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आश्विनकृष्ण पक्षः
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आसादनं
आश्विनकृष्ण पक्षः (पुं०) पूजित श्राद्धपक्ष। (जयो० ४/६४) आश्विनमासः (पुं०) शरदकाल का प्रारंभिक महिना। (जयो०
वृ० ४/६५) आश्विनसमयः (पुं०) आश्विन मास का अवसर। (जयो०
१२/१३९) आश्विनेयः (पुं०) अश्विनीकुमार 'आश्विनेयोऽद्वितीयत्वान्ने
द्रोऽवृद्धश्रवस्त्वतः। (दयो०६८) आर्षवर्मन् (पुं०) आर्षमार्ग। (जयो० २/१०८) आषाढः (पुं०) १. आषाढमास। (वीरो० ४/२) २. विजयार्ध
की दक्षिणा श्रेणी का एक नगर, विद्याधर नगर। आषाढमासः (पुं०) आषाढ महिना। (वीरो० ४/२) आषढीगुरुपूर्णिमा (स्त्री०) (वीरो० १३/३४) आस् आ: (अव्य०) प्रत्यास्मरण, पुनः पुनः स्मरण। आस् (अक०) बैठना, रहना, स्थित होना, ठहरना, स्थान
लेना, रखना, परिणत होना। 'आस्तां मद् विषये देवि' (सुद० ८५) 'अस्याः क आस्तां प्रिय एवमर्थः।' (सुद०
२/२२) आसः (पुं०) [आस्+घञ्] आसन, स्थान, आसक (अव्यक्त) इस तरह, इस प्रकार। आसकि (अव्य०) इस प्रकार, इस तरह। यह प्रयोग 'प्रत्यास्मरण'
अर्थ में प्रयुक्त हुआ। अङ्गाभिधानः समयः समस्ति यस्यासको
पुण्यमयी प्रशस्ति। (सुद० १/१५) आसक्त (भू० क० कृ०) [आ+सञ्+क्त] १. अनुरक्त, ।
संलग्न, तत्पर, उद्यत, जुटा हुआ, लगा हुआ, 'आसक्त-संलग्नम्। (जयो०६/१०८) २. स्थिर, शाश्वत, रहने वाला- 'दर्पासक्तमना:।' (जयो० वृ०६/१०८) ३.
नपुंसकता का एक लक्षण) आसक्तचित्तं (नपुं०) अनुरक्त मना। 'आसक्तं संलग्नं मनो
यस्य सः' (जयो० वृ० ६/१०८) त्वय्याऽऽसतमना नरेश'
(सुद० ९८) आसक्तिः (स्त्री०) [आ+ सञ्+क्तिन्] अनुरक्ति, अनुराग,
अभिलाषा, वाञ्छा। १. भक्ति, गुणानुराग। आसङ्गः (पुं०) अनुराग, आसक्ति, अनुरक्ति, भक्ति, सम्पर्क,
बन्धन। आसङ्गिनी (स्त्री०) [आसङ्ग इनिङीप्] १. अनुरक्त भाव
वाली, २. चक्रवात, वर्तुलाकार पवन, बबूला। आसञ्जनं (नपुं०) [आ+सञ्ज ल्युट्] १. मेल, आसक्ति, अनुराग।
२. बांधना, मिलाना, चिपकाना।
आसतिः (स्त्री०) दुराचारिणी (सुद०) आसत्ति (स्त्री०) [आ+सद् क्तिन्] १. संयोग, मिलन, बन्धन।
३. लाभ, उपलब्धि, उपार्जन। आसन् (नपुं०) मुख, मुंह, बदन। आसनं (नपुं०) १. स्थान, बैठक, डाभ/दर्भ, आसिका (जयो०
३ (वीरो० ४/३१) कुशासन। २. ध्यान की प्रक्रिया, पद्मासन पर्यंकासन, कायोत्सर्गासन। अर्धपर्यंकासन, वज्र, वीर, मुख, कमल। 'भास्वानासनमायाद्याथो-दयाद्रिमिवोन्नतम्। (सुद० ७८) २. शय्या, बैठने या शयन करने
का स्थान। (जयो० वृ० १/७९) ३. अवस्थान। आसनक्रिया (स्त्री०) आसन उपयोग। आसना (स्त्री०) चटाई, शय्या, सहारा, आश्रय स्थान। आसानाख्यानं (नपुं०) आसनाभिधान, १ आसन नामक वन
अथासनाख्यान-वनेकृतिस्थिति, निषेव्य भद्रोवरधर्मकं यतिम्।
(समु० ४/६) आसन्दी (स्त्री०) [आसद्यतेऽस्याम् आ सद्-ट] तकिया, आराम । कुर्सी, टेकने की तकिया। आसन्न (वि०) दुषित चरित्र वाले। 'संयतसाद् यो हीन:'
(भ० आ० टी० २५) आसमन्नतात् -चारों ओर से
(जयो० ४/६) आसन्नकालः (पुं०) मृत्यु की निकटता का समय। आसन्नतात्र (वि०) निकटता। (वीरो०२०/२०) आसन्नपरिचायकः (पुं०) सेवक, निकटस्थ, रक्षक। आसन्नभव्यता (वि०) निकट भव्यता, रत्नत्रय विषयक योग्यता। आसन्नमरणं (नपुं०) दृषित मरण, चारित्रविमुखमरण। आसम्बाध (वि०) [आसमन्तात् सम्बाधा यत्र) रोका गया,
अवरुद्ध किया। आसवः (पुं०) [आ+सु+अण] अर्क, काढ़ा. मद्य, शराब।
'अधोऽथ पीतासव-सुन्दरेभ्यः' (जयो० १६/३७) 'अथासव पानान्तरं पीतेनास्वादितेन तेनासवेन द्राक्षादिसमुत्थेन मद्येन।'
(जयो० वृ० १६/३७) मद्य-'आसवं मद्यं प्रसन्नतयाश्नुते' (जयो० २५/६५) 'ययुर्यदा
यान्ति ममासवो ननु जनुष्मता सन्ध्रियते मुहस्तनुः।' (दयो० ३९) 'दयोदय की उक्त पंक्ति में 'आमव' का अर्थ
'प्राण' भी है। आसादनं (नपुं०) [आ+सद्+णिच्+ ल्युट] १. प्राप्त करना,
ग्रहण करना, उपलब्ध करना। २. वेदन, रोकना, निरोधा ३. द्वितीय गुणस्थान का नाम 'वाक्काभ्यां ज्ञानवर्जन
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