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आमयाविन्
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आमोषः
की बीमारी, मनोव्यथा। (जयो० ६/५८, वीरो० ३/२) २. आमिषं (नपुं०) १. मांस, (जयो० २५/२०) 'अपि तु पूतिपरं क्षति, हानि, कष्ट, पीड़ा।
वनितावणं यदसृगामिषकीकश यन्त्रणम्।' (जयो० २५/२०) आमयाविन् (वि०) [आमय विन्] मन्दाग्नि से पीड़ित, बीमार आमीलनं (नपुं०) [आ+मील+ ल्युट्] उन्मीलन, अक्षि मीलन, रोगग्रस्त।
आंख बन्द होना। आमरणान्त (वि०) [आमरणे अन्तो यस्य] मृत्यु पर्यन्त रहने । आमुक्तिः (स्त्री०) [आ+मुच्+क्तिन्] १. मुक्ति पर्यन्त, २. वाला, आजीवन।
ग्रहण/धारण करना, पहनना। आमरणान्त दोषः (पुं०) हिंसादि पापों में प्रवृत्ति। मरणेवान्तो आमुखं (नपुं०) प्राक्कथन, प्रस्तावना, भूमिका, प्रारंभिकी,
मरणान्तः, आ मरणान्तात् आमरणन्तम् हिंसादिषु प्रवृत्ति नाटक का प्रारंभिक विवेचन, उद्घोषणा। सैव दोषाः।
आमुखं (अव्य०) सामने, मुंह के सामने। आमरसं (नपुं०) रसाल रस, आम्र रस। (जयो० ४/३९) आमुष्मिक (वि०) परलोक सम्बन्धी। आमर्जनं (नपुं०) लीपना, साफ करना, स्वच्छ बनाना। 'आमर्जनं आमुष्यायण (वि०) प्रसिद्ध कुलात्मक, ख्यात कुल में उत्पन्न। मृदुगोमयादिना लिम्पनम्।'
आमूल (वि०) पूर्णरूप, सम्पूर्ण, सभी। (जयो० १४/३३) आमर्त्य (वि०) देव सम्बन्धित। (वीरो० ७/७)
आमेनिर (वि०) सादृश्य, सघन। (सुद० ८३) आमर्दः (पुं०) [आ+ मृद्+घञ्] मसलना, कुचलना, मर्दन आमोचनं (नपुं०) [आ+मुच्+ल्युट] छुड़ाना, मुक्त करना, करना, निचोड़ना।
स्वतन्त्र करना. निकालना, ढीला करना। आमर्शः (पुं०) [ आ+मृश्+घञ्] रगड़ना, घर्पण करना, स्पर्श आमोटनं (नपुं०) [आ+मुट्+ल्यट] विदीर्ण करना, कुचलना। करना।
आमोदः (पुं०) [आ+ मुद्+घञ्] १. प्रसन्नता, हर्ष, विनोद, २. आमर्शनं (नपुं०) शरीर स्पर्शन, रगड़ना। 'शरीरैकदेशस्पर्शनम्' सुरभि, सुगन्ध। समुच्चलत्पल्लव-पाणिलेशमशेष(भ० आ० टी०६४९)
मामोदमहारयेण। (समु० ६/३३) आमर्शलब्धिः (स्त्री०) स्पर्शमात्र की ऋद्धि, स्पर्श से रोग | आमोददा (वि०) १. सुगन्धदात्री, सुगन्ध देने वाली। २. विनोद
शान्ति वाली ऋद्धि, इसे आमीषधि ऋद्धि भी कहते हैं। स्वभावी। आमोददा सुगन्धदात्री 'आ समन्तात् मोदं हर्ष आम”षधि-ऋद्धिः (स्त्री०) स्पर्शमात्र की ऋद्धि जिसके ददातित्यामोददा।' (जयो० पृ० ४/१५) कारण साधक स्पर्श से रोग शान्त करता है।
आमोदनं (नपुं०) [आ+मुद्+ल्युट्] प्रसन्नता, हर्ष, विमोद। आमर्षः (पुं०) [आ+मृष्+घञ्] क्रोध, कोप, गुस्सा। आमोदपूरित (वि०) १. हर्षयुक्त, विनोदभावी, २. सुगन्ध से आमल (वि०) निर्मल, मलरहित। 'शुशुभे प्रचलन्निवामल:।' व्याप्त। कौतुकानकलितालिकलापाऽऽमोदपूरिधरामृदुरुपा। (सुद० ३/७)
(जयो० ५/६४) 'आमोदेन हर्षभावेन पूरितम्' आमोदेन आमलकः (पुं०) आंवला तरु। १. धात्रीफल। (जयो० १४/७५) सुगन्धेन व्याप्तम्। (जयो० पृ० ५/६४) आमलकं (नपु०) आंवला फल। (मुनि० २६)
आमोदपूर्ण (वि०) १. हर्षयुक्त, विनोद स्वभावी 'आमोदपूर्णआमलकी (स्त्री०) १. आंवला वृक्षा २. धात्रीफल।
मखिलं जगदेतदुक्तात्।' (जयो० १८/४३) २. सुगन्ध से आमलकीफलं (नपुं०) धात्री फल। (जयो० वृ० १/३८)
परिपूर्ण। आमोदेन सुगन्धेन आमोदेन प्रसन्न-भावेन वा आम-शक्तिः (स्त्री०) आमाशयशक्ति (वीरो० १९/३)
पूर्ण सम्भृतमिति। (जयो० वृ० १८/४३) आमात्यः (पुं०) [अमात्य+अप] सचिव, परामर्शदाता, मन्त्री। | आमोदमयी (वि०) १. प्रसन्नदात्री, हर्ष प्रदात्री, विनोद स्वभावमयी। (जयो० वृ० १/१२)
२. सुगन्धसहिता। मम वृत्त-कुसुम-मालाऽऽमोदमयी। (जयो० आमानस्यं (नपुं०) [अमानस्। ष्यञ्] दुःख, मनोव्यथा, २४/१०३) व्याकुलता. कष्ट, शोक आर्त, पीड़ा।
आमोदिन् (वि०) [आ+मुद्+णिनि] १. प्रसन्न, हर्षयुक्त, आमासः (पुं०) आपक्ष, पक्षपर्यन्त, माह पर्वत। (सुद० ११८) विनोद सहित। २. सुगन्धित। आमिक्षा (स्त्री०) [आमिष्यते सिच्यते-मिप् सक्] छाछ, । आमोषः (पुं०) [आ+मुष्+घञ्] चोरी, अस्तेय, तस्करी, जमा हुआ दूध, छेना।
अपहरण।
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