________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१५३
हई है ऐसा विधान पुराण में है। भिन्न-भिन्न ग्रंथों में चन्द्र का वर्णन है। उसके अनुसार उसका वर्ण श्वत है, उसके चार भुजायें हैं और दस अश्व का रथ उसका वाहन है। सिंह भी उसका वाहन माना जाता है। कांति और शोभा नाम की उसकी दो पत्नियां हैं। ३. मंगल: (MARS) ... नवग्रहों में उसका स्थान तीसरा है। उसे भूमि पुत्र कहा है। उसका वर्ण रक्त है। उसका वाहन मेष है। 'देवता-मूर्ति-प्रकरण' में उसे चार भुजायुक्त कहा है। अन्य ग्रंथों में उसे दो भुजायुक्त भी कहा है। कई ग्रंथों में पाठ घोड़े के रथ का, तो कई जगह आठ बकरे के रप का वाहन कहा है। ज्योतिष शास्त्र में उसे पाप ग्रह कहा है। उसकी उत्पत्ति आदि वराह और भूदेवी से होने की संभावना मानी गयी है।
का
एणCHANDRADEV चंद्रदेव
MANGAL
मंगळ ४. बुधः (MERCURY)
चंद्र और रोहिणी से बुद्ध की उत्पत्ति मानी जाती है । उसके चार हाथ होते हैं, वर्ण पीत होता है, और उसका वाहन सिंह (दे.मू. प्रकरण में) माना गया है। कई जगह सासन भी कहा है। चार भुजाओं में वरद, तलवार, ढाल और गदा होती है। अन्य मत से धनुष पौर प्रक्षमाला भी है। ५. गुरुः (JUPITER)
बृहस्पति देवों का पुरोहित होने के कारण, गुरु नाम से पहचाना जाता है। वह प्रांगीरस का पुत्र है। उसका वर्ण पीत है, और वाहन हंस है। अन्य मत से उसका वाहन आठ घोड़े का सुवर्ण रथ है। उसकी लंबी दाढ़ी भी होती है। चार भुजामों में वरदमुद्रा, मक्षमाला, कमंडल और पुस्तक है। अन्य मत से पुस्तक और प्रक्षमाला भी है। ६. शुक्रः (VENUS)
भगु का पुत्र और दैत्यों का गुरु शुक्र है। उसका वर्ण श्वेत है। उसका वाहन प्रश्व है। अन्य मत से उसका वाहन मेंढ़क भी माना
For Private And Personal Use Only