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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org वामनावतार ९६ भारतीय शिल्पसंहिता राम के प्रायुध माने गये हैं । 'समरांगण सूत्रधार' में राम को दो-चार और आठ हाथ के भी बताया हैं। उनमें शंख, चक्र, गदा आदि प्रायुध धारण करवाने का वर्णन है । परशुराम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रामावतार ८. बलराम शेषनाग के अवतार माने जानेवाले बलराम श्रीकृष्ण के भाई हैं । बलराम का स्वरूप संघर्ष का कहा जाता है। वे गौर वर्ण के और तामसी प्रकृति के माने जाते हैं। उनके दो हाथों में हल और मुशल होते हैं। चार हाथों वाले बलराम को हल और मुशल के उपरांत शंख और चक्र भी धारण कराये जाते हैं । उनकी मूर्ति के माथे पर सप्तमुखी नाग की छाया रहती है । उनके साथ उनकी पत्नी रेवती भी होती है। कई बार चार हाथोंवाली मूर्ति के ऊपरी दो हाथों में हल-मुशल और नीचे के एक हाथ में मद्यपात्र, और दूसरा कमर पर होता है। उनकी पत्नी रेवती के हाथ में कमल और कमंडल होता है। दस अवतारों में बलराम का स्थान कृष्ण को दिया गया है । ९. बुध्द 'रूपमंडन 'कारने बुद्ध का वर्णन करते हुए कहा है कि उनका वर्ण रक्त है, वे पद्मासन में हैं, आभूषण और केशत्यागी हैं, काषाय वस्त्र धारण किये हुए हैं और दो हाथवाली अभय, और बाह्य मुद्रा में, प्रसन्न मुखमुद्रायुक्त होते हैं। दशावतार में जो बुद्ध के अवतार का उल्लेख है, वह बौद्धधर्म के संस्थापक तथागत बुद्ध का नहीं हैं, ऐसा कई विद्वानों का मत है; लेकिन उनका वर्णन तो तथागत से मिलता जुलता ही है । १०. कल्की For Private And Personal Use Only विष्णु के दसवें अवतार कल्की, हाथ में खड़ग लिये, अश्वारूढ़ हैं। पुराणों में वर्णन हैं कि जब घोर कलियुग शुरू होगा और अधर्म प्रवर्तमान होगा, तब धर्म की स्थापना के लिये शंभल गांव में ब्राह्मण के यहां यह कल्की अवतार होगा। 'पंचरात्र ग्रंथ' में उनके चार हाथों में खड्ग, शंख, चक्र और गदा के आयुध वर्णित हैं । अन्य ग्रंथों में शंख, चक्र, तलवार और ढाल भी बताये गये हैं । उपरोक्त सुप्रसिद्ध दशावतार के सिवाय, भागवत और पुराणों के अनुसार दूसरे भी १५ अवतार विष्णु भगवान ने लिये हैं। भक्तों का दुःख दूर करने के लिए प्रासंगिक रूप से भगवान अनेक बार प्रकट हुए हैं। ऐसे अवतार भिन्न-भिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न रूपों में वर्णित हैं ।
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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