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उपकृत
करना, अभिषेक करना । शिरसि स्फुटमक्षतान् ददौ । ह्यपकुर्वन्नपनोदकैः पदौ' (जयो० १३/२) उपकुर्वन्अभिषिना
उपकृत (वि०) उपकार करने वाला आभार व्यक्त कर्ता, अनुग्रहार्थी 'इतः परस्योपकृतावतश्च' (जयो० १/४० ) [ उप+कृ+ क्तिन्]
उपकृति (स्त्री०) उपक्रिया, अनुग्रह, आभार । उपक्रम (पुं०) ( उप क्रम्+घञ्] ०अपवर्तन
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परिणमन ०प्रारम्भ समारम्भ, ०उपाय योजना अर्थमात्मन उप समीपं क्राम्यति करोत्युपक्रम, युक्ति, उपचार। (धव० १/७२ ) वैद्योपक्रमसहितांस्तत्र' (जयो० ६/१०) उपक्रमणं (नपुं०) (उपक्रम. ल्युट्] १. उपगमन, आरम्भ। २. व्याधि निदान। उपक्रम - कालः (पुं०) अभीष्ट अर्थ को समीप लाने का समय। 'उपक्रमस्य काला भूयिष्ठक्रियापरिणाम्' (जैन०ल० २६६ )
उपक्रीड़ा (स्त्री०) क्रीड़ा स्थल, खेल का मैदान ।
उपक्रोश: (पुं० ) [ उप + क्रुश्+घञ्] निन्दा गर्हा, अप्रशंसा, अपवाद. अपकर्ष!
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उपक्रोष्ट (पुं०) [उप-कु-तन् गधा, गर्दभ उपक्लृप्तिः (स्त्री) सम्पति, धन, वैभव, ऐश्वर्य (जयो०
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उपक्व: (पु० ) [ उप+क्वण्+अप्+घञ्] वीणा की झंकार | उपक्षत (वि०) विनष्ट, ह्रासगता
उपक्षय (वि०) हानि, नाश, विनाश, हास, व्यय। उपक्षेष: (पुं० ) [ उपसिप्-पत्र) १. उछालना, फेंकना। २. उल्लेख इंगित, संकेत ।
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उपक्षेपणं (नपुं० ) [ उप+क्षिप् + ल्युट्] फेंकना, उछालना, डालना। दोषारोपण करना।
उपग (वि० ) [ उपगम् द] पीछे चलने वाला सम्मिलित होने वाला प्राप्त करने वाला, करने वाला। अनुगमन उपगण: (पुं०) श्रेणी की अप्रधानता, भिन्न श्रेणी, अन्य कक्षा । उपगत (भू० क० कृ० ) [ उपगम्क्त] १. गया हुआ पहुंचा हुआ प्राप्त, प्रौढतामुपगतानि विभुनां मानसानि' (जयो० ५/७०) उपगतानि प्राप्तानि जयो० ५/७०)
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उपगतिः (स्त्री० ) [ उ+ गम् + क्तिन्] निकट जाना, उपागमन, समीपस्थ आना उपलब्धि प्राप्ति ज्ञान। उपगम (पु० ) [ उपगम् अप्] जाना १. पहुंचना, निकट
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होना, समीप होना। २. उपलब्धि प्राप्ति ३. अनुभव, जानकारी स्वीकृति |
उपगामी (वि०) समीप जाने वाला (जयो० १/२१) उपगम्य (सं०कृ० ) पास जाकर, निकट पहुंचकर । (जयो० ४/१) अनुप्रेक्षार्थचिन्ता वा तज्ज्ञैरभ्युपगम्यते' (सम्य० ११६ ) उपगम्यते - वर्तमानकालिक क्रिया ।
उपगिरि: (पुं०) पर्वत के समीप ।
उपगिरि ( अव्य० ) पहाड़ / पर्वत के निकट | उपगु (अव्य०) गौ समीप, गौ के निकट ।
उपघातनामकर्म:
उपगुप्त (वि०) समावृत, धारण करने वाली, ढके रखने वाली।
(सुद० १/१७) 'देहमेषोपगुप्ता गुणसम्पदेह' (वीरो० ६/३) उपगुरु: (पुं०) सहायक अध्यापक, सहायक शिक्षक, शिक्षक के सन्निकट
उपगूढ (भू० क० कृ०) [उपगूह+क्त] गुप्त, प्रच्छन्न, ढंका हुआ, आच्छादित, आलिंगित।
उपगूहनं (नपुं० ) [ उप + गृह् + ल्युट्] १. गुप्त, छिपाना, प्रच्छन्न,
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ढका आवृत । २. सम्यक्त्व का एक अंग 'उपगूहनं चातुर्वर्ण्यश्रमण संघ दोषापहरणं प्रमादाचरितस्य च संवरणम्' (मूलाचार वृ० ४०४) प्रच्छादनं विनाशनं गोपनं झम्पन तदेवोपगूहनम्' (भ० आ० टी० ४५)
उपग्रह (पुं० ) [ उपग्रह+अप्] प्रतिज्ञा, अनुग्रह प्रोत्साहन पकड़ (दयो० २३ उपग्रहो ऽनुग्रह' (त० वा० ५/१७) उपग्रहणं (नपुं० [उपग्रह ल्युट् ] ग्रहण करना, पकड़ना, सहारा देना, आधार बनना।
उपग्राहः (पुं० ) [ उप+ग्रह्+घञ्] उपहार देना, प्राभृत देना, भेंट देना, वस्तु प्रदान करना।
उपग्राहक (वि०) खरीददार ग्राहक क्रय कर्ता 'गुडमिव वणिजामुपग्राहकै : ' (दयो० ५०)
उपग्राह्यः (पुं० ) [ उप+ग्रह ण्यत्] उपहार प्राभृत, भेंट उपगृहं (नपुं०) एकान्त स्थान, ठहरने का स्थान । उपघातः (पुं) [उपहन्+घञ्] १. प्रहार, ०चोट, ० आघात, ०विनाशा 'उपघातमहो करस्य सोम्' (जयो० ११/६०) २. प्रशस्त ज्ञान दूषण प्रशस्तज्ञानदूषणमुपघात (स० सि० ६ / १०) 'दोषोदभावनं दूषणमुपघात इति (त० वा० ६/१०) प्रशस्तस्यापि ज्ञानस्य दर्शनस्य वा दूषणमुपघातः' (त० श्लोक ०६/१०)
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उपघातक (वि०) प्रहारक, विध्वसंक । उपघातनामकर्म: (पुं०) उपपातनामकर्म स्वयंकृत कारणों से घात । 'यस्योदयात् स्वयं कृतोदबन्धनप्राणापान