________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
११८
SHIY
शिवनारायण
शिज
www.kobatirth.org
हरिहरय
नाटयेश शिव
पैर शेषनाग पर और दायाँ पैर कूर्म की पीठ पर होता है। हाथों में शंख, चक्र, गदा और वेद धारण किये होते हैं।
(१५) पंचवक्र शिव : देवों के भी देव महादेव इसमें वृषभारूढ़ हैं । पाँचो मुख में दक्षिण का मुख विकट है बाकी सभी मुख सौम्य हैं । खोपड़ियों की माला पहने हुए शिव जगत में दुष्टों का संहार करते है। उत्तर दिशा के मुख के सिवा शेष चारों मुखों में तीनतीन नेत्र हैं । सर के जटामुकुट में चंद्रकला है । दस बाहु हैं । दायें हाथों में माला, त्रिशुल, ढाल, दंड, और कमल हैं। बायें हाथों में बीजोरू, बाण, कमंडल, चर्म और त्रिशूल धारण किये हैं।
हरिहर [पितामह
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
For Private And Personal Use Only
भारतीय शिल्पसंहिता
योगेश्वर विष्णु