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अस्पृश्य
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अहर्निश
अस्पृश्य (वि०) अस्पर्शित, अछूत, नहीं छूने योग्य, अशुचि, अस्वादुल (वि.) ०स्वाद न लेने वाले, रस विमुक्त, आहार अपवित्रा
में रस पर विचार करने वाले। सन् स्यात्किन्तु सदर्पितेन अस्फुट (वि०) दुरुह, अस्पष्ट, अव्यक्त, अस्वच्छ।
शमनं कुर्यात्क्षुधोऽस्वादुल:। (मुनि० पृ० १०) अस्मद् (सर्वः) [ अस्मदिक्] इसका प्रयोग तीनों लिंगों में अस्वाध्यायः (पुं०) [न स्वाध्यायो अंगग्रंथानाम्] स्वाध्याय
होता है। वयं भवामः। ( सुद० ७०) वयं वदामः (सुद० रहित, पठन-मनन मुक्त। २/२३) मयैकाकी किलैकदा। (सुद० ८५) रे युवते रते अस्वास्थ्य (वि०) रोग, पीड़ा, बाधा, दु:ख। मयाऽधीतारे। (सुद० ८) ममामुक मेवसमूहजेतो। (सुद० अस्वास्थ्यकर (वि०) रुज, रोग। (जयो० ११/५३) २/१३) वाग्यस्यास्ति नः शस्ति कवित्व गावा। (सुद० अह (अव्य०) स्तुति, वियोग, दृढ़ संकल्प, निश्चय, १/१) कथा पथायातरथा मुदे वः।। (सु०१/४) निषेवमाणे अस्वीकृति आदि के अर्थ में 'अह' का प्रयोग होता है। मयि यस्तु षण्डः (सुद० १/७) मातः स्तवस्तु पदयोस्तव अहहेति सहर्षाश्चर्य। (वीरो० २/४९) मे स एष। (जयो० १०/९७)
अहं (नपुं०) अहंकार, अभिमान, अहंभाव। अस्मत्क्रम (नपुं०) हमारा क्रम, हमारा काम। अस्मत्क्रमो अहम्मन्यता (वि०) अहंकार दोष वश। (वीरो० १५/५६) गोनिवहार्जनाय। (समु० १/१९)
अहङ्कारित (वि०) अभिमान जनित। (वीरो०) अस्मदीय (वि०) मेरे, हमारे, हम सबके। अस्मदीय- अहंकरः (नपुं०) अहंकार, अहंभाव, आश्चर्यकारक, (जयो०
करकार्यमनुस्यात्। (जयो० ४/४२) किमस्मदीय-बाहुभ्यां १०/९५) (वीरो० ८/२९)
अहङ्कारः (पुं०) ०अहंकार, ०अभिमान, ०अहंभाव, गर्व, अस्मयी (वि०) अभिमानी. अहंकारी। स्मयोऽस्यास्तीति अस्मयी। घमण्ड। निजाहङ्कारतो व्याजोऽकम्पनेनायमूर्जितः। (जयो० ७/४५)
निजाहङ्करिता स्वर्गकारणात्। (जयो०७/४) आश्चर्य भाव, अस्माकं (सर्व०) हमारे लिए, मेरे लिए। (वीरो० १९/२२) किं अहंभाव अहंकृतिरहंकारोऽहमस्य स्वामीति जीवपरिणाम:। तस्य कथयाऽस्माक सिद्धिः। (दयो० पृ० ३२)
(युक्त्यानुशासन-१३२) अपने दुराग्रह का नाम भी अहंकार अस्मात् (सर्व०) इमलिए, इस प्रकरण, इस हेतु। है। ममकार, मम आदि को भी अहंकार कहा गया। स्वान्वयकर्मकृदरमादस्तु। (जयो० २/११६)
अहन्त (वि०) अहम्भाव रहित-मुञ्चेदहन्ता परतां समञ्चेत् (वीरो० अस्मादृश (वि०) हमारे जैसा, हम जैसा। अस्मादृशां भवितुमर्हति १८/३८)
भिक्षां। (जयो० ४/४१) अस्मादृशा अपि दृशा बिबभुर्विहीना। अहंयु (वि०) [अहम् युस्] अहंकारी, अभिमानी, घमण्डी, (जयो० २०४२९)
स्वार्थी, लोलुपी। अस्मि (अव्य०) [अस्+मिन्] मैं हूँ।
अहस्करः (पुं०) सूर्य रवि। (वीरो० १४/१८) अस्मिता (स्त्री०) [अस्मि तत्+टाप्] अहंकार, अभिमान, अहत (वि०) क्षय रहित, घात रहित, अक्षत। गर्व, घमण्ड।
अहन् (नपुं०) [न जहाति त्यजति सर्वथा परिवर्तनम अस्मृतिः (स्त्री०) अस्मरण, विस्मरण, भूलना, याद न रहना। न+हा+कनिन्] दिन, दिवस। यद्वा निशाऽह:स्थितिवद्विपत्ति। अम्रः (पुं०) [अस्+रन्] १. किनारा, तट। २. कोश, ३. सिर (सुद० १११) के बाल।
अहम् (सर्व०) अस्मद् शब्द के कर्ता एकवचन में 'अहम्' का अस्व (वि०) १. अकिंचन, कुछ भी नहीं, त्यागजन्य अवस्था। प्रयोग होता है। त्वामहं न तनोमि जानामि विवृणोमि। २. निर्धन, दरिद्र।
(जयो० वृ० १/१) जवनिनाशकृदेवमहं वृक्षा। (जयो० अस्वतंत्र (वि०) परातंत्र, पराधीन, पराश्रित।
९/३०) अस्वप्न (वि०) जागृत, स्वप्न रहित, निन्द्रा मुक्त, सचेत, | अहंस् (नपुं०) पाप, अशुभक्रिया। 'मम शान्तिविकृद्धयंहसां तु चेष्टावंत।
प्रलयः।' (जयो० १२/१०२) अहंश्च तेषां शान्तिवृद्धिअस्वरः (पुं०) मन्दस्वर, क्षीणस्वर, स्वराभाव।
पापानाम्।' (जयो० वृ० १२/१०२) अस्वस्थ (वि०) रोगी, व्याधि जन्य।
अहर्निश (नपुं०) रात-दन, नक्तदिवस। निदापि क्षुद्राऽभवद्
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