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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आप्रदोषः १५७ आभियोग्यः घूमना। समभान्मृदुकेशलक्षणं प्रति राहं हसदाप्रदक्षिणम्। आ-भरणं (नपुं०) पालन-पोषण। (जयो० २६/१५) आ-भद्र-बाहुः (पुं०) भद्रबाहु आचार्य पर्यन्त। (वीरो० २२/५) आप्रदोषः (पुं०) सायंकाल तक, सन्ध्या समय तक। "सम्प्रवृत्तिपर आभा (स्त्री०) [आ+भा अङ्] प्रभा, कान्ति, चमक, वर्ण, आप्रदोषतः।'' (जयो० २/१२२) रूप। (सुद० १०४) प्रतिबिम्ब छाया। आप्रपदीन (वि० ). [आप्रपदं व्याप्नोति] पाद पर्यंत जाना, आभान्त (वि०) प्रतिभासित, चमकीले, प्रभावान्। चरण तक वस्त्र फैलना। 'सन्निधानमिवाऽऽभान्तम्।' (सुद० १०४) आप्लवः (पुं०) [आ+प्लु अप्] स्नान, नहाना, अभिसिंचित आभाणक: (पु०) कहावत, लोकोक्ति, लोककथानका होना। आप्लवस्य अम्बु स्नान जलम्। हरत्याप्लबाम्बु तु आभाष: (पुं०) [आ+भाष्+घञ्] सम्बोधन, प्रस्तावना, भूमिका, पुनाति सच्छिर:। (जयो० २/२८) प्राक्कथन, प्रारम्भिक उद्बोध। आप्लवनं (नपुं०) नहाना, स्नान, अभिसिंचन। आभाषणं (पुं०) [आ+भाष ल्युट्] सम्बोधन, कथन, संलाप। आप्लावः (पुं०) [आ+प्लु+घञ्] स्नान, नहाना, अभिसिंचन आभासः (पुं०) [आ+भास्+अच्] १. प्रभा, चमक, कान्ति, करना। दीप्ति, २. प्रतिबिम्ब, छाया, परछाई। आप्लावनं (नपुं०) १. स्नान, अभिसिंचन, (जयो० १/५८, आभासुर (वि०) उज्जवल, प्रभावान्। सुद० १०१) २. जल प्लावन, जलपूर, जलप्रवाह। आभिग्रहिक (वि०) कदाग्रह से निर्मित। 'अभिग्रहेण निवृतं आप्लुत (भू०) नहाए हुए। (सुद० ३/५) तत्राभिग्रहिकं स्मृतम्।' आफूकं (नपुं०) (ईषत्फुत्कार इव फेनोऽत्र) अफीम, मादक आभिचारिक (वि०) [अभिचार+ठक ] अभिशापित, __ पदार्थ। ___अभिशापपूर्ण। आबद्ध (भू० क० कृ०) बन्धा हुआ, निर्मित। आभिजन (वि०) [अभिजन+अण] जन्म सम्बन्धी, वंशसूचक, आबद्धं (नपुं०) बांधना, जोड़ना, संयुक्त करना। कुलात्मजा आबन्धः (पुं०) [आबध्। घन] बन्ध, मिलान, संयुक्त। आभिजात्यं (नपुं०) [अभिजात ष्यञ्] १. कलीनता, वंश आबर्हः (पुं०) [आ• बह घञ्] फाड़ डालना, विदीर्ण करना, की श्रेष्ठता। २. पाण्डित्य, प्रज्ञा युक्त। छिन्न-भिन्न करना। आभिधा (स्त्री०) [अभिधा+अण] ध्वनि, शब्दशक्ति। आबाधः (पुं०) [आ+बा+घञ्] कष्ट, दुःख, पीड़ा, चोट। आभिधानिक (वि०) [अभिधान ठक्] अभिधान सम्बन्धी, आबाधा (स्त्री०) न बाधा अबाधा। अबाधा चेव आबाधा। कोश सम्बन्धी। (धव० ५/१४८) १. पीड़ा, दुःख, कष्ट। २. कर्मबन्ध को आभिनिबोधिक (वि०) मतिज्ञान का नाम, इन्द्रिय और मन प्राप्त हुआ द्रव्य, जितने समय तक उदय या उदीरणा को द्वारा जानने योग्य। 'अभिनिबुध्यते वाऽनेनेत्याभिनिबोधिकः।' नहीं प्राप्त होता वह आबाधाकाल है। इंदिय-मणोणिमित्तं तं आभिणिबोहिगंवेत। आबाधाकाण्डकः (पुं०) प्रमाण विशेष, जिससे विवक्षित । आभिनिवेशिक (वि०) दुराग्रह रूप प्रतिपादन। 'अभिनिवेशे कर्म की उत्कृष्ट स्थिति ज्ञात हो। भवं आभिनिवेशिकम्।' आबोधनं (नपुं०) [आ+बुध+ ल्युट] ज्ञान, सम्बोध, अनुभव, आभिमुख्यं (नपुं०) [अभिमुख+ष्यञ्] सम्मुख होना, सामना सूचन। करना, समीप उपस्थित होना, अपनी बात के लिए आब्द (वि०) [अब्द+अण] बादल से उत्पन्न। आमने-सामने आना। आब्दय (वि.) [अब्द+अण+क] बादल से उत्पन्न। (सम्य० | आभियोगिक (वि०) पराधीनता युक्त कार्य करने वाला। १५५) अभियोग: पारवश्यम्, स प्रयोजनं येषां ते आभियोगिकाः। आब्दिक (वि०) [अब्द+ ठञ् ] वार्षिक, सम्वत्सरिक, सालाना। आभियोगिकभावना (स्त्री०) गौरवपूर्ण प्रवृत्ति की भावना। आभरणं (नपुं०) [आ। भृल्युट्] आभूषण, अलंकरण, आभियोगिकी (स्त्री०) सेवा युक्त भावना। 'आ समन्तात् विभूषण, गहना, सौन्दर्य के कारण। 'सरिताभरणभूषणसारैः।' आभिमुख्येन युज्यन्ते प्रेष्यकर्मणि व्यापार्यन्त'। (जयो० ५/११) आभियोग्यः (पुं०) दास स्थान, 'आभियोग्या दाससमाना, For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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