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देवी-शक्ति-स्वरूप
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'मयदीपिका' में ६८ योगिनियों का उल्लेख है। 'श्रीतत्त्वनिधि' ग्रंथ में भी थोड़े स्वरूप वर्णन किये गये हैं। आठ-आठ के पाठ मंडल, उनके चार-चार हाथों के प्रायुध, पर्ण और वाहन भी दिये गये हैं।
हिन्दु-परिवारों में सामान्यतः हरेक की कुल देवियाँ रहती हैं। आशापुरी, हिंगळाज, रांदेर लून्ना (रना देवी), सामुद्री (सुंदरी), व्याघ्रश्वरी, सिंधवाई, भट्टारिका, आदि कुलदेवी के स्वरूप किसी ग्रंथ में तो नहीं मिलते,लेकिन ज्ञातिपुराण या क्षेत्रपुराण अथवा परंपरागत मान्यतामों में से मिलते हैं। कुलदेवी, ग्रामदेवी या गोत्रदेवी हरेक कुल, ज्ञाति या कुटुंब को होती ही है।
दशमहाविद्यादेवी यहाँ वाहन का उल्लेख नहीं किया गया है, अतः हंस या मयूर का वाहन माना जा सकता है। दस महाविद्या ('शाक्त प्रमोद' ग्रंथ के अनुसार) १ काली ५ भैरवी
९ मातंगी २ तारा ६ त्रिपुरा भैरवी
१० कमला ३ महाविद्या षोडशी त्रिपुरासुंदरी ७ धूमावती ४ भुवनेश्वरी
८ बगला मुखी ये १० महाविद्या देवियाँ सर्वतंत्र की रक्षिका-पालिका है । उनके स्वरूप-वर्णन तंत्रग्रंथ में दिये हैं।
षोडश मातृकाओ
१ गौरी २ पद्मा ३ शची ४ मेघा
५ सावित्री ६ विजया ७ जया ८ देवसेना
९ स्वधा १० स्वाहा ११ मातृका १२ लोक मातृका
१३ घृति १४ पुष्टि १५ तुष्टि १६ कुलदेवी
१ अणिमा २ महिमा ३ लधिमा
अणिमादि पीठ शक्ति ४ गरिमा ५ प्रेतगता ६ वशिता
७ प्रकामत ८ प्राप्ति ९ सर्व सिद्धि
१ प्रक्षोभ्या २ ऋक्षमणी ३ राक्षसी ४ क्षेपण ५ क्षमा ६ पिंगाक्षी ७ अक्षया ८ क्षेमा
चतुःषष्टि योगिनियाँ 'हेमाद्रि वृत्तखंड' तथा 'मयदीपिका' (अग्निपुराणान्तर्गत) १३ बलाकेशी
२५ तरला १४ बालसा
२६ तारा १५ विमला
२७ ऋग्वेदा
२८ हयानना १७ विशालाक्षी
साराख्या १८ ट्रीकारा
३० रससंग्राही १९ बड़वामुखी
३१ शबरा २० महाक्रूरा
३२ तालजंधिका २१ क्रोधना
३३ रकताक्षी २२ भयंकरी
३४ सुप्रसिद्धा २३ महानना
३५ विद्युद्रजिव्हा २४ सर्वसा
३६ करंकिणी
१० नीलालया ११ लोला १२ रक्ता
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