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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५. वामन विष्णु ४. नृसिंहावतार शरीर मानव का और मुख सिंह का, तीक्ष्ण दांत, और चार हाथ, ऐसा भयंकर स्वरूप होता है । हिरण्यकश्यप को गोद में लेकर दो हाथों से उसे चीरते हुए, बाकी दो हाथों में गदा और चक्र धारण किये होते हैं। गले तक के लंबे बाल और जीभ मुख से बाहर निकली हुई होती है। पाठ हाथोंवाले नृसिंह की करंड मूर्ति दो हाथों से हिरण्यकश्यप को चीरती हुई. बाकी दो हाथों में, शंख, पाश वज्र और गदा धारण किये होती है। कई मूर्तियों के पैर के पास गंधर्व-मिथुन, लक्ष्मी, गरुड़ आदि होते हैं। किसी-किसी मूर्ति की दायीं ओर नारद और बायीं ओर प्रहलाद होते हैं। कई बार अष्ट दिग्पाल, लोकपाल भी उकेरे जाते हैं। कई जगह श्री श्रीर सरस्वती भी होती है da www.kobatirth.org वरावतार ७. राम Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नृसिंहावतार तात्विक दृष्टि से तीन डग में ही उन्होंने समस्त विश्व को नाप लिया था; इस कथानक के आधार पर उनके स्वरूप की कल्पना की जा सकती है। वामन ठिगने, श्रोतीय ब्राह्मण जैसे, यज्ञोपवीत धारण किये हुए और लंगोटीधारी होते हैं। उनके दोनों हाथों में कमंडल और छत्र होता है। सर पर शिखा है। वामन को दंड धारण करने का आदेश है। त्रिविक्रम वामन रूप है। ९५ ६. परशुराम जामदग्नेय राम ने परशु धारण की प्रतिज्ञा की थी; उनको दो हाथ होते हैं। उनके परशु धारण करने का आदेश 'रूपमंडन' में किया गया है। जबकि समरांगण सूत्रधार में उनके चार या आठ हाथ कहे हैं। सरपर जटा और कमर पर कटिका कंदोरा होता है। प्रांखे क्रोधपूर्ण लाल होती हैं। अग्नि पुराण में चार हाथ कहे हैं, उसमें धनुष, बाण, खड़ग, और परशु धारण करवाये हैं। For Private And Personal Use Only भारत के लोक हृदय में बसे हुए दशरथ-पुत्र राजा राम के प्रति सभी भारतीयों के हृदय में अत्यन्त भक्तिभाव है। उनकी खड़ी आसनस्थ प्रतिमा के दो हाथों में धनुष-बाण है । 'अग्नि पुराण' में उनके चार हाथ कहे हैं; धनुष-बाण के उपरांत शंख और खड़ग भी
SR No.020123
Book TitleBharatiya Shilpsamhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherSomaiya Publications
Publication Year1975
Total Pages250
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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