने का आसन, गद्देदार आसन, आराम करना। (दयो० २/१०, प्रतिदिनम्' (सुद० ४/४७) शय्येयमुर्वी गगनं वितानं, दीपो विधुर्मञ्जभुजोपधानम्। (सुद० उपदेशिनी (वि०) निकलने वाली, नि:सृत होने वाली, प्रसूत होने वाली। 'या मलापहरणोपदेशिनी' (जयो० ३/१०) ९/१) उपधानाचारः (पुं०) उपधान का आचरण, भुज रूप उपधान का 'उप समीपे देशिनी' (जयो० वृ० ३/१०) आधार, ज्ञानाचार के आठ भेदों में पंचम 'उपधानाचार' है। भावः For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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