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अंङ्ग : एकादशम्
आयुध (Weapons)
उत्तर भारत के 'नागरादि' शिल्प ग्रंथों में ३६ प्रकार के आयुधों के नाम, लक्षण, मान-प्रमाण और स्वरूपों का वर्णन किया गया है। 'अपराजितसूत्र'-२३५ और द्रविड शिल्पग्रंथों में आयुधों के बारे में इतना स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है। द्रविड 'शिल्परत्नम्' के २३ वें अध्याय में प्रायुधों के अपूर्ण नाम मिलते हैं।
आयुधों में शत्रु-संहार के शस्त्र के उपरान्त जीव-प्राणी भी गिने जाते हैं। वाद्य और साधन-उपकरणों को भी तामस आयुध के अतिरिक्त प्रायुधों में गिना जाता है। इस तरह राजस्, और सात्विक आयुध और मनोरंजक-वाद्य भी आयुध में गिने जाते हैं।
३६ आयुधों में २३ शस्त्र तामस है, १३ सात्विक और राजस है। पुस्तक, माला, कमंडल, मुद्राएं, दर्पण, घंटा, सूचि-शंग, हल, पान, कमल, फल, वीणा और शंख, यह सात्विक आयुध माने जाते हैं ।
आयुधा नाभतो वक्ष्ये नाम संख्यालिंक्रमात त्रिशूलच्छूरिका खड्ग खेटा खट्वाङ्गकं धनुः॥१०॥ बाणपाशांकुश घंटारिष्टि दर्पण दंडकाः शंख चक्र गदा व शक्तिमुद्वरमृशुडयः॥११॥ मुसलः परशु श्वेत कतिका च कपालकम् शिरः सर्प च शृङ्गच हलः कुंतस्तथैवच ॥१२॥ पुस्तकाक्ष कमंडलु शुचयः पद्मपत्रके
योगमुद्रा तथा चैव षट्त्रिंशच्छत्रकाणिच ॥१३॥ अपराजित सूत्र (२३५) विश्वकर्मा कहते हैं, 'अब मैं आयुधों के नाम क्रमशः कहता हू: १. त्रिशूल १०. घंटा १९. भुइजर
२८. हल २. छूरिका ११. रिष्टि २०. भृशंडी
२९. कुंत (भाला) ३. खड्ग १२. दर्पण २१. मूशल
३०. पुस्तक ४. खेट (ढाल) १३. दंड २२. परशु
३१. माला ५. खटवांग १४. शंख २३. कर्तिका
३२. कमंडल ६. धनुष १५. चक्र
२४. कपाल (खोपरी-खप्पर) ३३. सूचि (सखा) ७. बाण १६. गदा २५. शिर (शत्रु का)
३४. पत्र-कमल ८. पाश १७. वज्र २६. सर्प
३५. पानपान ९. अंकुश १८. शक्ति २७. शृंग (सिंग)
३६. योगमुद्रा
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