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भारतमें दाभक्ष । प्यारे भारतवासियो ! क्या कभी आपको भी ऐसे विचारोंने जाग्रत किया है कि आपके देशका कितना धन प्रति वर्ष विदेशी लोग अपने देशोंको भेज देते हैं ? और किस भैाति आपका प्यारा भारतवर्ष निर्धन और दुर्भिक्षके ताण्डव नृत्यसे पादाक्रान्त हो रहा है ? देखा, केवल पचपन हज़ार रुपयोंके भारतमें आने पर अमेरिकाके लोग कैसे घबरा उठे हैं और भारतवासियोंका अमेरिकाप्रवेश रोकनेका कैसा प्रयत्न कर रहे हैं। यह तो एक सभ्य देश अमेरिकाकी वात है, अन्य देशोंकी कथा सुन कर तो आपके रोंगटे खड हो जायँगे ।*
अब हमारा यह मुख्य कर्तव्य है कि हम अपनी ब्रिटिश सरकारकी सहायता द्वारा संसारके समस्त देशोंमें भारतवासियोंको समान अधिकार प्राप्त करा लें और बेरोक-टोक प्रत्येक देशमें प्रवेश करनेका अधिकार भी प्राप्त कर लें । तब हमारे देशी भाई विदेशोंमें जाकर आनन्द-पूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हुए, भारतको कुछ धन भी विदेशोंसे भेजते रहेंगे। हमें अब यह अन्याय नहीं सहना चाहिए कि हमारा धन तो विदेशी आनन्द-पर्वक अपने देशोंको उड़ा ले जायें
और हम एक भी पैसा विदेशोंसे जब भारतवर्षको लावें तब उनका पेट दुखने लगे ! अब हमें समान अधिकार प्राप्त करनेकी चेष्टा निरन्तर करनी चाहिए और बार बार अपनी सरकारको इसके लिये याद दिलाते रहना चाहिए क्योंकि बिना रोए माता-पिता भी बालककी सुधि नहीं लेते।
___ * इस विषयमें विशेष परिचित होने के लिये हमारे यहाँसे "प्रवासी भारतवासी" नामक पस्तक मँगा कर अवश्य पढ़िए ।
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