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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसाद्य १७३ आस्था मासादनम्।' (त० वा० ६/१०) 'आयं सादयतीति आसादनम्' | आसेधः (पुं०) [आ+ सिध्+घञ्] प्रतिबन्ध, रोक, बन्धन। (जैन०लः २२०) आसेव (अक०) विपरीत आराधना करना। (वीरो० २२/३६) आसाद्य (सं०कृ०) प्राप्तकर, ग्रहणकर। (सुद०३/१०, २/२८) आसेवनं (नपुं०) १. असंयम का सेवन, विपरीत आराधना, आसाम्परायः (पुं०) कषाय अवस्था तक। आसाम्पराय कुशील भावना। 'आसेवना संयमस्य विपरीताराधना तया सदृशोप्यबोधसंचेतनेत्यर्हदधीतिबोधः (सम्य० ११७) १. कुशील आसेवनाकुशी:।' २. क्रियाशीलता, अभ्यास जन्य अपगत, प्राप्त, निकट, सन्निहित। प्रवृत्ति, सतत् अभ्यास। आसारः (पुं०) [आ+स+घञ्] १. अत्यधिक वर्षा, धारावाहिक | आसेवना (स्त्री०) विपरीत आराधना। वृष्टि। १. आक्रमण, धावा, आघात। २. प्रसार-प्रसरण आसेवित (वि०) पूजित, सेवा जन्य। (भक्ति० २२) समूह, पंक्ति-(जयो० ३/७६, ६/५१)। 'कर्बुरासारसम्भूतं आस्कन्दः (पुं०) [आ+स्कन्द्+घञ्] १. आक्रमण, धावा, पद्मरागगुणान्वितम्।' (जयो० ३/७६) 'आसारस्तु प्रसरणे आघात। २. चढ़ना, आरोहण करना। ३. दुर्वचन, निन्दा। धारावृष्टौ सुहृदयबले' इति विश्वलोचनः। (जयो० ६/२१) आस्कन्दन (नपुं०) [आ+स्कन्द्+ल्युट] १. आक्रमण, धावा, आसिक (वि०) [असि ठक्] असिधारी, तलवार युक्त, आघात। २. आरोहण, चढ़ना, सवारी करना। खङ्गधारी। आस्कंदित (वि०) आरोहित, चढ़ा हुआ, सवारी जन्य। आसिका (स्त्री०) आसन। (जयो० ३/२२) आस्तरः (पुं०) [आ+स्तृ+अप्] १. चादर, २. दरी, ओढ़ने का आसिधारं (नपुं०) [असिधारां इव अस्यत्र अण] असिधाराव्रत, वस्त्र। ३. विस्तरण, प्रसरण, फैलाव। कठिन व्रत, दृढ़ नियम। आस्तरणं (नपुं०) १. झूल, हस्तिकुथ। पथि सादिवरः कृतेक्षण: आसी (स्त्री०) आशीष, आशीर्वाद। 'उत्तमाङ्ग सुवंशस्य हस्तिपोष, हाथी की जीन, हस्ति पर लटकती हुई झूल। यदासीद्दपिपादयो:।' (सुद० ४/४) कृतवानास्तरणं तु वारणे।' (जयो० १३/४) २. बिछावन, आसीविषः (पुं०) दंत विष, दाढ विष, भुजंगविष। 'आस्यो दरी, साज, सामान। 'आस्तरणं संस्तरोपक्रमणम्' दंष्ट्रास्तास विप येषां ते आसीविष:।' (जैन ल०२२०) (सा०ध०५/४०) 'णमो आसीविसाणं. इदं चिद्वेषनाशनार्थम्।' (जयो० ७० आस्तारः (पुं०) [आ+ स्तृ+घञ्] बिछाना, फैलाना, प्रसारण। १९/१७) जो विद्वेष को दूर करने वाला है वह 'आसीविष' आस्तिक (वि०) ईश्वर या पूर्वजों पर विश्वास नहीं करने कहलाता है। वाले। (जयो० वृ० ४/६४) आसुतिः (स्त्री०) [आ+सु+क्तिन्] अर्क, काढा, रस, निचोढ़। आस्तिकजनः (पुं०) पूर्वज, पितर लोग। 'आश्विनकृष्णपक्षे आसुरः (पुं०) राक्षस। पूर्वजानां प्रीत्यर्थमास्तिकजनैः श्राद्धानि विधीयन्ते' (जयो० आसुर (वि०) असुर से सम्बन्ध रखने वाला, राक्षसी, अमानवीय। ४/६४) * श्रद्धाशील व्यक्ति। आसुर-विवाहः (पुं०) वर से द्रव्य लेकर कन्या का विवाह आस्तिकता (वि०) विश्वास करने वाला, श्रद्धास्पद जन्य। ___ अमानवीय विवाह। आस्तिक्य (वि०) आस्तिक्य बुद्धि विशेष। ईश्वर-परलोका दौ आसुरिकी (वि०) प्राणि पीड़न की दृष्टि रखने वाला, दया विश्वासः। (जयो० वृ० २/७४) जीवादि पदार्थ यथायोग्य रहित भावना वाला। अपने स्वभाव से संयुक्त हैं, इस प्रकार की बुद्धि। आसुरी (स्त्री०) शल्यचिकित्सा। 'जीवादयोऽर्था यथास्वं भावैः सन्तीति मतिरास्तिक्यम्।' आसूचन (नपुं०) विशेष सूचना। (त० वा० १/२) आसूत्रं (नपुं०) १. सूत्र पर्यन्त, आगम विषय पर्यन्त। २. सूत्र युक्त। | आस्था (स्त्री०) [आ+स्था+अङ्] श्रद्धा, पूजा, आदर, सम्मान। आसूत्रिक (वि०) [आ सूत्र+ क्त] सूत्रधारक। 'सोमे सुदर्शने काऽऽस्था समुदासीनतामये' (सुद० ८७) आसेकः (पुं०) [आ सिच्+घञ्] खींचना, 'डालना, ऊपर 'त्वमिमां शेचनीयास्थामाप्तो नैष्ठुर्ययोगतः।' (सुद० १३४) फेंकना। नवें सर्ग की उक्त पंक्ति में 'आस्था' का अर्थ 'अवस्था' आसेचनं (नपुं०) [आ+सिप्ल्यु ट] सिंचन करना, छिड़कना, है। २. आशा, दशा, अवस्था, परिणति भाव। आस्थातुमबिखेरना, सींचना। निवस्तुम्। स्थान पाने के लिए For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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