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उपधानीयं
२१०
उपनीतवती
उपधानीयं (नपुं०) [उप-धा अनीयर] तकिया, आराम करना। उपनयाभास: (पुं०) साध्य साधनधर्मी का दृष्टान्तधर्मी में उपसंहार। उपधारणं (नपुं०) [उप+धृणिच्+ ल्युट्] १. विचार, विमर्श, उपनागरिका (स्त्री० ) वृत्त्यानुप्रासालंकर का भेद। विशेष चिन्तन, अनुचिन्तन। २. खींचना।
उपनायकः (पुं०) [उप+नी+ण्वुल] नायक का प्रमुख सहायक। उपधिः (स्त्री०) [उप+धा+कि] ०कपट परिणाम, ०अनुचित | उपनायिका (स्त्री०) नायिका की प्रमुख सखी।
विचार, ०मिथ्याभाव, अन्यथा परिणाम, छल। 'उपेत्य उपनाहः (पुं०) [उए नह्+घञ्] १. गठरी, पाटली, गट्ठर। २. क्रोधादयो धीयन्तेऽस्मिन्नित्युपधिः, क्रोधाद्युत्पत्ति-निबन्धनो लेप, घाव का लेप, मल्हम। बाह्यार्थ उपधिः।' (धवा १२/२८५) 'परं समस्तोपधि- उपनाहन (नपुं०) [उप+ नह+णिच्ल्युट्] लेप करना, मालिश मुज्झिहाना' (सुद० ११५) उक्त पंक्ति में 'उपधि' का करना, उपटन लगाना। अर्थ परिग्रह है, समस्त परिग्रह का त्यागकर एकमात्र उपनिक्षेपः (पु०) [उप+नि+क्षिप्+घञ्] न्यास, धरोहर। श्वेत वस्त्र धारण किया। 'उपधाति तीर्थं उपधिः' (जैन०ल० उपनिधानं (नपु०) [उप-नि+धा+ ल्युट्] निकट रखना, धरोहर २७०)
न्यास करना, जमा करना। उपधिक (वि०) [उपधि+ठन्] प्रवञ्चक, छली, कपटी, धूर्तता उपनिधिः (स्त्री०) [उप+नि धा+कि धरोहर, न्यास, वस्तु ___करने वाला, ठगने वाला।
रखना, गिरवी। उपधिवाक् (नपुं०) परिग्रह के संचय युक्त वचन। 'परिग्रहार्जन- उपनिपातः (पुं०) [उप नि पत्। घन] सन्निकट जाना, समीप रक्षणादिष्वासज्यते सोपधिवाक्' (धव० १/११७)
पहुंचना, आकस्मिक आक्रमण करना। उपधिविवेकः (पुं०) उपकरणादि का विवेक। 'परित्यक्तानीमानि उपनिपातिन् (वि०) [उप नि+ पत्+णिनि] आकस्मिक आगमन।
ज्ञानोपकरणादीनीति वचनं वाचा उपधिविवेकः' (भ० आ० उपनिबन्धनं (नपुं०) [उप नि+बन्ध्। ल्युट्] सम्पादित करना, टी०१६०)
सम्पन्न करना, बांधना, निपटाना, समाप्त करना। उपधूपित (वि०) [उप+धूप+क्त] १. धूप लिया गया, उष्णता | उपनिमन्त्रणं (नपुं०) [उप+नि+मंत्र+णिच्+ ल्युट्] निमंत्रण, युक्त! २. मरणासन्न, पीड़िता
आमन्त्रण, आज्ञापत्र, प्रतिष्ठापन, उद्घाटन, विमोचन। उपधृतिः (स्त्री०) [उप+ध्मा+ ल्युट्] ओष्ठ, ओंठ।
उननियमः (पुं०) उपनियम, नियम से रहने के लिए विशेष उपध्मानीयः (पुं०) [उप+ध्मा+अनीयर्] ०महाप्राण विसर्ग, नियम, आश्रम नियम। तद्गतोपनियमान् सुधारयन्' (जयो० ०प् एवं फ से पूर्व रहने वाला विसर्ग।
२/११८) उपनक्षत्रं (नपुं०) गौण नक्षत्र, अप्रधान तारे।
उपनिवेशः (पुं०) [उप+नि विश+घञ्] सन्निवेश, परिवेश, उपनगरं (नपुं०) नगर के छोटे विहार, छोटे-छोटे उपनगर, समीप स्थान, निकट स्थान देना। कालोनी, आवास।
उपनिवेशित (वि०) [उप नि। विश्+णिच् क्त ) स्थापित, बसाया उपनत (भू० क० कृ०) १. पहुंचा, आया, प्राप्त हुआ। २. गया. स्थान दिया गया। झुका हुआ, नम्रीभूत।।
उपनिषद् (स्त्री०) [उप+नि सद्-क्विप्] रहस्यात्मक विवेचन, उपनतिः (स्त्री०) [उप+ नम्+क्तिन्] १. समीप जाना, २. सिद्धान्त रहस्य का सूत्र, पवित्र ज्ञान, आत्मज्ञान की झुकना, नम्र होना, प्रयास करना।
समीपता। (दयो० २४) आत्मशिक्षा का उपदेश। उपनयः (पुं०) [उप+नी+अच्] १. समीप लाना, ले जाना। २. | उपनिष्करः (पुं०) [उप निस्क +च ] राजमार्ग, प्रमुखमार्ग।
उपलब्धि, संप्राप्ति। ३. उपनयन संस्कार। ४. नय की उपनिष्क्रमणं (नपुं०) [उप निस्। क्रम्+ ल्युट] १. निकलना, शाखा-प्रशाखा, हेतु का उपसंहार, हेतु के साध्यधर्मी का अभिगमन, अहिर्गमन। २. धार्मिक, अनुष्ठान रूप अहंकार। उपसंहार। 'नयानां विषयः उपनयः' (धव० ९/१८२) उपनीत (वि०) १. लाई गई, लाई जाती। १. उपनय के 'हेतोरूपसंहार उपनयः' (परीक्षामुख ३/४५)
उपसंहार से युक्त, अनुमानावयव वाक्य। (जैन०ल० २७१) उपनयन (नपुं०) १. संस्कार विशेष, गुरु आज्ञापूर्वक दीक्षादान। 'उपनीत पुनर्भव्यो गुरुस्थानमिवालिभिः' (जयो० १०।८५)
२. उपहार, भेंट, प्राभृत। २. जनेऊ संस्कार। ३. चश्मा, | उपनीतवती (वि०) रोमांचित होती हुई, 'उपनीतवति प्रसादमेषा' उपनेत्र। (जयो० वृ० २८/९८)
(जयो० १२/१२)
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