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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आत्म-दर्शन १४७ आत्मवत् आत्म-दर्शनं (नपुं०) निज दृष्टा, आत्म दर्शक, स्वभाव अवलोकन, स्वमत परिदर्शक। आत्मदृष्टि (स्त्री०) आत्म दर्शन। (दयो० १००) आत्म-द्रोहिन (वि०) अपने आपको पीडित करने वाला। आत्मधी: (स्त्री०) स्वकीय बुद्धि। (सुद० १२७) आत्मध्यान परायण (वि०) आत्म-स्वरूप चिंतन करने वाला। (सुदः १३३) आत्मन् (पुं०) १. आत्मा, जीव, चैतन्य, २. इव, निज, अपना, आत्मीय, ३. मन, बुद्धि। (सम्य० १३८. १३१) ४. आत्मा, परमात्मा, बहिरात्मा, अन्तरात्मा। ५. निज-स्वस्यात्मनोऽभ्युदयो यस्य। जीव-आत्माऽनात्मपरिज्ञानसहितस्य। (सुद० पृ० १३३) अपना-परमप्यनुगृह्णीयादात्मने पक्षपातवान्। (सुद०४/४४) ज्ञानेनाद्याऽऽत्मनश्चित (सुद० ४/३६) आत्मा-सच्चिदानन्दमात्मानं ज्ञानी ज्ञात्वाऽङ्गतः पृथक्। (सुद० ४/११) तत्तत्सम्बन्धि चान्यच्च त्यक्त्वाऽऽत्मन्यनुरज्यते।। (सुद० ४/११) स्व-सुस्थितिं समयरीतिमात्मनः सङ्गतिं परिणति तथा जनः। (जयो० २४४७) देहं वदेत्स्वं वहिरात्मनामाऽन्तरात्मतामेति विवेकधामा। विभिद्य देहात्परमात्मतत्त्वं प्राप्नोति सद्योऽस्तकलङ्कसत्त्वम्।। (सुद० १३३) आत्मन्येवाऽऽत्मना। चिन्तयतोऽस्य धीमतः। (सुद० १३५) आदर्श इव तस्यात्मन्यखिलं बिम्बितं जगत्। (सुद० १३५) 'आत्मास्ति ज्ञानसम्पन्नोऽप्यभियुक्तोऽप्यनादितः। (हित० सं०१) आत्मने हितमुशन्ति निश्चयम्। (जयो० २/३) आत्मनाथ: (पुं०) प्राणेश्वर, प्राणप्रिय। (जयो० १२/१०) आत्मनिन् (वि०) आत्महित युक्त। (सुद० ११९) आत्मनीन् (वि०) आत्महितकारी, आत्मकल्याणकारी। (भक्ति० ४) स्वभावभूतं सुखमात्मनीनम्। (भक्ति० ४) आत्मपथं (नपुं०) आत्ममार्ग। (वीरो० १६/१५) ०स्वपथ, ०कल्याणपथ। आत्म-परिणामः (पुं०) आत्म स्वरूप, आत्म स्वभाव। (जयो० वृ० १/७४) निजभाव, आत्म-भाव। आत्मपुरुषः (पुं०) निज व्यक्ति, स्वकीय पुरुष। (मुनि० २९) आत्मप्रतिष्ठ (वि०) आत्मनिष्ट, आत्माधीन। योगे नियोगेन मुनिः प्रवृत्त आत्मप्रविष्ठः खलु तन्निवृत्तः। (जयो० २७/१०) आत्मनि प्रतिष्ठा स्थितिर्यस्य स। आत्मप्रथा (स्त्री०) आत्मा की स्थिति। आत्मनः स्वस्य प्रथा। (जयो० २/११०) आत्मप्रिया (स्त्री०) प्राणप्रिया। (वीरो० २२१/१९) आत्म-फल (वि०) आत्म परिणाम, आत्म स्थिति। उदोर्य कर्मानुदय-प्रणाशात्तदग्रतोबन्धविधे, समासात्। यथोत्तरं हीनतयानुभावादजन्ममृत्योरयमीक्षिता वा।। (समु० ८/१७) कर्मों के अभाव से जन्म-मृत्यु रहितपना की प्राप्ति आत्मा के प्रयत्न का फल है। आत्मबलं (नपुं०) आत्मशक्ति, आत्मप्रभुत्व, आत्म तेजस्। (जयो० १/११३) बलमखिलं निष्फलं च तच्चेदात्मबलं नहि यस्य। (सुद०७०) आत्मभावः (पुं०) अन्तर्भाव, आत्मबुद्धि। (सम्य० ११/४५) आभ्यन्तर परिणाम, आत्मशक्ति। आत्मभूः (पुं०) १. प्रज्ञ पुरुष, विद्वान्। २. ब्रह्मा, ब्रह्मदेव। मासि मासि सकलान्विधु बिम्बानात्मभूस्तिरयते श्रितडिम्बान्। आत्मभूः ब्रह्मा, यः खलु लोकैः सृष्टिकर्ता कथ्यते। (जयो० वृ०५/२३) आत्मभूत (वि०) आत्मने यो भूतो हितकरः। आत्म हितकारी। 'आत्मभूतनयताऽधिगमाया' (जयो० १४/१) आत्म-मानिन् (वि०) स्व उपयोगशाली। (जयो० २४/१२९) आत्ममित्रमय (वि०) स्वकीय सखा वत्। (जयो० १/२३) आत्ममुखं (नपुं०) अपना मुख, निजानन। (सुद० १२५) आत्ममत्रि (वि०) स्वामात्य। (जयो० ३/६६) निजीय, आत्म दृष्टि युक्त। आत्मयुत् (वि०) आत्म सहित। आत्मयुक्तिः (स्त्री०) आत्म-उपाय। (जयो० १/१) आत्म-रत (वि०) आत्मतल्लीनता। आत्मति (स्त्री०) आत्म राग। आत्मरमा (स्त्री०) प्राणप्रिया, मनोरमा। (सुद० ११३) एवं विचिन्तयन् गत्वा पुनरात्मरमा प्रति। (सुद० ११३) आत्म-रश्मिः (स्त्री०) अक्षि किरण, आंख का प्रकाश। आत्मनः स्वस्य रश्मि अक्षिकिरण। (जयो० १०/११९) आत्मरीतिः (स्त्री०) स्वकुलाचारनियम। सम्पठेत् प्रथमतो ह्युपासकाधीतिगीतिमुचितात्मरीतिकाम्। (जयो० २/४५) आत्म-वञ्चित (वि.) आत्म वंचिता, निज ठगित, अपने आप ठगा गया। विश्व-विश्वसनमात्मवञ्चितिः। (जयो० २/५१) आत्मनो वञ्चितिर्वञ्चना भवति। आत्मवत् (वि०) आत्म तुल्य, निजात्म स्वरूप। शवभूरात्मवता वितता। (सुद० ९२) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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