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अमर्त्यः
अमित्रजित्
(जयो०५/३१) पुनरमर्त्यहीनजनैश्च। अम]त्यत्र अकारस्य (त्रि०साल्टी० ६८३) सहचर, सचिव, अनुयायी। (जयो० ईषदर्थकत्वेन हीनार्थकत्वात्।' (जयो० वृ० ५/३१)
३/२०) अमर्त्यः (पुं०) देव, अमर। (नमा अमास्तैः देवैः (जयो० अमात्यवर्गः (पुं०) सहचरवर्ग, नतवर्ग, विनम्रवर्ग। (जयो० वृ०५/३१)
३/२०) अमर्मन् (नपुं०) मृदु, कोमल, मर्म रहित।
अमानवं (वि०) विनम्र, क्षमाशील, विनीत। अमर्याद (वि०) मर्यादा रहित, प्रतिकूलता युक्त, अनादर अमानव (वि.) [न मानवोऽमानवो देवः] देवता, देव, अमर। कर्ता, सीमातिक्रान्तका
(वीरो० १७/२४) मनुष्यों में असाधारण। (जयो० २८/१०) अमर्ष (वि.) असहनशील, धैर्यविहीन, शक्ति रहित, सहिष्णुता (जयो० ३/१०१) से रहित।
अमानवचरित्रं (नपुं०) विशिष्ट चरित्र, उत्तम चरित्र, अमर्षण (वि०) असहिष्णु, धैर्यशून्य, क्षमा न करने वाला। ०असाधारण चरित्र। (जयो० ३/२७) अमषिन् (वि०) १. असहिष्णु, सहनशीलता रहित। २. क्रोधी, अमानुष (वि०) १. राक्षीस, अमानवीय, २. अलौकिक, अपार्थिव। प्रचण्ड।
(दयो० ५१) अमल (वि०) निष्पाप, निर्मल, स्वच्छ, परिशुद्ध, मल रहित। | अमानुषोचित (वि०) राक्षसी प्रवृत्ति, अमानुषिक वृत्ति। (दयो०
(जयो०७/२) 'नक्षत्रकमालिकाऽमला।' (जयो०१०/४८) वृ०१) (स्वच्छ एवं अति सुन्दर नक्षत्रमाला)
अमानुष्य (वि०) अलौकिक, मानवीयता रहित। "अमले परिशुद्धे भूतले निश्चलामलजलवति।" (जयो० | अमाभिधान (नपुं०) अमावस्या की रात्रि। अमाभिधानेऽन्यत्राहो वृ० १२/१३१) प्रभावत्यधुनाऽमलार्या। (जयो० वृ० २३/६९) समुदासीनतामये। (सुद० ८७)
प्रभावती चामला निष्पापाऽर्याभूत। (जयो० वृ० २३/६९) अमाम (स्त्री०) अमावस्या। अमलगुणः (वि०) निर्मल गुण, पवित्रगुण। (जयो० ७/२) अमाय (वि०) छल रहित, कपट विहीन, सरलता युक्त, अमलता (वि०) स्वच्छता, पवित्रता, निर्मलता। 'समेति निष्कपट, सौम्य। २. माप विहीन। यत्रामलतामनेन'। (वीरो०१/९)
अमायिक (वि०) निश्छल, सरल, निष्कपटी। अमलतोयं (नपुं०) स्वच्छ जल, निर्मल जल। "दृष्ट्वा अमावस्या (स्त्री०) अमा, अमावसी, सूर्य और चन्द्र के संयोग
समुद्रोमलतोयमिष्टः।" (जयो० २१/७८) अमलेन तोयेन का दिन। अमा च अमवस्यातिथिः। (जयो० वृ० ३/१०१) मिष्टोऽसौ 'समुद्रो। (जयो० वृ० २१/७८)
अमावस्यां सूर्येन्दुसङ्गमो भवतीति ख्यातिः (जयो० वृ० अमला (स्त्री०) अमरा, देवी, लक्ष्मी।
३/१०१) अमलिन् (वि०) स्वच्छ, शुभ्र, श्वेत, पवित्र, निर्मल। अमावसी (स्त्री०) चन्द्रमा का दिन, अमा, अमावस्या। अमसः (पुं०) [अम्+असच्] रोग।
अमित (वि०) अपरिमित, असीमित, सीमा रहित, विशाल, अमहेशः (पुं०) कामदेव, मदन। (जयो० ५/७५)
अत्यधिक, पर्याप्त। 'परिवदामि सदाऽमित-शासन।' (जयो० अमा (स्त्री०) अमावस्या, नूतन चन्द्रमा का दिन, सूर्य और ९/१०)
चन्द्र के संयोग का दिन। सूर्या चन्द्रमसावास्यं रेजाते अमित-शासनं (नपुं०) अपरिमित शासन, विशाल शासन। कुण्डल्छलात्। (जयो० ३/१०१) अमा च अमावस्यातिथिः। 'अमितमपरिमितं शासनं यस्या' (जयो० वृ० ९/१०) (जयो० वृ० ३/१०१) अमावस्यायां सूर्येन्दुसङ्गमो भवतीति अमितोन्नतिः (स्त्री०) पर्याप्तोच्चानि, अधिक उन्नति, बहत ख्यातिः। (जयो० वृ० ३/१०१)
ऊँचे। अमितोन्नतिमन्ति निर्मलान्यभ्युचितायतविस्तराणि वा।' अमा (अव्य०) से, पास, सन्निकट, साथ, जैसा कि।
(जयो० १३/६५) अमा (पुं०) १. आत्मा, २. व्यास।
अमित्रः (पुं०) [अम्+इत्र] शत्रु, विरोधी, प्रतिद्वन्द्वी, विपक्षी। अमांस (वि०) जर्जरदेह, मांस रहित, क्षीण काय, मांस छोड़ने वाला। (जयो० २३/३) अमार्गः (पुं०) अनभिज्ञ, अनजान।
अमित्रजित् (वि०) १. शत्रुपरिहारक, शत्रुजयी। अमिवजित् अमात्यः (पुं०) [अमा+त्यक्] मन्त्री, अमात्य: देशाधिकारीत्यर्थः शत्रुपरिहारकोऽसावेव-मित्रजिद-पीति विरोधस्तस्य परिहारो।
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