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क्रम
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चतुर्विंशति गौरी स्वरूप
(वास्तुविद्या दमाचमते)
वास्तुविद्या दीपार्णव ग्रंथ में चतुर्विंशति गौरि स्वरूप कहा है उसमें बीस सात्विक आयुधोंवाली - और अंत के चार स्वरूप उग्र तामस बाली कही हैं। वाहन में दो मूर्ति का हंस है, सिंह बाहिनी सात हैं, नगद बाहिनी सीन पर गोवासन वानवाली तीन, गजवाहिनी एक, कमलासनो दो और प्रेतवाहिनी छः कही हैं । सात्विक प्रायुधोंवाली दो मूर्ति को प्रेतासम कहा है यह विचित्र है।
स्वरूप वर्णन में - चार भुजा, पीत वर्ण, एक मुख, तीन नेत्र, यौवनावस्था, प्रभामंडल, मुकुट, कुंडल, हार, केयूर, कंकण, पादनपुरादि आभूषण युक्त कही है।
"देवता मूर्ति प्रकरण में कही हुई द्वादश गौरी स्वरूप सर्व सात्विक पायुधवाली कही है-चार भुजा, एक मुख, विनेत ग्राभूषण युक्त स्वरूप कहा है। आठवी रंभा देवी का गज वाहन कहा है, बाकी सर्व देवी का गोधासन (दीपार्णवोक्त) वाहन कहा है।
दायें हाथ में बायें हाथ में उपला नीचला उपला निचला शिवलिंग माला गणेश कमंडल वाहन सिंह गणेश फल
वाहन गोधासन गणेश
नाम
तोतला
त्रिपुरा
सौभाग्य
विजया
माला
अंकुश
दायें हाथ में बायें हाथ में निचला उपला निचला
उपला
पद्म
एते पंचमहादेव पादमूले व्यवस्थिताः व्यैलोक्यविजया नाम दक्षिणे चाक्षसूत्रं च तद्वें पद्ममुत्तमम् । पुस्तकं वामहस्ते च वामोधश्वाभयं तथा ॥ ३६ ॥
कमलासनमारुढा बेबी कामेश्वरी तथा । इति कामेश्वरी १९ अभयं दक्षिणे हस्ते स खयमेव च ॥३७॥ वामे तु तशरूरचैव तस्याधः सुफलंभवेत् ।
प्रेतासनसमारूढा रक्तनेत्रा च नामतः ॥३८॥ इति रक्तनेत्रा २० २१ चंडी २२ जंभिती. २३ ज्वालाप्रभा. २४ भैरवी. चंडीनी तानी यानी (?) अभिनी ज्वलितप्रभा ॥ ३९ ॥ सहितं भैरवारूढा कोटराक्षी च भीषणा ।
प्रेतारा विशाला च द्वादश पंचलोचना ( ? ) ॥ इति ।। पंच दीप्त महामुद्रा पंचभूषणा ॥ सिचर्मधरा देवी गजचर्मोत्तरीयकान् ।।६१।। निलोत्पलसमाभासा सूर्यकोटिसमप्रभम् ॥ कपालामरणं खंड षड् वर्ग धारिका । कपाला खङ्गधरा देव्यः व्येलोक्योद्योतघंटिकाः ॥ सरसा रंङ्गधरा दिव्या पाशांकुशधरा च या । कुंडलसंयुक्ता सर्वाभरणभूषिता ॥
दंड
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सर्पकं कणकेमूरनागाभरणभूषिता ।
इत्येवं भैरवी देवी सपादा परिकीर्तिता ॥ इति चतुविशति गौरीस्वरूपाणि (दीपये)
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कमंडल पीछीका शंख वाहन हंस
अभय पाश वाहन प्रेत
पुस्तक फल
वाहन गरुड
माला
माला
शिवलिंग
पुस्तक वाहन सिंह
अभय
क्रम नाम
७
॥ ३५ ॥ इति व्यलोक्यविजया १८
८
गौरी
पार्वती
शूलेश्वरी
ललिता
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अभय
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भारतीय शिल्पसंहिता
माला
माला
वाहन सिंह गणेश कमंडल वाहन गोघासन