________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
व्याल स्वरूप
LION ELEPHANT
MAN
GRAS सिंह हाथी मानव
ग्राम भारत में अनेक मंदिरों में ऐसे व्याल दिखाई पड़ते हैं। इ. स. पूर्व के अमरावती और सारनाथ के स्तूपों में गज और मकर व्याल भी दिखाई देते हैं। सौराष्ट्र के जूनागढ़ से धारागढ़ दरवाजे के नजदीक की गुफा के मदल (बेकेट) में ईसा पूर्व की पहली या दूसरी शताब्दी का व्याल स्वरूप विद्यमान है । सौराष्ट्र में वढवाण के नौवीं शताब्दी के राणकदेवी के मंदिर में, दसवीं शताब्दी के कच्छ के कोटाई मोर केराकोटा के शिवालयों में, भद्रेश्वर के मंदिरों में, थान के मुनीबाबा के मंदिर में, त्रिनेत्रेश्वर के मंदिर में और सोलंकी युगीन मंदिरों की जंघा में और वारिमार्ग में ऐसे स्वरूप दिखाई देते हैं। गुप्तकाल की मूर्तियों के अलंकार में भी व्याल के स्वरूप दिखाई पड़ते हैं। मध्य प्रदेश में नौवीं शताब्दी के खजुराहो के मंदिरों में व्याल के बड़े भव्य स्वरूप शिल्पित हैं। सिंह के व्याल स्वरूप भुवनेश्वर और कोनारक में विशेष रूप से पाये जाते हैं।
सिंह जैसे शरीर के ऊपर अन्य प्राणी, पंखी या मनुष्य के चेहरेवाले यह व्याल स्वरूप कौतुक का विषय हैं। अश्व और गजमुख व्याल तो देखने में भी सुंदर दिखाई पड़ते हैं, लेकिन सर्पमुख व्याल भयानक लगते हैं। इसकी ऐसी रचना क्यों हुई, इसका कोई पता नहीं
HORSE
ਮਾਂ ਜੋ
VARAH बराह
GOAT
DEER
SHEEP
MONKEY
बदर
FOX लोमडी
मग
भेट
For Private And Personal Use Only