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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदगारिन् २०० उद्दीप्र उदगारिन् (वि०) [उद्+गृ+णिनि] उत्सर्जन करने वाला, उगलने | उद्घातः (पुं०) [उद् हन्+घञ्] १. आरम्भ, उपक्रम, उल्लेख, वाला। संकेत। २. प्रहार, आघात, हप्पड़। ३. पुस्तक अंश, उगिर (सक०) उगलना, गिराना, वमन करना, उत्सर्जन अध्याय, अनुभाग, परिच्छेद। करना। पापानि वापाय भियोगिरन्तः' (जयो० २१/१०) | उद्घोषः (पुं०) [उद्+घुष्+घञ्] उच्चारण, स्पष्ट कथन, 'उगिरन्तो वमितवन्तः' (जयो० वृ० १/२२) उच्च घोषणा। 'सूक्तोद्घोषवर-प्रयोजनतयैकान्ते वसेद् उदगिरणं (नपुं०) [उद् +गृ+ल्युट्] वमन, उत्सर्जन, उगलना। बुद्धिभृत्।' (मुनि० ३०) उगिलन (वि०) उगलता हुआ। (सुद० ३/१८) उद्देशः (पुं०) [उद्दं श्+अच्] खटमल, जूं, मच्छर। उद्गीतिः (स्त्री०) [उद्+गै+क्तिन्] १. उच्चगान, गुणानुवाद। उद्दण्ड (वि०) १. असती, दुष्ट, भयानक। (जयो० वृ० २/११९), २. उद्गीति छन्द, आर्या छन्द का भेद। ३. अपहरण १२. दण्ड देने वाला ३. उठे हुए डंडे वाला। (सुद० १०२) उद्दधार (भू०क०) गृहीतवान्। (जयो० ८/५४) उद्गीथः (पुं०) [उद्+गै+थक्] उच्चगायन, उच्चारण। उद्दण्डभावः (पुं०) दुष्ट भाव। (जयो० वृ० ११/२७) उदगीण (वि०) [उद्+गृ+क्त] उगला हुआ, उत्सर्जन किया, उद्दन्तुर (वि०) बाहर निकले हुए दांत वाला। वमित, उत्सर्जित। उद्दानं (नपुं०) [उद्+दो+ ल्युट] कैद, बन्धन, वश में करना। उदगीर्ण (वि०) उत्सर्जित, वान्त, वमित। (जयो० ८/३०) । उद्दान्त (वि०) [उद्दम्+क्त] १. तेजस्वी, ऊर्जावान्, शक्तिशाली। उद्गीय (सक०) कहना, बोलना-उद्गीयते (जयो०८/४०) २. विनीत। उद्गूर्ण (वि०) [उद्+गूर+क्त] उन्नत किया गया, उर्ध्वगत। उद्दाम (वि०) १. प्रशसनीय। 'यत्रोद्दाम-सुधाकरोद्गमविधि:' उद्ग्रहः (पुं०) [उद्+ ग्रह अच्] लेना, ग्रहण करना, उठाना, (जयो० ४/६८) २. निर्बन्ध, अनियन्त्रित, निरंकुश, मुक्त। सम्पन्न करना। ३. सबल, शक्ति सम्पन्न। ४. भयानक, भयावह, तीव्रतट। उद्ग्राहः (पुं०) [उद्+ग्रह+घञ्] १. लेना, ग्रहण करना, ५. विशाल, अतिव्यापक। उठाना। २. प्रतिवाद, समाधान देना। उद्दायन: (पुं०) राजा, वीतभयपुराधीश उद्दायमहीपतिः। (वीरो० उद्ग्राहणिका (स्त्री०) समाधान देना, प्रश्न का उत्तर देना, १३/२१) प्रतिवाद, निराकरण। उद्दालकं (नपुं०) [उद्द ल+णिच्+अच्+कन् । शहद विशेष. उद्ग्राहित (भू० क० कृ०) [उद्+ग्रह णिच्+क्त] १. ग्रहीत, लसोड़े का फल। पकड़ा गया, ऊपर लिया गया। २. न्यस्त, मुक्त किया । उद्दित (वि०) [उद्+दो+क्त] बद्ध, संनद्ध, जुड़ा हुआ, बन्ध गया। ३. स्मरित। युक्त। उद्ग्रीव (वि०) [उन्नता ग्रीवा यस्य] उन्नत ग्रीवा, उठी हुई उद्दिष्ट (भू० क० कृ०) [उद्+दिश्+क्त] विशिष्ट, प्रधान. गर्दन वाला। प्रमुख, इच्छित, वाञ्छित। 'भिक्षैव वृत्तिः करमेव पात्रं उद्घन: (पुं०) [उद्+ हन्।अप्] आगडी बढ़ई की लकड़ी का | नोद्दिष्टमन्नं कुलमात्मगात्रम्' (सुद० ११७ ) तख्ता, जिस पर लकड़ी तैयार करता है।। उद्दिष्टत्याग-प्रतिमा (स्त्री०) उद्दिष्ट/इच्छित आहार का परित्याग। उद्घट्टनं (नपुं०) [उद्+घट्ट ल्युट्] संघर्षण, रगड़। श्रावक की एक प्रतिमा, जो स्वाध्याय, ध्यान आदि में रत उद्घर्षणं (नपुं०) [उद्+घृष्+ ल्युट्] संघर्षण, रगड़ना, घोटना। श्रावक को आहार की मर्यादा करने के लिए प्रेरित करती है। उद्घाटः (पुं०) [उद्+घट्+घञ्] चौकीदार, पड़ाव, छावनी। उद्दीपः (पुं०) [उद्+दो+घञ्] प्रज्ज्वलित, प्रकाश युक्त, उद्घाटकः (पुं०) [उद् घट्न णिच्+ण्वुल्] १. कुंजी, २. चीं, | देदीप्यमान। रहट की चीं । उद्दीपनं (नपुं०) [उद्+दीप्+णिच्+ल्युट्] उत्तेजित करने वाला उद्घाटनं (नपुं०) [उद्। घट+णिच्+ ल्युट्] खोलना, उघाड़ना, उभारने वाला, प्रेरित करने वाला, उभारने वाला, रस की विधिवत्, ऊपर उठाना, समारम्भ करना। ओर खींचने वाला। 'रस' का आलम्बन। उद्घाटय् (सक०) कहना, बोलना, समारम्भ करना। सद्यो उद्दीप्र (वि०) [उद्+दीप्रन्] प्रज्ज्वलित, चमकीला, अधिक, लिप्ततयाईवेश्म न विशेन्नोद्घाटयेदावृतं: (मुनि० १०) दाहक, ज्वलनशील। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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