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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७६ इच्छाफलं इ (सक०) जाना, गमन करना, पहुंचना, प्राप्त होना, चलना। इः (पुं०) [अइञ्] कामदेव, मदन। इ एव इक: कामः खेदो वा न विद्यते यस्य स नेकस्तस्य सम्बोधनम्। (वीरो० १/५) 'इ' का अर्थ काम एवं खेद भी है। इक्षुः (पुं०) [इष्यतेऽसौ माधुर्यात्-इष्+क्सु] पौण्ड्, गन्ना, ईख(जयो० २१/४६) इक्षुकः (पुं०) गन्ना, ईख। इक्षुकाण्डः (पुं०) ईख खण्ड, ईख की जाति। (जयो० १३/१०८) इक्षुकीया (स्त्री०) [इक्षुक छस्त्रियां टाप्] गन्ने की क्यारी। इक्षुकुट्टक (वि०) ईख एकत्रित करने वाला। इक्षुदीक्षा (स्त्री०) आत्मलाभ। इक्षो पौण्ड्रस्य या दीक्षा (जयो० २४/४२) इक्षुधनुधरः (पुं०) कामदेवा (सुद० ११/४७) इक्षुपाकः (पुं०) शर्करा, शक्कर, गुड़, शीरा, सव। इक्षभक्षिका (स्त्री०) शर्करा युक्त भोज्य पदार्थ। इक्षुमालिनी (स्त्री०) एक नदी। इक्षुमेहः (पु०) मधुमेह, मधुरोग, शर्करा रोग। इक्षुयन्त्रः (पुं०) कोल्हू, इक्षु रस निकालने का साधन। इक्षयष्टि: (स्त्री०) पौण्ङ्गविटपिन। (जयो० ३/३९) इक्षुरः (पुं०) गन्ना, ईख। इक्षुरस: (पुं०) इक्षुईख/गन्ने का रस। इक्षुवमं (नपुं०) गन्ने का खेत। इङ्गवशी (वि०) चेष्टा जन्य। 'कामोऽपि नामास्तु यदिङ्गवश्यः' (सुद० २४४) इक्षुवाटः (पुं०) गन्ने का खेत। इक्षुवाटिका (स्त्री०) गन्ने का खेत। इक्षुविकारः (पुं०) गन्ने से बना गुड़, शर्करा, शक्कर, राव। इक्षुसारः (पुं०) शर्करा, शक्कर, गुड़, राव, शीरा। इक्ष्वाकुः (पुं०) इक्षुम् इच्छाम, आकरोति इति इक्षु+आ+कृ+डु। १. सूर्यवंशी राजाओं का वंश। २. कर्मभूमि के प्रारम्भ में आदिब्रा आदिनाथ, प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने सर्वप्रथम इक्षुरस के संग्रह का उपदेश दिया था, अतएव उन्हें इक्ष्वाकु कहा गया। इक्ष्वाकु-कुल (नपुं०) कथमिक्ष्वाकुकुलाद्भा वयम्। (समु० २/२७) इक्ष्वाकुवंशिन् (वि०) इक्ष्वाकुवंश वाला। इक्ष्वाकुवंशिपद्मस्य पत्नी धनवती च या। मौर्यस्य चन्द्रगुप्तस्य सुषमाऽऽसीदथाऽऽहती। (वीरो० १५/३३) इख, इंङ्घ (अक०) १. हिलना, कांपना। २. क्षुब्ध होना, दु:खी होना। इङ्ग (वि०) [इङ्गग क] कांपने योग्य, हिलने योग्य। इङ्गगः (पुं०) संकेत. इशारा। इङ्गनं (नपुं०) [इङ्गग्ल्यु ट] कांपना, हिलना। इङ्गालः (पुं०) अंगार। इंगाल सरागप्रशंसनम्। इङ्गित (वि०) [इङग् क्त] १. कांपना, हिलना, धड़कना, चलायमान। २. व्याकुलित, दु:खित। 'निर्वारि- मीनमितमिङ्गितमभ्युपेता' (सुद० ८६) ३. चेष्टा-दीयतां हीङ्गितं स्व-पर-शर्मणे सताम्। ४. संकेतित- कुलान्येतदाचरणमिङ्गित बलात्। (जयो० २।८) संज्ञासंकेत-'इङ्गितेषु विफलीकृतो युवान्ते' (जयो० १२/३२) 'इङ्गितेषु संज्ञासङ्कतादिना'-जयो० वृ० १२/१३२) शारीरिक संकेत-प्रवृत्ति-निवृत्ति! जन्य सूचना, इशारा। इङ्गिनी (स्त्री०) १. अभिप्राय का संकेत। (वीरो० २१/२४) 'इङ्गिनीशब्देन इङ्गितमात्मनो भण्यते।' (भ० आ० टी० २९) २. आगम कथित एक क्रिया विशेष, आयु के अन्त में क्रमश: ध्यान की ओर प्रवृत्ति। इङ्गिनी-अनशनं (नपुं०) चारों प्रकार के आहार का परित्याग इङ्गिनीमरणं (नपु०) स्वयं परिचर्या करते हुए मरण। 'स्वाभिप्रायानुसारेण स्थित्वा प्रवर्त्यमानं मरणं इङ्गिनीमरणम्' (भ० आ० टी० २१) इङ्गदः (पुं०) औषधि वृक्षा इच्छा (स्त्री०) [इप्+श+टाप्] १. इच्छा, अभिलाषा, चाह, वाञ्छा, तृष्णा, आसक्तिा विषयीकृत अभिलाषा। (जयो० १/२) कृतापराधाविव बद्धहस्तौ जगद्धितेच्छोद्रुर्तमग्रतस्तौ' (सुद० २/२६) जगत् के प्राणिमात्र का हित चाहने वाले। 'यदृच्छयाऽनुयुक्तापि न जातु फलिता नरि।' (सुद० २/६३) २. लोभ कषाय का नामान्तर नाम 'एषणं इच्छा' (ज० धव० ७७७) इच्छाकारः (पुं०) शुभ परिणाम प्रवर्तन। 'इच्छाकारोऽभ्युपगमो हर्षः स्वेच्छया प्रवर्तनम्।' (मूल०४/६५) 'एषणं इच्छा, करणं-कारः। इच्छाज्ञानं (नपुं०) रूचि वेदन। (वीरो० ५/३४) इच्छानिरोधः (पुं०) वाञ्छा रहित होना। 'इच्छानिरोधमेवातः कुर्वन्ति यतिनायकाः।' (सुद० १२६) इच्छानुलोम-वाक् (नपुं०) इच्छानुरूप वचन प्रयोग। इच्छाफलं (नपुं०) समस्या का समाधान। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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