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भारतमें दुर्भिक्ष।
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१९०७ १९०८
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१७८२ १९११ ,
५१७ १९१२ ,
१६५ , अब जबसे अमेरिकाकी सरकार भारतवासियों के विरुद्ध चर्चा कर रही है तबसे बहुतसे भारतीय अमेरिकाको घीकी मक्खीकी भांति छोड़ कर अपने देशको वापस आने लगे हैं। देखिए अमेरिकाको भारतवासियों द्वारा संगृहीत धन भारतको आता देख कर कैसा दुःख हुआ है। महाशय प्रोफेसर जैक और लौक अपनी “ The Immigration problem " ' प्रवासका प्रश्न ' नामक पुस्तकमें लिखते हैं
“Usually they (Indians ) have little money in their possession when they arrive and come with the expectation of accumulating a fortune of some 2000 dollars, then going back to their native land.........', __ अर्थात्-प्रायः भारतवासियोंके पास जब कि वे अमेरिकामें आते हैं, कुछ भी नहीं होता और वे लोग इसी आशासे यहाँ आते हैं कि हम यहाँसे सात आठ हजार रुपये इकडे करके अपने घर ले जायेंगे। इसी माति केली-फोर्नियाके कुछ अमरीकन लोगोंने कहा था कि
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