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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आश्विनकृष्ण पक्षः १७२ आसादनं आश्विनकृष्ण पक्षः (पुं०) पूजित श्राद्धपक्ष। (जयो० ४/६४) आश्विनमासः (पुं०) शरदकाल का प्रारंभिक महिना। (जयो० वृ० ४/६५) आश्विनसमयः (पुं०) आश्विन मास का अवसर। (जयो० १२/१३९) आश्विनेयः (पुं०) अश्विनीकुमार 'आश्विनेयोऽद्वितीयत्वान्ने द्रोऽवृद्धश्रवस्त्वतः। (दयो०६८) आर्षवर्मन् (पुं०) आर्षमार्ग। (जयो० २/१०८) आषाढः (पुं०) १. आषाढमास। (वीरो० ४/२) २. विजयार्ध की दक्षिणा श्रेणी का एक नगर, विद्याधर नगर। आषाढमासः (पुं०) आषाढ महिना। (वीरो० ४/२) आषढीगुरुपूर्णिमा (स्त्री०) (वीरो० १३/३४) आस् आ: (अव्य०) प्रत्यास्मरण, पुनः पुनः स्मरण। आस् (अक०) बैठना, रहना, स्थित होना, ठहरना, स्थान लेना, रखना, परिणत होना। 'आस्तां मद् विषये देवि' (सुद० ८५) 'अस्याः क आस्तां प्रिय एवमर्थः।' (सुद० २/२२) आसः (पुं०) [आस्+घञ्] आसन, स्थान, आसक (अव्यक्त) इस तरह, इस प्रकार। आसकि (अव्य०) इस प्रकार, इस तरह। यह प्रयोग 'प्रत्यास्मरण' अर्थ में प्रयुक्त हुआ। अङ्गाभिधानः समयः समस्ति यस्यासको पुण्यमयी प्रशस्ति। (सुद० १/१५) आसक्त (भू० क० कृ०) [आ+सञ्+क्त] १. अनुरक्त, । संलग्न, तत्पर, उद्यत, जुटा हुआ, लगा हुआ, 'आसक्त-संलग्नम्। (जयो०६/१०८) २. स्थिर, शाश्वत, रहने वाला- 'दर्पासक्तमना:।' (जयो० वृ०६/१०८) ३. नपुंसकता का एक लक्षण) आसक्तचित्तं (नपुं०) अनुरक्त मना। 'आसक्तं संलग्नं मनो यस्य सः' (जयो० वृ० ६/१०८) त्वय्याऽऽसतमना नरेश' (सुद० ९८) आसक्तिः (स्त्री०) [आ+ सञ्+क्तिन्] अनुरक्ति, अनुराग, अभिलाषा, वाञ्छा। १. भक्ति, गुणानुराग। आसङ्गः (पुं०) अनुराग, आसक्ति, अनुरक्ति, भक्ति, सम्पर्क, बन्धन। आसङ्गिनी (स्त्री०) [आसङ्ग इनिङीप्] १. अनुरक्त भाव वाली, २. चक्रवात, वर्तुलाकार पवन, बबूला। आसञ्जनं (नपुं०) [आ+सञ्ज ल्युट्] १. मेल, आसक्ति, अनुराग। २. बांधना, मिलाना, चिपकाना। आसतिः (स्त्री०) दुराचारिणी (सुद०) आसत्ति (स्त्री०) [आ+सद् क्तिन्] १. संयोग, मिलन, बन्धन। ३. लाभ, उपलब्धि, उपार्जन। आसन् (नपुं०) मुख, मुंह, बदन। आसनं (नपुं०) १. स्थान, बैठक, डाभ/दर्भ, आसिका (जयो० ३ (वीरो० ४/३१) कुशासन। २. ध्यान की प्रक्रिया, पद्मासन पर्यंकासन, कायोत्सर्गासन। अर्धपर्यंकासन, वज्र, वीर, मुख, कमल। 'भास्वानासनमायाद्याथो-दयाद्रिमिवोन्नतम्। (सुद० ७८) २. शय्या, बैठने या शयन करने का स्थान। (जयो० वृ० १/७९) ३. अवस्थान। आसनक्रिया (स्त्री०) आसन उपयोग। आसना (स्त्री०) चटाई, शय्या, सहारा, आश्रय स्थान। आसानाख्यानं (नपुं०) आसनाभिधान, १ आसन नामक वन अथासनाख्यान-वनेकृतिस्थिति, निषेव्य भद्रोवरधर्मकं यतिम्। (समु० ४/६) आसन्दी (स्त्री०) [आसद्यतेऽस्याम् आ सद्-ट] तकिया, आराम । कुर्सी, टेकने की तकिया। आसन्न (वि०) दुषित चरित्र वाले। 'संयतसाद् यो हीन:' (भ० आ० टी० २५) आसमन्नतात् -चारों ओर से (जयो० ४/६) आसन्नकालः (पुं०) मृत्यु की निकटता का समय। आसन्नतात्र (वि०) निकटता। (वीरो०२०/२०) आसन्नपरिचायकः (पुं०) सेवक, निकटस्थ, रक्षक। आसन्नभव्यता (वि०) निकट भव्यता, रत्नत्रय विषयक योग्यता। आसन्नमरणं (नपुं०) दृषित मरण, चारित्रविमुखमरण। आसम्बाध (वि०) [आसमन्तात् सम्बाधा यत्र) रोका गया, अवरुद्ध किया। आसवः (पुं०) [आ+सु+अण] अर्क, काढ़ा. मद्य, शराब। 'अधोऽथ पीतासव-सुन्दरेभ्यः' (जयो० १६/३७) 'अथासव पानान्तरं पीतेनास्वादितेन तेनासवेन द्राक्षादिसमुत्थेन मद्येन।' (जयो० वृ० १६/३७) मद्य-'आसवं मद्यं प्रसन्नतयाश्नुते' (जयो० २५/६५) 'ययुर्यदा यान्ति ममासवो ननु जनुष्मता सन्ध्रियते मुहस्तनुः।' (दयो० ३९) 'दयोदय की उक्त पंक्ति में 'आमव' का अर्थ 'प्राण' भी है। आसादनं (नपुं०) [आ+सद्+णिच्+ ल्युट] १. प्राप्त करना, ग्रहण करना, उपलब्ध करना। २. वेदन, रोकना, निरोधा ३. द्वितीय गुणस्थान का नाम 'वाक्काभ्यां ज्ञानवर्जन For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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