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अभ्यागमनं
अभ्युदितातुकम्प
अभ्यागमनं (नपुं०) [अभि+आ+गम्+ ल्युट्] अनुगमन, अभ्युक्षणं (नपुं०) [अभि+उ ल्युट्] अभिसिंचन, तर करना, __ उपागमन, प्राप्त होना, पहुंचना।
छींटना। अभ्यागारिकः (पुं०) [अभि+आगार+ठन्] ०यत्नशील, | अभ्यचित (वि०) प्रचलित, समुचित, विशेष। अमितोन्नतिमन्ति परिवार-रक्षणशील।
निर्मलान्यभ्युचितायत-विस्तराणि वा। (जयो० १३/६५) अभ्याघातः (पुं०) प्रहार, आक्रमण, हनन, विध्वंस।
अभ्युच्चयः (पुं०) [अभि+उत्+चि+अच्] १. बुद्धि, आगम। अभ्याङ्गन (नपुं०) [अभि+अङ्ग ल्युट्] तैल मर्दन, शरीर
२. समुन्नत, अतिशिष्टि। मालिश। (मुनि०११)
अभ्युज्झित (वि०) त्यक्त, परित्यक्त, त्याज्या ‘स कोऽपि अभ्याइनकारिणी (वि०) तैल मालिश करने वाली। (मुनि०व०
योऽभ्युज्झित-कामसत्कृतिः।" (वीरो० ९/६) ११)
अभ्युत्क्रोशनं (नपुं०) [अभि+उत्+क्रुश्+ल्युट्] उच्चोचारण, अभ्यावदानं (नपुं०) [अभि+आ+दा+ल्युट्] उपक्रम, प्रारम्भ,
उच्चीत्कार, उच्चोदघोष। सूत्रपात्र करण, समारम्भ।
अभ्युत्थानं (नपुं०) [अभि+उद्+स्था ल्युट्] १. उठना, अभ्याधानं (नपुं०) [अभि+आ+धा+ल्युट्] डालना, रखना,
सम्मानार्थ उठना, प्रस्थान करना, गमन करना, कूच प्रक्षेपण, निक्षेपण।
करना। २. उन्नति, सम्पन्नता, मर्यादा। अभ्यान्त (वि०) [अभि+आ+अम्+क्त] व्याधिजन्य, रोगाक्रान्त,
अभ्युत्पतनं (नपुं०) [अभि+उत्+पत्+ल्युट्] कूद पड़ना, रोगी, पीडित, रूग्ण।
गिरना, ०आक्रमण करना, ०उत्क्रमण, अनुत्पतन, छलांग अभ्यापातः (पुं०) [अभि+आ+पत्+घञ्] सङ्कट, आपत्ति,
लगाना। विपत्ति, दुर्भाग्य।
अभ्युदयः (पुं०) [अभि+उद्+इ+घञ्] उद्गम, उदय, अभ्यामर्दः (पुं०) [अभि+आ+मृद+घञ्] आरोहण, चढ़ना,
नि:सरण, उत्थान, उन्नति, सफलता। २. उपक्रम, सवार होना, ऊपरीगमन।
उत्सव, आनंद। 'समुत्सवकरस्याऽस्याऽभ्युदयेन रवेरिव।' अभ्यावृत्तिः (स्त्री०) [अभि+आ+वृत्+क्तिन्] अनुचिन्तन,
(जयो० १/१११) अभ्युदयेन-पुण्यपरिपाकेन। (जयो० वृ० पुनर्चिन्तन, दुहराना, बार-बार याद करना, ०अनुप्रेक्षण, अनुशीलन।
१/१११) जयोदयं स्वाभ्युदयाय शक्त्या। (जयो० १/१) अभ्याश (वि०) [अभि+अश्+घञ्] व्याप्त, सन्निकता,
अभ्युदयो-ज्ञानादिलक्षणः। (जयो० १/१) उक्त पंक्ति में समीपता, प्राप्त होना।
अभ्युदय का अर्थ 'कल्याण' भी। 'कुतः परस्याभ्युदयं अभ्यासः (पुं०) [अभि+आ+अस्+घञ्] आवृत्ति, अध्ययन,
सहेरन्।" (सुद० २/४४) 'भद्रस्याभ्युदयो यथा।' (समु० तल्लीन, अनवरत भाव, (जयो० वृ० ११/४५)
९/३१) (भद्र की उन्नति) अभ्यासगत (वि०) आवृत्ति प्राप्त, अध्ययन गत, मनन युक्त।
अभ्यदुयभाजि (वि०) अभ्यदुय शील, उन्नतिशील, उदय अभ्यास-तत्पर (वि०) अभ्यास में लीन।
___ करने वाला। 'दृष्टिरभ्युदयभाजि जनानां।' (जयो० ५/२८) अभ्यास-तल्लीन (वि०) अभ्यास तत्पर, ०अध्ययनशील, मनन अभ्युदस्त (वि०) समुत्थापित, उठाता हुआ, ऊँचा करता भाव सहित।
हुआ। 'कलितोष्ममिषोऽभ्युदस्त-वक्त्रो।' (जयो० १२/१२२) अभ्यासपर (वि०) अध्ययन में लीन, अभ्यासाग्रणी, प्रयत्नशील। अभ्युदारः (पुं०) अत्युत्कृष्ट, अत्यन्त उदार, प्रबलता युक्त। 'नरायितस्येवाभ्यासपरा।' (जयो० १४/२६)
'प्रमुक्तये सारतयाभ्युदारं।' (भक्ति०सं०१०) 'सारोऽभ्युदारो अभ्यासादनं (नपुं०) [अभि+आ+सद-णिच्+ल्युट्] शत्रु का दयिते।' (जयो० १७/३६) सामना करना, आक्रमण करना।
अभ्युदाहरणं (नपुं०) [अभि+उद्+आ+ह ल्युट्] निदर्शन, अभ्याहननं (पुं०) [अभि+आ+हन्+ ल्युट्] उपघात, प्रहरन, उदाहरण, विपरीत युक्ति के लिए दृष्टान्त। पीडन, वाधन, हनन, प्रतिपीडन, प्रतिघातन।
अभ्युदित (वि०) प्रकट हुई, व्यक्त हुई, निकली। स्वस्मिन् अभ्याहारः (पुं०) [अभि+आ+ह+घञ्] अपहरण, अनुग्रहण, __कला साभ्युदितास्तु यस्य। (भक्ति० सं० ३९) सं आनयन, बंधन बनाना, रोकना।
अभ्युदितातुकम्प (वि०) दयाधारिन्, करुणाशील, अनुकम्पावान्।
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