________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अभ्रमुः
अमर्त्य
वाली। २. आकाश की ओर देखने वाली। अभ्रमालोकतया अमनुष्य (वि०) अमानुषिक, मानवता रहित। चरिष्णोः।' (जयो०५/१०१) अभ्रमाकाशं चरिष्णोः (जयो० अमनोज्ञ (वि०) अप्रिय, अनिष्ट, घातक, हानिकारक, वृ० ५/१०१)
०बाधा जन्य। "अमनोज्ञं अप्रियं। 'कृत्वाऽन्यथाभावअभ्रमुः (स्त्री०) [अभ्र+मा+उ] हथिनी, हस्तिनी, ऐरावत मथामनोज्ञे।' (भक्ति सं०४८)
हाथी की सहचरी। (जयो० २३/६६) गजस्येव कपटाभ्रमुकायां अमन्त्र (वि०) असंस्कारित, मन्त्रहीन, मन्त्रों से अनभिज्ञ। मनसो बहुलापाया।
अमन्द (वि०) न्यूनता रहित, स्फूर्तिमान्, शक्तिसम्पन्न, बलयुक्त। अभ्रमुका देखों ऊपर।
(जयो० वृ० १/३२) तेज, प्रबल, अधिक। "नटी मुदामन्दअभ्राभ्र-विधूदित (वि०) आकाश पटल पर अधिकार करने
पदाममेयं।" (जयो० १/३२) अमन्दानि, न्यूनतारहितानि ___वाली। (वीरो० १३/७) "प्रत्येकमभ्राम्र-विधूदितानाम्।"
प्रशस्तानि च। (जयो० वृ० १/३२) 'बभुः कन्दा इवामन्दाः।' अभ्रान्तर (वि०) मेघ के अन्तर, मेघमध्य, आकाश के बीच।
(जयो० १०/८८) उक्त पंक्ति में 'अमन्द' का अर्थ ___'अभ्रान्तरमितमुपेत्य वारिभरं।' (जयो० ९/९४)
प्रकाशमान है। अभ्रिः (स्त्री०) कुदाल, खुरपी।
अमम (वि०) ०ममकार रहित, ०अहंकार रहित, ०आसक्तिअभ्रित (वि०) [अभ्रिइतच्] मेघाच्छादित, बादलों से आवृत्त।
विहीन, ममत्वरहित, समत्वशील। अभ्रिय (वि०) [अभ+घ] मेघ सम्बन्ध, बादलों से उत्पन्न, मेधोत्पन्न।
अममता (वि०) समत्वभावना, स्वार्थविमुक्त। इच्छाशून्य। अभ्रेष (वि०) योग्यता, उपयुक्तता।
अमर (वि०) अविनाशी, मृत्यु रहित।
अमरः (पुं०) देव, देवता। "सम्भृष्यमरवद्विसर्जनमतः।" (सुद० १०३) अम् (अव्य०) [अम्+क्विप्] शीघ्र, त्वरित, जल्दी।
अमरगणः (पुं०) देवनिकाय, देवसमूह। 'अमरगणाश्च वदन्ति अम् (अक०) १. सेवा करना, सम्मान करना, शब्द करना,
महोदयम्।' (जयो० १/९९) २. भोजन करना, ३. आक्रमण करना, टूट पड़ना, कष्ट
अमर-कोषः (पुं०) अमरसिंह रचित कोष। होना, रोग होना।
अमर-तरुः (पुं०) दिव्य तरु, कल्पवृक्षा अमः (पुं०) [अम+घञ्] १. कच्चा , अपरिपक्व, २. आमरोग,
अमरता (वि०) अमरत्व, देवत्व। (वीरो० १४/२२) रुग्णता। ३. अनुचर, सेवक।
अमरताभिलाषी (वि०) देवत्व का इच्छुक। (वीरो० १४/२२) अमङ्गल (वि०) ०अशुभ, ०अकल्याणकर, ०अहितकर,
अमरपुरी (स्त्री०) देवपुरी, देवलोक। दुर्भाग्यपूर्ण, भाग्यहीन।
अमर-वन्दित (वि०) देव पूजित। "तस्मै समस्तामर-वन्दिताया" अमण्ड (वि०) अनलंकृत, अविभूषित।
(भक्ति वृ० २३) अमत (वि०) अज्ञात, असम्मत, अमान्य।
अमरा (स्त्री०) देवाङ्गना, देवी। (जयो० २/१४) अमति (वि०) दुर्बुद्धिः, दुष्टमन, दुश्चरित्र।
अमराङ्गना देखो अमरा। अमतिः (स्त्री०) अज्ञान, संज्ञाहीन, ज्ञानशून्य।
अमरावती (स्त्री०) स्वर्गपुरी। (दयो० वृ०९) "तिपरिपूर्णतयाऽमअमत्त (वि०) उन्मत्त, धुत्त।
रावतीमतलस्पर्शतया।' अमत्रं (नपुं०) [अमति भुक्ते अन्नमत्र-अम्+आधारे अत्रन्] अमरी (स्त्री०) देवाङ्गना, देवी। मितामरीभिर्मधुराधरीभिः। (जयो० पात्र, भाजन, वर्तन, भाण्ड।
२७/१९) अमत्रं (नपुं०) बल, शक्ति, सामर्थ्य। 'अमत्रमत्र प्रदधार मातुः।' अमरीचय (वि०) देवाङ्गना समूह, देवीकुल। (जयो० २२/२३) (वीरो०५/३९)
अमरेशः (पुं०) इन्द्र, शक्र, पुरन्दर, देवों का ईश। (वीरो० अमत्रगत (वि०) उदार, ईर्ष्या रहित, द्वेष हीन।
९/२६) प्रजल्पनेऽनल्पतयैव तत्परा इवामरेशस्य च चारणा अमनस् (वि०) मन विहीन, अनियन्त्रित।
नराः।" (वीरो० ९/२६) अमनस्क (वि०) [न विद्यते मनो येषां ते] (स०सि०२/११) | अमरैकवेदी (वि०) अर्हत् स्वरूप के ज्ञाता, सर्वज्ञत्व वेत्ता।
मनरहित, मन का अभाव। द्रव्यमन और भावमन से "वेदिरगुलिमुद्रायां बुधेः संस्कृत भूतले" इति विश्वरहित। (तत्त्वार्थसूत्र महा०वृ० ३४)
लोचनः। अमनाक् (अव्य०) अत्यधिक, बहुत।
अमत्य (वि०) अविनाशी, अक्षय, अजर, दिव्य अहीन।
For Private and Personal Use Only