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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुछ और भी। अतिरिक्त खूब बचा लेते हैं। कारण वहँ। काम अधिक होनेसे मनु व्योंका मूल्य है और अच्छी मजदूरी मिलती है । भारतमें सैकड़ों हजारों आदमी रोजगार ढूँढने के निमित्त घर छोड़ कर महीनों परदेश घूमते रहते हैं तब भी पेट भरने योग्य भी नौकरी उन्हें कहीं नहीं मिलती ! अपनी अमेरिका-सम्बन्धी पुस्तकोंमें स्वामी सत्यदेव जीने लिखा है कि यहाँ पर विद्यार्थी दिन में एक घंटा भर काम करके अपना निर्वाह भली प्रकार करके कुछ बचा भी सकता है । स्वयं स्वामी सत्यदेवजीने ग्रीष्मावकाशमें इतना कमा लिया था कि महीनों तक उसके द्वारा वे अपना खर्च चलाते रहे थे। परन्तु भारतवर्षम रात-दिन जी-तोड़ परिश्रम करनेवाला मनुष्य भी मास में कमसे कम तीन चार बार एकादशीका उपवास करता है ! यहाँ भूखों मरते लोग अपने जीते-जी अपने प्राणाधिक प्रिय बालकोंको अपनेसे जुदा कर देते हैं । यहाँ एक बी० ए०, एम० ए० डिग्री-भारबाही उतना नहीं कमा सकता जितना अमेरिकाका एक कुली कमा लेता है। यहाके काम कराने वाले लोग मुफ्तमें ही काम करा लेना चाहते हैं। इसमें अग्रगण्य हमारी सरकारके कर्मचारी आदि ही हैं, क्योंकि वह बहुतसे दीन मनुष्योंको जबरदस्ती बेगारमें पकड़ लेते हैं और उनसे काम करा कर एक पैसा नहीं देते और यदि देते हैं तो केवल नाम मात्रको या हमारे आसू पोंछनेको । हम पूछते हैं, गरीबोंके साथ ऐसा अन्याय क्यों ? भूखों मरते भारतवासियों पर यह जुल्म क्यों ? पर कौन सुनता है । जहाँ गवर्नमेंटके कर्मचारी ही ऐसे निंद्य कार्य करें और देशके गरीबों और भूवोंको सतावें, वहाकी दुर्दशा और क्या होगी ! देखा गया है एक साधारण सरकारी कर्मचारी For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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