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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरविन्दः १०१ अरुचिता मुखारविन्दानि यात्रासु। (जयो० ६/५३) 'अरविन्दधिया अरिनारीनिकर (वि०) शत्रुस्त्रीसमूह। 'किलारिनारीनिकरस्य दधद्रवि।' (वीरो० ७/१०) नूनं वैधव्यदानादयशोऽप्यनूनम्।' (जयो० १/६०) अरविन्दः (पुं०) सारस पक्षी। अरित्रं (नपुं०) [ऋ+इत्र] १. कवच, शत्रु रक्षक कवच, २. अरविन्दाक्ष (वि०) कमल सदृश नेत्र। पतवार, डांड, लंगर। "नरतिलको रणजलधिं युक्तोऽरित्रेण अरविन्दिनी (स्त्री०) [अरविन्द इनि+डीप] कमल नाल, विशदमति।" (जयो० वृ०६/६६) "अरित्रेण कवचेन, पक्षे कमलदण्ड। मत्स्यादिभ्यः परित्रायक-काष्ठेन युक्तः सन्।" (जयो० वृ० अरस (वि०) रसाभाव, नीरस, रसविहीन। ६/६६) 'कृतासु दैवेन विपत्स्वरित्रम्।' (भक्ति०सं०९) अरसिक (वि०) रसकता रहित, राग विहीन, अनुरागक्षीण।। अरिभावः (पुं०) षष्ठस्थान, चंद्रमा रूप जन्मपत्र के अराग (वि०) राग मुक्त, विरागजन्य, प्रशान्त, सौम्य, सरस। अरिभाव/शत्रुभाव। 'यस्यारिभावे गुरुशुक्लतास्ति।' (जयो० अरागता (वि०) राग की शून्यता, सौम्यता, सरसता, शान्तभावता। १५/६९) अराजक (वि०) प्रभुत्वहीन, राजसत्ता रहित, राजा विहीन। अरियौवति (स्त्री०) शत्रु नारी, वैरियों की स्त्रियां। निज-निजअराजन् (वि०) जो राजा न हो। कराग्र-टङ्कोट्टङ्गैररियौवतैर्यस्य। (जयो० ६/६०) अरातिः (पुं०) वैरी, शत्रु, दुश्मन। 'अरातिवर्गस्तृणतां बभारं।' अरिवर्ग (वि०) शत्रु समूह, वैरी समूह। 'स्वर्णे तृणे (जयो०८/४७) मित्रगणेऽरिवर्गे'। (भक्ति०सं० २६) अरातिवर्ग (वि०) शत्रुसमूह, वैरिसमूह। (जयो०८/४७) अरिवर (वि०) शत्रुजन, वैरी विशेष। 'यमुनमारिवरेण समर्पितां।' अरादक (वि०) अनर्थ, अनिष्टकारी। (समु० ७/११) (समु० ७/११) अरादक-सन्तति (वि०) अनिष्टकारी परम्परा। (समु० ७/११) अरिव्रज (वि०) शत्रु समूह। “अरीणां शत्रूणां व्रजः समूह:।'' अरिः (पुं०) शत्रु, वैरी, दुश्मन। (सम्य० १५३) (जयो० (समु० १/७) १/२) दधुर्नार्योऽरयश्चैव। (जयो० ३/१०५) 'कस्य अरिष्ट (वि०) सम्पूर्ण, पूर्ण, ०अविनाशी, अक्षत, निरापद। करेऽसिररेरिति सम्प्रति।' (सुद० ७४) गत्वाऽरिरप्यस्य न विद्यते अरिष्टं अकल्याणं येषां ते अरिष्टा: कथोपगामी। (जयो० १/२५) अरिष्टः (पुं०) बगुला, अरण्यवायस्। अरिकर्षण (वि०) शत्रु-पीड़ित। अरिष्टं (पुं०) अनिष्ट, अहित। अरिकुल (वि०) वैरी समूह। अरिष्टः (पुं०) अरिष्टनेमि, बाइसवें तीर्थंकर। 'अरिष्टनेमि अरिक्त (वि०) ०व्यर्थ नहीं 'कम नहीं, ०क्षीण नहीं।' पृतनजिमाशु।' (दयो० वृ० २८) अनि:शेषित (जयो० २/१०७) (जयो० वृ० १/१७) अरिष्टनेमि देखो अरिष्टः। अरिचिन्तनं (नपुं०) शत्रु विचार, शत्रु योजना। अरिष्टमथनः (पुं०) शिव, विष्णु। अरिता (वि०) शत्रुता, वैमनस्वता। 'नाम्बुधौ मकरतोऽरिता अरिष्टसूदनः (पुं०) विष्णु का उपनाम। हिता।' (जयो० २/७०) अरीतिः (स्त्री०) दुर्नीति, दुर्व्यवहार, दुराचरण, दुष्प्रवृत्ति। अरि-तिरीटज (वि०) शत्रुभूपकिरीटज, शत्रु मुकुटों की मणियां। । 'अरीतिकर्तापि सुरीतिकर्ता।' (जयो० १/१२) चरणयोर्मणयोऽरितिरीटजाः। (जयो० ९/६३) अरीतिकर्ता (वि०) १. वैरियों के लिए उपद्रव करने वाला। अरिञ्जयः (पुं०) अरिञ्जय नामक रथ, जयकुमार का रथ। "अरिषु शत्रषु ईतिर्व्यथा तस्याः कर्तेति।" (जयो० वृ० (जयो०८/६९) अङ्गीचकाराध्व-कलङ्कलोपी ह्यरिञ्जयं नाम १/१२) २. दुर्नीतिकर्ता-'अरीतिदुर्नीतिस्तस्याः कर्तेति। (जयो० रथं जयोऽपि। (जयो० ८/६९) वृ० १/१२) अरिदारा (स्त्री०) ०शत्रु स्त्री, वैरी नारी कुल-कलंकिनी। | अरुचिः (स्त्री०) उदासीन, अपराग, अनिच्छा, अहितकर। 'स 'क्षालितमरिदारदृग्जलौघेन।' (जयो० ६/३८) दानधर्मेकृतवान्पुनारुचितम्।" (समु० ४/६) अरिनन्दन (वि०) शत्रु को प्रसन्न करने वाला। अरुचिता (वि०) अपरागता, अरुचि प्रकट करने वाला, अरिनारी (स्त्री०) शत्रु नारी, वैरी स्त्रियां। 'तकाञ्छतत्वेन अनेच्छुक। तद्गुणश्रवण-सम्भवदरुचितया कर्णकण्तिम्। किलारिनार्यः।' (जयो० १/२६) (जयो० ६/८९) For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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