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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir wwwww १६४ भारतमै दुर्भिक्ष । तक इसका फैसला नहीं हो पाया । वहाँके रहनेवाले भारतीयोंके लिये सहयोग समितियों और बैंक चलाने की जो व्यवस्था की गई थी, उसके विरुद्ध मोरीशसके गोरोंका दल नियमित रूपसे आन्दोलन कर रहा है । सन् १९०९ ई० में जो कमीशन बैठा था उसने अपनी रिपोर्ट में लिखा है--" मोरीशसके छोटे छोटे हिन्दुस्तानी प्लाण्टरों पर ही मोरीशसका भविष्य विशेष रूपसे निर्भर है, इस लिये उनकी आर्थिक दशा सुधारने के लिये कोऑपरेटिव क्रेडिट बैंक खोले जाने चाहिए।" भारत-सरकारने कमीशनके इस प्रस्तावको मान कर जांच करने के लिये एक अँगरेज अफसरको मोरीशस भेजा था। उसने जाँच करने के बाद जो रिपोर्ट भेजी उसीके अनुसार सन् १९१३ ई० में इस द्वीपमें इन बैंकोंके स्थापित करनेका कार्य आरंभ किया गया । इस बात को देखते ही मोरीशसके धनाढ्य गोरे बहुत जलने लगे और उन्होंने एक दल बना कर अपने कारखानोंके पासके खेतोंमें उगनेवालो बेंतकी फसल पर अधिकार जमानेकी चेष्टा की । जुलाई सन् १९१४ ई० में इस द्वीपकी एक कोआपरेटिव क्रेडिट सोसायटी ( सहयोग-समिति ) ने इस दलसे अलग किसी दूसरे कारखानेसे बेंतकी फसलका ठेका कर लिया, जिससे इस दलवालोंके उद्देशकी सिद्धि न हो सकी। ऐसा होते ही सभी कारखानोंके गोरे मोरीससके सहयोग समिति-सम्बन्धी प्रस्तावोंके और उसकी प्रतिष्ठाके विरुद्ध प्रयत्न करने लगे। इसका परिणाम यह दुआ कि सहयोग-समितिके मेम्बरोंको अत्यंत हानि उठानी पड़ी। __ यद्यपि मोरीशसकी उन्नति वहाके भारतवासियों पर निर्भर है, तथापि मोरीशसके राजकार्य में उन्हें कुछ भी अधिकार नहीं दिया For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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