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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अवक्वाथः www.kobatirth.org अवक्वाथः (पुं० ) [ अव + क्वथ्+घञ् ] ०कच्छा, ०पकाना, ०कम उबालना, ०कच्चा पाक, ०अपरिपक्व । अवक्षय: (पुं० ) [ अव+क्षि+क्षच्] नाश, ध्वंस, विनाश, हानि, तबाही। अवक्षयणं (नपुं०) [ अव+क्षि + ल्युट् ] वह्नि शमन साधन, अग्निशमनक। अवक्षेप: (पुं० ) [ अव+क्षिप्+घञ] ०निन्दा, आक्षेप, ०लाञ्छन, ० आरोप। + अवखण्डनं (नपुं० ) [ अव• खण्ड ल्युट् ] विभक्त करना, विभाग करना, खण्ड करना, बांटना, नष्ट करना । अवखात (वि०) गहरा खण्ड, खाई खातिका । अवगणनं (नपुं०) (अवगण ल्युट् ] अवज्ञा, तिरस्कार, अपमान, असम्मान, आरोप, लांछन, मान, निन्दा, घृणा । अवगण्ड: (पुं०) कपोल फुंसी, फोड़ा। अवगत (वि०) प्राप्त, पहुंचा, चल गया, ज्ञात हुआ 'वक्रगतिः सहसाऽवगता।' (सुद० पृ० १०५) मया नावगतं भद्रे ! (सुद० ७३) हे भद्रे ! तुझे कुछ भी ज्ञात नहीं। अवगतिः (स्त्री० ) [ अव + गम् + क्तिन्] दृढ़ता, उचित गति, अच्छा ज्ञान प्रत्यक्षीकरण, समझ, सम्मुख | अवगम (पुं०) [ अव+गम्+घञ्] प्रत्यक्षीकरण, समझना, जानना, अधोगमन, नीचे की ओर अग्रसर । । " अवगाव (भू०क०कृ०) १. प्रगाढ़, गहरा ० अत्यधिक घनीभूत ०२. प्रविष्ट, निवड, डूबा हुआ, आविष्ट निबद्ध, अवगाढरुचिः (स्त्री०) दृद्धान, यथार्थरुचि (त०वा०३/३६) अवगाढ सम्यक्त्व (वि०) दृढ़ प्रतीति, श्रुत आस्था / आगम श्रद्धान्। ( महापुराण ७४ /४४८) अवगाह: (पुं० ) [ अव+गाह्+घञ्] निमग्न, स्नान, दुबकी लगाना, प्रविष्ट होना। अवगाहनं (नपुं०) निमग्न, स्नान, प्रविष्ट होना । अवगाहित (वि०) आलोचित मान्य अहहमूढतया न मया हितं सुमतिभाषितमप्यवगाहितम्। (जयो० ९/३१) अवग्गा (सं० कृ०) अवगाह्य करके (जयो० वृ० २ / १५ ) निगग्न होकर, प्रविष्ट होकर । · अवगीत (भू०क० कृ० ) [ अव+क्त] १. निन्दा, आरोप, घृणा, अपमान, कोसना, चोट पहुंचाना, हृदयघात करना । २. परिहास, धिक्कार, उपहास। अवगुण (सक० ) [ अवगुणय्] खोलना, उद्घाटन करना। अवगुणः (पुं०) अपराध, दोष, लाञ्छन, आरोप, आक्षेप, ११२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुर्गुण । सर्वानवगुणांल्लातीत्यबला प्रणिगद्यते । (जयो० २/१४५) अ-वचनीयः अवगुण्ठ (नपुं० ) [ अव+गुण्ठ ल्युट् ] घूंघट, वस्त्राच्छादन, छिपाना, बुर्का ओढ़ना, पर्दा करना। अवगुण्ठनं देखो अवगुण्ठ । अवगुण्ठनवत् (वि०) वस्त्राच्छादित किया, घूंघट किया, पर्दा किया गया। अवगुण्ठिका (स्त्री०) घूंघट, पर्दा, आवरण, आच्छादन । अवगुण्ठित (वि० ) [ भू०क०कृ०] [ अवगुण्ठ+क्त] आच्छादित पर्दा किया गया, घूंघट लिया, आवृत किया। अवगूढ (वि०) आलिंगित, व्याप्त, ० आवृत । अवगोरणं (नपुं० ) [ अव+गर्ल्युट्] आक्रमण करना, प्रहार करना, धमकाना । अवगूहनं (नपुं० ) [ अव+गृह् + ल्युट् ] छिपाना, आच्छादन, आवरण, प्रच्छन्न करना। अवगूहित (वि०) आश्लेषित, आच्छादित। अवग्रह (सक०) ग्रहण करना, लेना। (वीरो० १८/४७) अवग्रह: (पुं० ) [ अव + ग्रह+घञ्] १. आलोचन, अवधारण, वस्तु का बोध होना, २. साधु की आहार क्रिया की अवधारणा अवगृह्यते अनेन घटाद्यर्था इत्यवग्रहः । (धव० ९ / १४४) वस्तुभेदस्य ग्रहणं तदवग्रहः । (त० श्लो०१/१५) ३. सन्धिच्छेद करना अलग-अलग करना, पद विभाजन करना, पृथक्ता के लिए विराम लगाना, ४. बाधा, रोक, दण्ड | अवग्रहणं (नपुं०) रुकावट, बाधा, अवरोध, विराम | अवग्राहः (पुं० ) [ अव+ग्रह-घव्] वियोजन, टूटना, नष्ट होना, अवखण्डन, विखण्डन । अवघट्ट (पुं० ) [ अव घट्ट घञ्] १. गुहा, बिल, मांद, २. चक्की, घरघट्टी, आटा चक्की अवघर्षण (नपुं० ) [ अव-पृष्+घञ्] रगड़ना, मलना, पीसना । अवघातः (पुं० ) [ अव+हन्+घञ् ] पीड़ा पहुंचाना, मारना, घात करना आरम्भ करना, तीव्र प्रहार | अवघूर्णनं (नपुं० ) [ अव+घूर्ण+ ल्युट् ] घूमना, चक्कर लगाना, परिभ्रमण । अवघ्राणं (नपुं० ) [ अव +घ्रा+ ल्युट् ] सूंघने का भाव, सुरभिग्राहक । अवचन (वि०) १. मूक, मुखरी, मौन, २. वाणी रहित, वचनाभाव । For Private and Personal Use Only अ-वचनीयः (वि०) अशिष्ट, अश्लील, ० अकथनीय, ० अभाषणीय, अनौचित्य । o
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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