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भारतमें दुर्मिक्ष।
हैं कि सरहद, मेसोपोटामिया, बसरा आदिकी दस लाख हिन्दुस्थानी फौजोंके लिए खाने-पीनेकी जरूरत है और सरकारको उनको भोजन देना अधिक जरूरी है। पर सरकार बड़ी आसानीसे इसका दूसरा इन्तजाम कर सकती है। और वह याह कि मिसर, यूनान तथा चीन जहाँकी फसल अच्छी है वहाँसे खरीद कर फौजी जरूरत पूरी करे। साथ ही हिन्दुस्तानका खरीदा हुआ जो अनाज सरकारके कब्जेमें है वह हिन्दुस्तानी म्युनिसिपल कमेटियोंको इस शर्त पर खरीदके भाव बेच दे कि म्युनिसपिल कमेटियाँ उसे सस्ती दर पर गरीबोंको दें। इस उपायको काममें लाते हुए सरकारको सिर्फ इस बातमें उन होगा कि हिन्दुस्तानसे बाहर अनाजका भेजना कानूनन नहीं रोक सकती । पर यदि सरकार कानूनन अनाजका बाहर जाना न रोकेगी तो देशमें शान्ति रहना भी असम्भव है ! देशमें अकालको रोकनेका तीसरा उपाय प्रजाके लिए अनाजका कंट्रोल किया जाय और कपड़े की तरह घातकी बिल न बना कर ऐसा कुछ किया जाय जिससे प्रजाको अनाज मिले । इसका सबसे अच्छा ढंग यह है कि बाहर जाना रोक कर यह कानून कर दिया जाय कि एक खास तादादसे अधिक अनाज कोई व्यापारी दो सप्ताहसे अधिक अपने स्टोकमें न रक्खे । और अनाजका सट्टा रोकनेके लिए लाइसैंस मुकरिर किये जायँ, जिनसे सिवाय अनाजका व्यापार करनेवालोंके और कोई सट्टा न बनावें । अकालको रोकनेका चौथा उपाय रेलों द्वारा अनाजका एक स्थानसे दूसरे स्थान कम दर पर भेजा जाना है । इस समय रेलें सरकारी कंट्रोल में हैं
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