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अरुचिधारिणी
१०२
अकीर्तिः
अरुचिधारिणी (वि०) उदासीन, आलस्यचिह्न, विजृम्भण। (जयो० | अरुणोपभासि (वि०) ०महदी, मेंहदी, लालिमा, रागिमा। वृ० ६/३९)
अरुणया महदींति नामिकयोपभासि रक्तं लोहितं महदी/मेंहदी। अरुचिर् (वि०) अरुचिकर।
(जयो० वृ० १५/७५) अरुज् (वि०) स्वस्थ, नीरोग।
अरुद्र (वि०) सौम्याकृति, सौम्य् रूपवान्। ०रौद्र रहित, अरुज (वि०) स्थस्थ, नीरोग।
"शिवतातिं गुरुतात्तरामरुद्रः।" (जयो० वृ० १२/५) अरुण (वि०) सन्ध्याराग, सन्ध्यारक्तिम्, सन्ध्या की लालिमा। अरुन्तुद (वि०) [अरुषि मर्माणि तुदादि इति-अरुस्+तुद्+
(जयो० १५/२४) "पातुं किलात्रारूणम नमेषं।।""अरुणोऽ- खश्+मुम च] पीड़ाजनक, कष्टदायक। नुरुसूर्ययोः, कुष्ठे चाव्यक्त रागे च सन्ध्यारागे च पुंस्यम्।" अरुन्धती (स्त्री०) [न रुन्धती प्रतिरोषकारिणी] प्रभात कालीन इति विश्वलोचनः।
तारा। अरुण (वि०) व्याकुल, दुःखी, (जयो० २७/४७) 'अरुणो अरुष (वि०) शान्त, कुद्ध। कान्तिमान, प्रभाजन्य। विस्मित, व्याकुलेऽपि च' इति विश्वलोचनः।
अरुष देखें ऊपर। अरुण (वि०) राग, अनुराग, लालिमा। (जयो० २५/६०) अरुस् (वि०) [ऋ+उसि] घायल, चोटग्रस्त।
"अरुणतो गुणतः स्वयमात्मनः विरम्।" "नीरवारक्त- अरुह (वि०) अरहन्त, अर्हत्, संसार रहित। कपिल-व्याकुलष्वरुणोऽन्यवदिति विश्वलोचनः।
अरूप (वि०) १. रूप रहित, कुरूप, २. अमूर्तिक, आकार अरुणः (पुं०) १. अरुण देव। 'अरुणः उद्यद् भास्करः, रहित, निराकार, निर्मल, शुद्ध रूप, रूपातीत।
तद्वतेजोविराजमाना:। २. सूर्य का सारथि। (जयो० १२/८२) अरूपक (वि०) आकृति रहितता, रूप रहिता, रूपक रहित। अरुणं (नपुं०) १. लाल रंग, २. केसर, ३. सोना।
अरूपी (वि०) रूप रहित, शब्द, गन्धादि रहित, अमूर्तिक अरुणदम्य (वि०) सूर्य के घोड़ों को जीतने वाला। 'अरुणस्य द्रव्य। अमूर्त द्रव्य (वीरो० १९/३६) न विद्यते रूपमेषामित्य
सूर्यसारथेदेम्यान् घोटकाञ्जितवान्।" (जयो० वृ० १२/८२) रूपाणि। (स०सि०५/४) अरुणप्रियः (पुं०) सूर्य, दिनकर।।
अरे (अव्य०) [ऋ+ए] ०अपने से छोटे को बुलाने के लिए अरुणमाणिक्य (वि०) लाल माणिक से युक्त। (सुद० ३/१९) प्रयुक्त अव्यय, ईर्ष्या प्रकट करने के लिए भी 'अरे' का
"शुशुभे छविरस्य साऽन्विताऽरुणमाणिक्य-सुकुण्डलोदिता।' प्रयोग किया जाता है। "अरे राम रेऽहं हता निर्निमित्तं (सुद० ३/९)
हता।" (सुद० ९५) अरे राम रे! मैं बिना कारण मारी गई। अरुणा (स्त्री०) मेहंदी। अरुणया महदीति नामिकयोपभासि अरेपस् (वि०) निष्पाप, निष्कलंक, निर्मल, पवित्र। रक्त-लोहित।
अरे रे (अव्य०) विस्मयादि बोधक अव्यय, घृणात्मक आह्वानन अरुणाग्रजः (पुं०) गरुड।
के लिए प्रयुक्त। अरुणानुजः (पुं०) गरुड।
अरोक (वि०) कान्तिहीन, प्रभारहित, मलिन। अरुणाम्बर (वि०) लोहिताम्बर, आकाश को लाल बनाने अरोग (वि०) रोग रहित, व्याधि विहीन।
वाला। ओष्ठ एवमरुणाम्बर-जल्पः। (जयो० वृ०६/४२) अरोगिन् (वि०) रोग से रहित, नीरोग, स्वस्थ, तंदुरुस्त। 'ओष्ठोऽरुणं लोहितमम्बरमाकाशं जल्पतीति।' (जयो० अरोचक (वि०) अरुचिकर, जुगुप्सा। वृ०५/४२)
अर्क (सक०) प्रकाशित करना, उष्ण करना, स्तुति करना। अरुणित (वि०) लाल किया गया, रक्तिम, अनुरागित, अनुरञ्जित। अर्क् (पुं०) [अ+घञ्] १. सूर्य, दिनकर, रवि। (जयो० अरुणिम (वि०) अरुणिमा, लालिमा। (जयो० २५/५)
८/२२) २. किरण, प्रभा, चमक, ३. वह्नि, स्फटिक, अरुणिमा देखो अरुणिम।
तांबा, ४. आक का पौधा, मदार। अर्क : क्षुद्र वृक्ष विशेष। अरुणिमान (वि.) लोहित भाव, आरक्तवर्ण लालिमागत। (जयो० वृ०७/६९) (जयो० १५/१)
अर्क् (पुं०) अर्ककीर्ति राजा, चक्रवर्ती पुत्र, भरतपुत्र। (जयो० अरुणीकृत (वि०) अरुणिमा, लालिमा, अनुराग युक्त किया ५७/५६, जयो० ८/२०) गया।
अर्ककीर्तिः (पुं०) अर्ककीर्ति राजा, चक्रवर्ती पुत्र। आदिराज
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