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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अभ्यर्थना अभ्यागमः ०परित्यक्त। "मारवाराभ्यतीतः सन्नथो नोदलताश्रितः।" | अभ्यर्हित (वि०) [अभि+अ+क्त] १. समादरित, सम्मानित, (जयो० २८/११) 'स्वयं हि तावज्जडताभ्यतीत।' (जयो० पूजित, प्रतिष्ठित, २. योग्य, तुल्य, समीचीन, उपयुक्त। १/८५) अभ्यतीतः परित्यक्तः सन्। (जयो० वृ० १/८५) अभ्यवकर्षणं (नपुं०) [अभि+अव्+कृष्+ ल्युट्] अनुगमन अभ्यर्थना (स्त्री०) याचना, मांगना, चाहना। (जयो० वृ० करना, बहिर्निस्सरण, अभिगमन। १२/१४४) अभ्यवकाशः (पुं०) [अभि+अव+काश+घञ्] स्वच्छ स्थान, अभ्यधात् (वि०) दिखलाना, अवलोकन करना। 'तनुसौर- खुला स्थान। भतोऽभ्यधाद्वरं।' (सुद० ३/२५) अभ्यवस्कन्दः (पुं०) [अभि+अव्+स्कंद्+पञ्] शत्रु सन्निकट अभ्यधीत (वि०) अवलोकित (सम्य० ५/४) आना, भिड़ना, आक्रमण करना, प्रहार करना, आघात, अभ्यधिक (वि०) देखों अभ्यधिक। प्रतान। अभ्यधिका (वि०) ०अपेक्षाकृत अधिक, अत्यधिक, अभ्यवहरणं (नपुं०) [अभि+अव्+ह+ल्युट्] निम्नोक्षेपण, विशालतम, ०साधारण, अनुपम। 'इत्यमभ्यधिका अ:पतन, गिराना, फेंकना। ममास्त्य।' (जयो० १२/२२) अभ्यवहारः (पुं०) [अभि+अव+ह+घञ्] आहारग्रहण, भुंजन, अभ्यनुज्ञा (स्त्री०) [अभि+अनु+ज्ञा+अङ्ग+टाप्] सहमति, खादन, खाद्य-पेयन। अभ्यवहार्य (वि०) [अभि+अव+ह+ण्यत्] आहार्य, भोज्य, स्वीकृति, आदेश, आज्ञा। अभ्यनुयोक्त्री (वि०) निपुण बनाने वाली, योग्य करने वाली। खाद्य, खाने योग्य। अभ्यसनं (नपुं०) [अभि+अस्+ ल्युट्] ०अनु + अभ्यास, (सुद० १२२) "चतुराख्यानेष्वभ्यनुयोक्तीं।" (सुद० १२२) ०अनवरत पाठ, ०क्रमशः अध्ययन, निरन्तर-चिन्तन। अभ्यन्तर (वि०) [अभि+अन्तरः] भीतरी, आत्म सम्बन्धी, अभ्यसूचक (वि०) [अभि+असु+ण्वुल्] ईष्यालु, निंदक, आन्तरिक, निकटतम, घनिष्ट। आरोपक, दोषारोपक। अभ्यन्तर-इंद्रियं (नपुं०) मन। अभ्यसूया (स्त्री०) [अभि+असु+यक्+अ+टाप्] ईर्ष्या, डाह, अभ्यन्तर-करण (वि०) आन्तरिक कला। घृणा, द्वेष, आरोप, विरोध। अभ्यन्तर-कारण (वि०) आन्तरिक करण, मन का हेतु। अभ्यसिचि (वि०) अभिषिक्त, स्नापित। (जयो० ३/२२) अभ्यन्तरीकृ (सक०) [अभ्यन्तर+च्चि+कृ] दीक्षित करना, अभ्यस्त (भू०क०कृ०) उचित, अध्ययन युक्त, अभ्यास गत। परिचित करना। (जयो० वृ० २१/२४) विषय-वस्तु का अध्येता। अभ्यन्तरीकरणं (नपुं०) [अभ्यन्तर+च्चि+कृ+ल्युट्] दीक्षित अभ्याकर्षः (पुं०) [अभि+आ+कृष्+घञ्] ललकारना, करना, परिचित करना। आमना-सामना करना, भिड़ना।। अभ्यमनं (नपुं०) [अभि+अम्+ल्युट] प्रहार, घात, हानि। अभ्याकाक्षित (वि०) [अभि+आ+काङ्ख्+क्त] मिथ्या अभ्ययः (पुं०) [अभि+इ+अच्] जाना, पहुंचना। __ आरोप, निर्मूल कथन, निराधार प्रतिवेदन, इच्छा, आकांक्षा। अभ्यर्चनं (नपुं०) [अभि+अ+ ल्युट्] ०पूजन, ०अर्चन, | अभ्याख्यानं (नपुं०) [अभि+आ+ख्या+ल्युट्] ०आरोप लगाना, ० श्रद्धान, समादर, ०सम्मान। निन्दा, मिथ्या आरोप, ०असत्य-कथन, ०लाञ्छन। अभ्यर्ण (वि०) [अभि+अद्+क्त] सन्निकट, समीप, पास। अभ्यागत (वि०) (भू०क०कृ०) [अभि+आ+गम्+क्त] अभ्यर्णं (नपुं०) सान्निध्य, साथ, सहभागी, सामीप्य। ०सन्निकट गया, ०समीपस्थ, आगतस्थ, अतिथि भाव अभ्यर्थनं (नपुं०) [अभि+अर्थ+ ल्युट्] प्रार्थना, अनुरोध, निवेदन, प्राप्त, समागत। 'अभ्यागतानभ्युपगम्य सुभ्रवः।" (जयो० अनुयन। ५/९२) अभ्यागतानुपरिस्थतान्-(जयो० वृ० ५/९२) अभ्यर्थिन् (वि०) [अभि+अर्थ+णिनि] प्रार्थना करने वाला, "अभ्यागताय च मां लक्ष्मीमिवाभि लाषापूर्तिकर्ती।" (जयो० याचक, निवेदक, प्रतिवेदक, ०अनुरोधक। वृ० १२।९२) अतिथयेऽभ्यागताय। (जयो० वृ० १२/१२) अभ्यर्हणा (स्त्री०) [अभि+अ+युच्+गप्] प्रार्थना, पूजा, | अभ्यागमः (पुं०) [अभि+आ+गम्+घञ्] १. सन्निकट आना, अर्चना, सम्मान, समादर। सामीप्य, अनुगमन। २. युद्ध, संग्राम, विद्वेष, कलह। For Private and Personal Use Only
SR No.020129
Book TitleBruhad Sanskrit Hindi Shabda Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaychandra Jain
PublisherNew Bharatiya Book Corporation
Publication Year2006
Total Pages438
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationDictionary
File Size14 MB
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