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भारतीय शिल्पसंहिता
KNASI
पत्रपत्र
VIRALIKA विरालिका
के विशाल स्वरूप हैं।
मंदिर की द्वारशाखा की अंतिम सिंहशाखों में व्याल के अनेक स्वरूप उकेरे जाते हैं। दसवीं शताब्दी के 'वास्तुविद्या' ग्रंथ में द्वारशाखा की अंतिम शाखा को 'व्याल शाखा' ही कहा गया है। व्याल-शाखा के ऊपर धुड़सवार उकेरे होते हैं। बारहवीं शताब्दी के सोमनाथ मंदिर के उन्नत द्वार की सिंह-शाखा में बड़े कद के व्याल के अनेक भिन्न-भिन्न स्वरूप थे। उसके कई अवशेष अब भी वहां के म्यूजियम में मौजूद हैं। घुड़सवारी करते अनेक व्याल स्वरूप भी वहां हैं।
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