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अवबोध:
११६
अवरुद्धिः
अवबोधः (पुं०) [अव+बुध+घञ्] १. ज्ञान, जानना. समझना, अवमानः (पुं०) [अव• मन्+घञ्] १. प्रमाण विशेष, अवमित
प्रबुद्ध होना, बोध, २. जागना, जागृत होना, ३. संसूचन, किया जाना, प्रमाण जन्य, माप-तौल। शिक्षण।
अवमान (नपुं०) अनादर, अवज्ञा, अपमान, निरादर। (जयो० अवबोधक (वि०) [अव+बुध+ण्वुल्] जागृति, ज्ञान संकेत। ७/५) अवमानं तिरस्कारं कृतवान्। (जयो० पृ०७/५) अवबोधनं (नपुं०) बोध, ज्ञान, जागृति, प्रकाशन, प्रत्यक्षीकरण। अवमाननं (नपुं०) [अव+मन्+णिच्+ ल्युट्] अनादर, तिरस्कार, (सम्य०८२)
अपमान, अवज्ञा। अवबोधि (पुं०) १. ज्ञान, २. निश्चय, निर्णय।
अवमानना (स्त्री०) अवगणना, अवज्ञा। अवभङ्गः (पुं०) [अव+भङ्ग्+घञ्] १. जीतना, हराना, नीचा | अवमानिन् (वि०) [अव+मन् णिच्+णिनि] अवज्ञाकर्ता, अनादर दिखाना, २. तोड़ना, अलग-अलग करना।
करने वाला, अपमान करने वाला, तिरस्कार कर्ता। अवभा (अक०) चमकना, सुशोभित होना। (जयो० ३/१६) अवमानित (वि०) अवज्ञात, अनाहत, अवहेलक, अपमानित, उपेक्षित। अवभान्ति स्म/शुशुभिरे। (जयो० पृ० ३/१६)
अवमारुत (पुं०) नीचे चलने वाली हवा।। अवभावः (पुं०) विशेष भाव।
अवमूर्धन् (वि०) [अवनतो मूर्धाऽस्य] नम्रीभूत, नम्रगत। अवभावित (वि०) प्रभावित, सुशोभित। मधुनोद्यानभिवावभावितः। । अवमोचक (वि०) मुक्त कर्ता, स्वतंत्र। करने वाला। अवभास् (अक०) शोभित होना, चमकना।
अवमोचनं (नपुं०) [अव मुच्+ ल्युट्] मुक्त करना, स्वतंत्र अवभासः (पुं०) [अव+भास्+घञ्] १. चमक, प्रभा, कान्ति। करना, छोड़ना। प्रकाश, २. ज्ञान, प्रत्यक्षीकरण।
अवमौदर्य (नपुं०) कम आहार ग्रहण करना, अवमोदरस्यभाव: अवभासक (वि०) [अव+ भास्+ण्वुल] प्रकाशक, प्रभावान्, अवमौदर्यम्/न्यनोदरता। (भ० आ०टी०४८७) कान्तिमय।
अवमृत्युः (पुं०) अकाल मृत्यु, अकारण मृत्यु। अवभासण (वि०) प्रकाशक, प्रभावान्, कान्तिमय, प्रभाकर्ता। अवयवः (पुं०) १. पर्व, सन्धि, ग्रन्थि, गांठ। (पर्वेति अवयवअवभासिन् (वि०) देदीप्यमान्, प्रभावान्।
सन्धिम्रन्थि। (जयो० पृ० ३/४०) २., शरीर, व्यञ्जन, अवभासित (वि०) प्रकाशित, कान्तियुक्त।
स्वररहित अक्षर। (जयो० पृ० ३/४९), ३. तर्कसंगत, अवभुग्न (वि०) [अव+भुज्+क्त] झुका, वशीभूत, आकुञ्चित। युक्ति युक्त, अनुमान घटक। न मनसीति भजे: किमु अवभूथः (पुं०) शुद्धि स्नान।
'विन्दुनाप्यवयवावयवित्वमिहाधुना।' (जयो० ९/४६) अवम (वि०) [अव्+अमच्] १. पापपूर्ण। २. घृणित, अपमानित, अवयवावयवित्व (वि०) अवयव अवयविभावत्व, अनुमान निन्दनीय। ३. खोटा, घटिया, निम्न, अधम।
प्रयोग का वाक्यांश। (जयो० ९/४६) अवमत (भू०क०कृ०) [अव+मन्+क्त] घृणित, अपमानित, | अवयाविनी (वि०) अवयव युक्त। निन्दनीय। १. अवज्ञान, अवगणित।
'विद्यातन्मयावयविनी विरवद्या।' (जयो० ५/४०) अवमतिः (स्त्री०) [अव मत् क्तिन्] अनादर, अपमान, घृणा, | अवर (वि०) [न वरः इति अवर:] १. आयु में छोटा, २. अरुचि।
पश्चात्वर्ती, अन्य, दूसरा, तद्भिन्न, ३. अनुवर्ती, उत्तरवर्ती, अवमर्दः (पुं०) [अव+मुद्+घञ्] कुचलना, मर्दन करना, महत्त्वहीन। मसलना, विनाश, नाश।
अवरतः (अव्य०) पश्चात्वर्ती, अन्य, तद्भिन्न। अवमर्दक (वि०) विनाशक, घातक, मसलने वाला।
अवरतिः (स्त्री०) [अव+रम क्तिन्] १. विरम, विश्राम, आराम, अवमन् (सक०) अवज्ञा करना, निरादर करना, अपमान २. रुकना, स्थिर होना, ठहरना। करना।
अवरीण (वि.) खोटा, मिला हुआ। अवमन्य (वि.) त्याज्य, छोड़ने योग्य। 'तत्कशास्त्रमवमन्यतमिति।' अवरुग्ण (वि०) [अव+रुज्+क्त] १. रोगी, व्याधि युक्त, २. (जयो० २/६६)
त्रुटित, भग्न। अवमल (वि०) मल रहित, निर्दोष। 'बहुसञ्चरितदमवमलं भुवः।' अवरुद्धिः (स्त्री०) [अवरुध्+क्तिन्] ०प्रतिबन्ध, प्रतिरोध, (जयो०१४/४६)
०अवरोध, ०रुकावट।
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