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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ईशानः १८४ उक्त ईशानः (पुं०) [ईश् ताच्छील्ये नानश्] १. स्वामी, (जयो० १/१) मालिक, शासक, राजा। (जयो० १४८७) २. उत्तर-पूर्वी दिशा। ३. ईशान देव विशेष। ईशानकोण: (पु०) ईशानकोण, उत्तर-पूर्वी दिशा का कोण ____ 'स्वस्य श्रीशानदिशः ईशानकोणत:' (जयो० वृ० ३/७१) ईशानदिक् (स्त्री०) ईशानदिशा (जयो० वृ० ३/११) ईशान्तिक (वि०) पति के समीप, स्वामी के पास। 'ईशस्यान्तिकं स्वामिन : समीपम्' (जयो० वृ० १४/६३) ईशायित (वि०) शुभ संवाहक। ईशायिता (वि०) ईश के शुभ संवाहक, ईशस्य भगवतोऽयः | शुभावहो विधिः। भगवत् विषयक विधि, क्रिश्चियन वृत्ति। (जयो० २८/२५) ईशाईवृत्ति (वीरो० १९/१०) ईशिता (वि०) [ईशिनो भाव:-ईशिन्+तल्+टाप्] सर्वोच्चता, अतिमहत्त्वपूर्ण, स्वामित्वपना। (जयो० ४/४९) ईशित् (वि०) [ईशिनो भाव:-ईशिन त्] स्वामित्वपना। (जयो० २२/५१) ईशित्वं (नपुं०) ईशित्व नामक ऋद्धि। ईश्वरः (पुं०) स्वामी, नायक, भगवन्। (सुद० १/२२) ईश्वर (वि०) सामर्थ्यवान्, शक्तिमान, योग्य, समर्थ भवेद्भुवि भावि यदीश्वरः' (जयो० ९/२९) 'ईश्वरः समर्थः' (जयो० वृ० ९/२९) 'ईश्वरः सामर्थ्यवान्' (जयो० वृ० ९/२९) 'भुवि नान्वभिधातुमीश्वरः' (जयो० १०/७४) 'ईश्वरो युवराजा माण्डलिकोऽमात्यश्च। अन्ये च व्याचक्षते अणिमाद्यष्टविधैश्वर्ययुक्त ईश्वरः। (जैन०ल० १४०) 'येनाप्तं परमैश्वर्य परमानन्दसुखास्पदम्' (समु० २४०) ईश्वरवादः (पुं०) ईश्वराधीन कथन। ईश्वरि (वि०) ईश्वर संबंधित। (जयो० वृ० १/१) ईश्वरोज्झनदिक् (स्त्री०) स्वामियों के विरह से उत्पीड़ित दिशा। 'ईश्वराणामुज्झनं परित्यजनं दिशन्तीति किलेश्वरोज्झनदिशः प्राणेश्वरविरहवदा दिशो दशापि' (जयो० वृ० ५/८) ईष् (अक०) उड़ जाना, ०भागना, ०देखना, ० अवलोकन करना। ईषः (पुं०) [ईष्+क] आश्विन मास। ईषणशील (वि०) ईर्ष्यास्थान। (वीरो० २२/२०) ईषत् ( अव्य०) [ईष्+अति] कुछ, किञ्चित्, थोड़ा सा, अल्प। ईषत्कर (वि०) कुछ करने वाला। ईषत्पाण्डु (वि०) कुछ पीला, हल्का पीला। ईषत्पुरुषः (पुं०) निन्दक जन, घृणायुक्त पुरुष। ईषत्प्राग्भार (पुं०) पृथिवी का एक नाम, जो पूर्व-पश्चिम में रूप से कम एक राजू चौड़ी, उत्तर-दक्षिण में कुछ कम सात राजू लम्बी और आठ योजन मोटी है। जो बेंत के समान है। (जैन०ल० २४०) ईषत्-भावः (पुं०) थोड़ा परिणाम, अल्प परिणाम। ईषत्माणं (नपुं०) किञ्चित् मान, कुछ अहंकार। ईषत्-यमं (नपुं०) अल्प यम। ईषत्-रक्तं (नपुं०) थोड़ा लाल। ईषत्-हासं (नपुं०) थोड़ी हंसी, कुछ मुस्कराहट, अल्प परिहसन। ईषा (स्त्री०) [ईष्+क+टाप्] गाड़ी का फड़, हलस। ईषिका (स्त्री०) [ईषा+कन्+इत्वम्] १. कृची, २. अस्त्र विशेष। ईषीका देखें ईषिका। ईह् (सक०) १. चाहना, कामना करना, (ईहते०समु० ७/२) इच्छा करना। (जयो० ३/६७) २. प्रयास करना, लक्ष्य बनाना, कोशिश करना। 'कस्य करक्रीडनकं निश्चेतुमितीहमान:' (जयो० ३/६९) 'विसर्गमात्मश्रित्य ईहमानः' (सु० १/२३) उक्त पंक्ति में 'ईह्' धातु समझने अर्थ में प्रयुक्त हुई है। 'उक्तं पर्वोपवासाय समस्तीहार्हता स्वयम्' (सुद० ९६) उक्त पंक्ति में में 'ईह' धातु का अर्थ मानना है 'राज्ञीहाऽ हं द्वारि खलु तामीहे गामधिपस्य' (सुद०९४) स्वामी का आज्ञा मानना। ईहा (स्त्री०) मतिज्ञान का एक भेद, विशेष आलोचन, जिज्ञासा, चेष्टा कामना, वाञ्छा, इच्छा, चाह। (सम्य० १३५) 'अवग्रहीतस्यार्थस्य विशेषकांक्षणमीहा' (धव० १/३३४) 'ईहते चेष्टते अनया बुद्ध्या इति ईहा' (धव० १३/२४२) उः (पुं०) यह वर्णमाला का पंचम स्वर है। इसे ह्रस्व माना गया है, इसका उच्चारण स्थान ओष्ठ हैं। उ (अव्य०) १. सम्बोधन, आमन्त्रण, निमन्त्रण, अनुकम्पा, दया, करुण, आश्चर्य, विश्मय, स्वीकार, प्रश्न, इच्छा आदि के अर्थ में इस अव्यय का प्रयोग होता है। २. तु, किन्तु, परन्तु, विशेषण हेतु आदि के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है। ३. पादपूर्ति के लिए भी इसका प्रयोग होता है। उक्त (भू० क० कृ०) [वच्+क्त) कथित उक्तं प्रतीतम्-शब्द For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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