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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इच्छायोगः १७७ इत्थं इच्छायोगः (पुं०) स्वेच्छपूर्वक क्रिया करना, वाञ्छा रहित योगजन्य क्रिया। इच्छारत (वि०) अभिलाषा जन्य। इच्छावर्धक (वि०) लालसाकर, अभिलाषा बढ़ाने वाला। (जयो० वृ० १६/८५) इच्छावसुः (पुं०) कुबेर। इच्छासंपद् (स्त्री०) कामनाओं का पूर्ण होना। इच्छित (वि०) अभिलषित, वाञ्छित। 'सानुकूल इव भाग्यवितस्तिस्तद्भविष्यति यदिच्छितमस्तिा' (जयो० ४/४७) 'तदेव नश्चेच्छितपूर्तिधाम' (सुद० २/२३) इच्छुक (वि०) चाहने वाला, अभिलाषा करने वाला, अनुरक्ति जन्य, अनुराग युक्त, आसक्ति सहित। 'मिथोऽथ तत्प्रेमसमिच्छुकेषु' (सुद० २/२६) इज्यः (पुं०) [यज्+क्यप्] १. अध्यापक, पूजा, अर्चना। इज्या (स्त्री०) [इज्या टाप्] १. पूजा, अर्चना। २. उपहार, दान, प्राभृत। ३. प्रतिमा। इज्याविधिः (स्त्री०) पूजाविधि, अर्चना विधि। 'अन्योन्यानुगुणैकमानसतया कृत्वाऽर्हदिन्याविधि।' (सुद० ४/४७) इडा (स्त्री०) पृथ्वी, भूमि, धरा। इडिका (स्त्री०) पृथ्वी, भूमि, धरा। इडित (वि०) १. अन्य, दूसरा, दो में से एक। २. शेष, अवशिष्ट, भिन्न, पृथक्। ३. वाम, दक्षिण, दायां। ४. सम्बन्ध की अपेक्षा न करना। तत्र चोक्तमितरेण' (जयो० ४/३०) न क्रमेतेतरत्तल्पं सदा स्वीयच्च पर्वणि तदितर: को हितः। (जयो० वृ० २/२७) (सुद० ४/४३) इतरकल्पना (स्त्री०) अन्य कल्पना। (वीरो० १९/४४) इतरत (अव्य०) ०अन्यथा, ० अन्य प्रकार से, भिन्न, दूसरी तरह से। इतरत्र (अव्य०) [इतर-त्रल्] ०अन्यथा, विपरीत, भिन्न, ०अन्य। इतरथा (अव्य०) [इतर+थाल्] ०अन्य रीति से, दूसरी तरह से। प्रतिकूल रीति से। 'इतरथा तु तदीयकरार्पण' (समु० ७/९) इतरः (पुं०) व्यवहार नय (जयो० ५/४८.) इतरस्तर (अव्य०) इधर उधर। (सुद० ७३) इतरेतरः (अव्य०) सर्वत्रैव, सभी जगह। (वीरो० १/३२) इतरेषु (अव्य०) [इतर एधुस्] अन्य दिवस. दूसरे दिन। इतस् (अव्य०) [इदम् तसिल] यहां से. १. इधर, ऐसा, इधर-उधर। २. इस भूतल पर, इस व्यक्ति से 'अस्मिन् भूतले' (जयो० ११/१००) --'जयतु शूर इत: स्मरसायकं' (समु०७/१०) 'इत उत्तर सम्भवस्थल, विजयायैति अपैति चोद्वल:।' (समु०२/६) 'व्यहरत्तत्परितः क्षणादितः' (समु० २/२०) ऐसा, ऐसे-'मुनिवर वनमेष तदाऽव्रजाच्छ्यिमितः।' (सुद० ४/२) इस कारण से-'इतोऽस्मादेव कारणादस्य' (जयो० ६/८०) इतस्ततः (अव्य०) सर्वत्रैव, सभी जगह, (वीरो० १/३२) एक ओर से दूसरी ओर तक, इधर से उधर। (जयो० वृ० १/८९) परित:-चारों ओर। 'तत्र परित इतस्ततो वाससा वस्त्रेण रचितानि वस्त्राणि शिविराणि' (जयो० वृ० १३/६४) इति (अव्य०) [इ+क्तिन्] यह अव्यय शब्द के स्वरूप को प्रकट करने वाला है इसके कई अर्थ हैं ०दोष- (जयो० १/४) इति-समाप्ति 'जयकुमारकीर्तेः क्रीडनकं भवतीति भाव:।' (जयो० १/१०) ०इति-क्योंकि, यतः, जो कि, जैसा कि। (सम्य० ४/३) इति-इस प्रकार, ऐसा। 'युधिष्ठरो' भम इतीह मान्यः। ०इति सोऽपि पुनः प्राह। (जयो० १/१८) (सुद० १२६) इति-जहां तक 'इति सूचनार्थमित्यर्थ:' (जयो० १२/११६) इति वर्तमानशासनप्रशंसनं भवति।' (जयो० १५/४१) इतिपरिहारः (पुं०) ऐसा अभिप्राय। 'इति सर्गनिर्देशः' (जयो० २३/१०) इति अत (अव्य०) इतना कि, ऐसा कि। इतिभावः (पुं०) ऐसा भाव (सम्य० १/६) (जयो० २१/३९) इतिव्रतं (नपुं०) ईर्या समिति व्रत (मुनि० ६) 'वृत्यर्थं गमनीयमप्यनुदिनं रात्रौ तु नेतिव्रतात्।' (मुनि०६) इतिह (अव्य०) परम्परानुकूल, इसी प्रकार। इतिहास: (पुं०) [इति+ह+आस] उपाख्यान, इतिवृत्य, ऐतिह्य, परम्परा प्राप्त कथावृत्त, पुराण सम्मत कथन, ऐतिहासिक साक्ष्य, गौरव पूर्ण परम्परा। इतीदृशं (अव्य०) इस प्रकार, इस तरह का। (समु० ४/३) 'इतीदृशं तोषयुक्तं वणिक्तुज' (समु० ४/३) इतीव (अव्य०) ऐसा ही, इस तरह का ही। 'इतीव संतप्तया गभस्ति' (वीरो० २१/३) इतीह (अव्य०) इस प्रकार, परम्परानुसार। (जयो० १/१८) इत्थं (अव्य०) [इदम्+थम्] अतः, इस प्रकार, ऐसा, इसलिए। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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