________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१६
भारत में दुर्भिक्ष |
ये तो बड़े देश हैं; पर तुच्छ देश बेल्जियम, नीदरलैण्डस्, स्विट्ज़रलैण्ड, डेन्मार्क और कलका हौश सँभाला जापान भी भारत से आगे है।
रूसके अर्थ सचिव मि० बार्टने एक बार कहा था कि :- " अभी असली युद्ध आरंभ नहीं हुआ है । इस वर्तमान यूरोपीय महासमरका अन्त हो जाने पर असली युद्ध आरंभ होगा । उस महायुद्धका नाम भयंकर व्यापार युद्ध होगा । इस भयंकर आर्थिक युद्ध में किसीके साथ किसी प्रकार की रिआयत नहीं होगी । जिस देशसे जितने हो सकेंगे वह उतने ही रक्षक एवं घातक उपाय करेगा । योरूप में इस युद्धकी मोरचाबन्दी अभीसे आरंभ हो गई है। यूनाइटेड स्टेट्स में अधिक उत्साह से इसका अभ्यास आरंभ हो गया और व्यूह-रचना हो रही है। उसने विदेशोंके साथ अपने व्यापारको तरक्की दिलाने के लिए एक " अमेरिकन इन्टरनेशनल कॉरपरेशन " नामक बृहत्मंडल स्थापित किया है । यूरोप भी अमेरिकाकी भाँति सावधान है । यूरोपकी अधिकांश प्रजा इसी चिंतामें मन है कि युद्ध के बाद अपना व्यापार किस भाँति चलाना चाहिए । इंग्लैण्ड भी सागधान है । वह इस भयंकर युद्धके लिए अपना भविष्य क्षेत्र तैय्यार कर रहा है P प्रत्येक देशमें हमारा माल किस प्रकार सर्वोपरि हो, इस बातकी तैय्यारी में वह लगा हुआ है । उसमें उसका उद्देश्य अपना लाभ और दूसरोंको नुकसान पहुँचाना है । इधर उस जपानकी ओर भी देखिए जिसने युद्धारंभ से ही " भज कलदारं " आरंभ किया है, और युद्धके अन्त होने पर अधिक पैसे पैदा करेगा । उसीने इस यूरोपीय महासमरसे लाभ उठाया है। उसने अपने व्यापारी जहाज खूब बढ़ा लिये हैं । जापानने ४० जहाज तैयार कराये हैं, जिनमें से १३ सात हजार टनसे अधिकके, ३ पाँच हजार टनके, १७ तीन
For Private And Personal Use Only