________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
महेश-शिव-रुद्र
१२१ भैरव भैरव शिव का ही स्वरूप है। पुराणकारों ने उसकी उत्पत्ति की अनेक आख्यायिकायें दी हैं। भैरव की उपासना पिछड़े वर्ग के समाज में प्रचलित है। ६४ भैरव की कल्पना कर्मकाण्डी शास्त्र, धर्मशास्त्र और 'रुद्रयामल' ग्रंथ में दी है।
क्षेत्रपाल और भैरव ये दो मिन्न-भिन्न स्वरूप हैं । क्षेत्रपाल को निऋति, नैऋत्य विदिशा के दिक्पाल भी कहा है।
भैरव के स्वरूप में बटुक भैरव, स्वच्छंद भैरव, स्वर्ग कर्षण, चंड, रुद्र, क्रोध, असितांग, उन्मत्त, कपाल, भीषण, संहार, विशालाक्ष विरू, मुंडमरल, भूमिकथो, शशिभूषण, कालाग्नि आदि ६४ नाम और स्वरूप कहे गये हैं।
'अपाजित सूत्र में स्वच्छंद भैरव के ५० हाथ तथा २१ ताल की विराट मूर्ति का स्वरूप दिया है।
क्षेत्रपाल : मुंडमाला की उपवित धारण किये, इनका ऊर्ध्वकेशी और नग्न स्वरूप होता है। बायें हाथ में कार्तिक और डमरु तथा बायें हाथों में त्रिशूल और कपाल (खोपड़ी पात्र) होता है । मुकुट में सर्प और मुंड होता है। कुत्ते का वाहन होता है।
के स्वरूप में बटुक म
कालाग्नि आदि ६
को विराट मूर्ति का
है। बायें हाथ
MA
(मा
क्षेत्रपाल भैरव चंड भैरव : भयंकर मुख, दस हाथ, मुंडमाला धारण किये, गजचर्म से मंडित चंड भैरव के दायें हाथों में त्रिशूल, खड्ग, शक्ति, अंकुश और वरद मुद्रा रहती है। बायें हाथों में खट्वांग, ढाल, धनुष, अभय और कपाल (पात्र) होते हैं।
बटुक भैरव : स्फटिक-जैसे वर्ण के, बालस्वरूप दो भुजा, शिखंडी और कमल धारण किये हैं। पैर में कंकण-नूपुर और हँसता मुख होता है।
उच्छिष्ठ भैरव : श्याम वर्ण, तीन लोचन, चार हाथ जिनमें गदा, त्रिशूल, डमरु और पान धारण किये होते हैं। __ काल भैरव : सर्प का यज्ञोपवीत, जटा में चंद्र, नग्न स्वरूप, नीलकंठ, श्याम वर्ण, तीन नेत्र और मुंडमाला धारण किये हुए काल भैरव के दायें हाथों में कमल, सर्प, माला और त्रिशूल और बायें हाथों में निशूल, टंक, पाश और दंड होते हैं। ये भूत रूप के नायक और प्रष्ट सिद्धि के दाता माने गये हैं।
मार्तड भैरव : वर्ण सुवर्ण तथा दामिनी समान, तीन नेत्र, चार मुख, फणिमय मुकुट, आठ हाथों में खट्वांग, कमल, चक्र, शक्ति, और पाश, अंकुश, माला तथा कपाल (पात्र) रहता है।
स्वच्छंद भैरव : २१ ताल का विराट स्वरूप (२५२ अंगुल प्रमाण) बद्ध पद्मासन में बैठे हुए, पचास भुजाओं वाले भैरव है। दायें हाथों में गदा, पट्टिश, परशु, शक्ति, बाण, धनुष, पुष्प, माला, सर्प, बीजोर, मग्दर, चषकी (मधुपान), शतघ्नी, कोश, डमरु, मुशल, सूचि-पान दर्पण ....
For Private And Personal Use Only