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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभ्यागमनं अभ्युदितातुकम्प अभ्यागमनं (नपुं०) [अभि+आ+गम्+ ल्युट्] अनुगमन, अभ्युक्षणं (नपुं०) [अभि+उ ल्युट्] अभिसिंचन, तर करना, __ उपागमन, प्राप्त होना, पहुंचना। छींटना। अभ्यागारिकः (पुं०) [अभि+आगार+ठन्] ०यत्नशील, | अभ्यचित (वि०) प्रचलित, समुचित, विशेष। अमितोन्नतिमन्ति परिवार-रक्षणशील। निर्मलान्यभ्युचितायत-विस्तराणि वा। (जयो० १३/६५) अभ्याघातः (पुं०) प्रहार, आक्रमण, हनन, विध्वंस। अभ्युच्चयः (पुं०) [अभि+उत्+चि+अच्] १. बुद्धि, आगम। अभ्याङ्गन (नपुं०) [अभि+अङ्ग ल्युट्] तैल मर्दन, शरीर २. समुन्नत, अतिशिष्टि। मालिश। (मुनि०११) अभ्युज्झित (वि०) त्यक्त, परित्यक्त, त्याज्या ‘स कोऽपि अभ्याइनकारिणी (वि०) तैल मालिश करने वाली। (मुनि०व० योऽभ्युज्झित-कामसत्कृतिः।" (वीरो० ९/६) ११) अभ्युत्क्रोशनं (नपुं०) [अभि+उत्+क्रुश्+ल्युट्] उच्चोचारण, अभ्यावदानं (नपुं०) [अभि+आ+दा+ल्युट्] उपक्रम, प्रारम्भ, उच्चीत्कार, उच्चोदघोष। सूत्रपात्र करण, समारम्भ। अभ्युत्थानं (नपुं०) [अभि+उद्+स्था ल्युट्] १. उठना, अभ्याधानं (नपुं०) [अभि+आ+धा+ल्युट्] डालना, रखना, सम्मानार्थ उठना, प्रस्थान करना, गमन करना, कूच प्रक्षेपण, निक्षेपण। करना। २. उन्नति, सम्पन्नता, मर्यादा। अभ्यान्त (वि०) [अभि+आ+अम्+क्त] व्याधिजन्य, रोगाक्रान्त, अभ्युत्पतनं (नपुं०) [अभि+उत्+पत्+ल्युट्] कूद पड़ना, रोगी, पीडित, रूग्ण। गिरना, ०आक्रमण करना, ०उत्क्रमण, अनुत्पतन, छलांग अभ्यापातः (पुं०) [अभि+आ+पत्+घञ्] सङ्कट, आपत्ति, लगाना। विपत्ति, दुर्भाग्य। अभ्युदयः (पुं०) [अभि+उद्+इ+घञ्] उद्गम, उदय, अभ्यामर्दः (पुं०) [अभि+आ+मृद+घञ्] आरोहण, चढ़ना, नि:सरण, उत्थान, उन्नति, सफलता। २. उपक्रम, सवार होना, ऊपरीगमन। उत्सव, आनंद। 'समुत्सवकरस्याऽस्याऽभ्युदयेन रवेरिव।' अभ्यावृत्तिः (स्त्री०) [अभि+आ+वृत्+क्तिन्] अनुचिन्तन, (जयो० १/१११) अभ्युदयेन-पुण्यपरिपाकेन। (जयो० वृ० पुनर्चिन्तन, दुहराना, बार-बार याद करना, ०अनुप्रेक्षण, अनुशीलन। १/१११) जयोदयं स्वाभ्युदयाय शक्त्या। (जयो० १/१) अभ्याश (वि०) [अभि+अश्+घञ्] व्याप्त, सन्निकता, अभ्युदयो-ज्ञानादिलक्षणः। (जयो० १/१) उक्त पंक्ति में समीपता, प्राप्त होना। अभ्युदय का अर्थ 'कल्याण' भी। 'कुतः परस्याभ्युदयं अभ्यासः (पुं०) [अभि+आ+अस्+घञ्] आवृत्ति, अध्ययन, सहेरन्।" (सुद० २/४४) 'भद्रस्याभ्युदयो यथा।' (समु० तल्लीन, अनवरत भाव, (जयो० वृ० ११/४५) ९/३१) (भद्र की उन्नति) अभ्यासगत (वि०) आवृत्ति प्राप्त, अध्ययन गत, मनन युक्त। अभ्यदुयभाजि (वि०) अभ्यदुय शील, उन्नतिशील, उदय अभ्यास-तत्पर (वि०) अभ्यास में लीन। ___ करने वाला। 'दृष्टिरभ्युदयभाजि जनानां।' (जयो० ५/२८) अभ्यास-तल्लीन (वि०) अभ्यास तत्पर, ०अध्ययनशील, मनन अभ्युदस्त (वि०) समुत्थापित, उठाता हुआ, ऊँचा करता भाव सहित। हुआ। 'कलितोष्ममिषोऽभ्युदस्त-वक्त्रो।' (जयो० १२/१२२) अभ्यासपर (वि०) अध्ययन में लीन, अभ्यासाग्रणी, प्रयत्नशील। अभ्युदारः (पुं०) अत्युत्कृष्ट, अत्यन्त उदार, प्रबलता युक्त। 'नरायितस्येवाभ्यासपरा।' (जयो० १४/२६) 'प्रमुक्तये सारतयाभ्युदारं।' (भक्ति०सं०१०) 'सारोऽभ्युदारो अभ्यासादनं (नपुं०) [अभि+आ+सद-णिच्+ल्युट्] शत्रु का दयिते।' (जयो० १७/३६) सामना करना, आक्रमण करना। अभ्युदाहरणं (नपुं०) [अभि+उद्+आ+ह ल्युट्] निदर्शन, अभ्याहननं (पुं०) [अभि+आ+हन्+ ल्युट्] उपघात, प्रहरन, उदाहरण, विपरीत युक्ति के लिए दृष्टान्त। पीडन, वाधन, हनन, प्रतिपीडन, प्रतिघातन। अभ्युदित (वि०) प्रकट हुई, व्यक्त हुई, निकली। स्वस्मिन् अभ्याहारः (पुं०) [अभि+आ+ह+घञ्] अपहरण, अनुग्रहण, __कला साभ्युदितास्तु यस्य। (भक्ति० सं० ३९) सं आनयन, बंधन बनाना, रोकना। अभ्युदितातुकम्प (वि०) दयाधारिन्, करुणाशील, अनुकम्पावान्। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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