SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ भारतमें दुर्भिक्ष ।। एक कमेटी सर एडवर्ड लॅॉके आधिपत्यमें नियुक्त की और सन् १९०४ ई० में सहकारिताका पहला एक्ट पास हुआ। इससे कम्पनीएक्टके त्राससे सहयोग-संस्थाएँ बची और इन संस्थाओंके स्थापनमें अधिक सुधार और उन्नति हुई । सरकारने दया कर अब इस असुविधाको दूर करना प्रारंभ किया है। जगह जगह पर सहयोग-समितिया (Co-operative Credit Societies ) स्थापित हो रही हैं । किसानोंको नाम मात्रके सूद पर रुपया दिया जा रहा है । इनकी उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है । इस समय भारतवर्ष में १२००० से अधिक देहाती बैंक, स्थापित हैं । जिनके ६ लाख मेम्बर और ५॥ करोड़ीकी पूँजी है ।। अस्तु । । अब प्रश्न उठता है कि लगान कम कैसे हो ? इसका एक मात्र उत्तर है कि दवामी बन्दोवस्त-स्थायी प्रबन्ध ( Permanent Settlement ) से । इस बन्दोबस्तसे इस समय बहुत लाभ हो सकता है। अँगरेजोंके शासनके समय शुरू शुरू में जमीनके लगानका निर्ख निश्चित कर दिया जाता था । इस तरह अनेक बुराइया पैदा होती थीं । यह देख कर पहले पहले लार्ड कार्नवालिसने बंगाल अहातेका दवामी बन्दोवस्त कर दिया । जो मालगुजारी सन् १७९३ ई० में वहाँके लिये ठोक कर दी गई थी, वही आज तक दी. जाती है। इस कामसे सरकारकी आमदनी कम अवश्य हो गई, किंतु राजनैतिक दृष्टिसे उसे बड़ा भारी लाभ हुआ । देखिए हॉर्नेल साहब इस विषयमें क्या कहते हैं: “While the natives of the soil gained the permanent settlement as it is called, the Bri For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy