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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उदितपिच्छगण: १९९ उद्गार: उदितपिच्छगणः (पुं०) दिगम्बर, मयूरपिच्छधारी। (जयो० | उदीरित (भू० क. कृ०) कहा, कथन किया। 'प्रत्युक्तया १८/६०) 'स्याद्वाद- भागदितपिच्छगणस्य वृत्तिः शनैराश्यं सनैराश्यमुदीरितम्' (सुद० ८४) उदितपिच्छानामुत्थापितपिच्छानां ताम्रचूडानां गण: उदीरित (वि०) प्रेरित, (जयो० १२/१२०) समृहस्तस्य' 'उदिपिच्छानां मयूरपिच्छ धारिणां दिगम्बराणां | उदीर्ण (भू० क० कृ०) [उद्-ईर्+क्त] १. जगा हुआ, बढ़ा गणः समृहस्तस्य वृत्तिः।' (जयो० वृ० १८/६०) हुआ, फैला हुआ। (जयो० १३/३२) २. फल देने रूप उदित-प्रताप (वि०) फैले हुए प्रताप वाला, विस्तीर्ण प्रताप अवस्था में परिणत कर्म पुद्गल-स्कन्ध। 'फलदातृत्वेन ___ युक्त। 'राजापुरेऽस्मिन्नुदितप्रतापो' (समु० ६/९) परिणतः कर्मपुद्गलस्कन्धः' (धव० १२/३०३) उदिता (वि०) पहनाना, धारण करना। 'अरुण-माणिक्य- उदीर्णवादरः (पुं०) फैल जाने वाले वादर। (जयो० १३/३२) सुकुण्डलोदिता' (सुद० ३/१९) । उदीर्य (भू० क० कृ०) [उद्+ईर्+क्त] फल देना, परिणत हुआ। उदिताम्बुदः (पुं०) प्रकट हुए मेघा (सुद० २९) उदुम्बरः (पुं०) फल विशेष, अभक्ष्य फल, गूलर। (हित०४७) उदितालकालि (वि०) बिखरे हुए बाल वाली। 'उदिता उदूखलः (पुं०) ऊखल, ओखली, धान्य कुटने का यन्त्र। प्रतिबिम्बिता अलकानां केशानामालि:' 'उदिता (जयो० २/८०) विकीर्णाऽलकानामालिर्यासाम्' (जयो० वृ० १३/०७१) उदूढ (वि०) उपगूढ। (वीरो० २१/८) उदितोक (नपुं०) जल प्रक्षेपण, जलधारा। (जयो० १२/५४) | उदेजय (वि०) [उद्+ए+णिच्+खश्] हिलाने वाला, कपाने उदिय (वि०) बिखरे हुए, फैले हुए। ( वीरो०५/२७) वाला। उदीक्षणं (नपुं०) [उद्+ ईश् + ल्युट] देखना, दृष्टिपात करना, उदैक्षत (भू०क०) सुरक्षित रखना। (सुद० २/४९) उर्वावलोकन। उद्गत (वि०) प्राप्त, बाहर जाना, उत्पन्न हुआ। 'श्रीपादपादर्हत उदीक्ष्य (सं०कृ०) देखकर, अवलोकनकर। 'गुणिवर्गमुदी- उद्गतानाम्' (भक्ति० १३) क्ष्याऽगान्मध्यस्थ्यं च' (सुद० ४/३५) 'मुनिमुदीक्ष्य मुमुदे उद्गतिः (स्त्री०) [उद्+गम्+क्तिन्] १. आरुढ़ होना, चढ़ना, सुदर्शन' (सुद० पृ० ११५) ऊपर बैठना, आरोहण। २. आविर्भाव, जन्मस्थान नमन। उदीची (स्त्री०) ( उद्। अञ्च क्विन्-डीप] उत्तरदिशा। उद्गन्धि (वि०) [उद्गतो गन्धोऽस्य] सुगन्ध युक्त, सुरभि उदीचीन (वि०) [उदीची+ख] उत्तर दिशा की ओर, उत्तर | सहिता दिशा से सम्बंधित। उद्गमः (पुं०) [उद्ग म्+घञ्] उदय। (सुद० १३५) १. उदीच्य (वि०) [उदीची+यत्] उत्तर दिशा में स्थित रहने ऊपर जाना, उगना, चढ़ना। २. उत्पन्न होना, जन्म लेना, वाला। उत्पत्ति, रचना, निर्माण। (सम्य० ४२) उदीच्यः (ए) पश्चिमोत्तर देश। उद्गमनं (नपुं०) [उद्ग म् ल्युट्] १. अधो गमन, विनिपात। उदीपः (पुं०) ( उद्गता आपो यत्र उद्+अप्+ईप] गहीर जल. | २. उगना, निकलना, फैलना। (जयो० वृ० १८/३२) जलप्लावन। उद्गमनीय (स०कृ०) [उद्ग म्+अनीयर] ऊपर जाने योग्य, उदीयमान (वि०) विकास शीला (सम्य० १०८) चलने योग्य, आरोहण करने योग्य। उदीरणं (नपुं०) [उद्-ईर् + ल्युट्] १. उच्चारण, उदगमविधिः (स्त्री०) खनन विधि। (जयो० ४/६८) अभिव्यक्ति। २. फेंकना, चलाना, कहना। उद्गर (सक०) कहना, बोलना, प्रतिपादित करना। 'यद्यस्मिन्समये उदीरणा (स्त्री०) फेंकना, चलाना, हीन करना। कर्म को उदय प्रकर्तुमुदितं तत्रोदगरेत्तन्मुनिः।' (मुनि० २९) में लाकर फल भोगना। 'अनुभूयमाने कर्मणि. उद्गाढ (वि०) [उद्+गाह्+क्त] गंभीर, गहरा, गहन, तीव्र, प्रक्षिप्याऽनुदयप्राप्त प्रयोगेणानुभूयते यत्सा उदीरणा' बहुत, अत्यधिक। (पं०सं०पृ० १९१) 'सकाशात् पतति सोदीरणोच्यते' | उद्गात् (पुं०) [उद्+गै+तृच्] गान करना, उच्चारण करन' (पं०सं०१६२) गीत गाना। उदीरय् (सक०) उदीरणा करना, क्षय करना, हीन करना। | उद्गारः (पुं०) [उद्+गृ+घञ्] कथन, उगाल, उत्सर्जन, वमन। 'क्षणादुदीरयन्नेवं करव्यापारमादरात्' (सुद० ७८) "उद्गारैः परिवेष्ठितोऽवनिरूहेपूर्णायुवत्स्वावशे' (मुनि० २०) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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