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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मोरीशस टापू। नहीं होती । हिन्दुस्तानकी जो तीन भाषाएँ मोरीशसमें प्रचलित हैं उनमें हिन्दी प्रधान है। तेमिल और तैलगू बोलनेवाले भी हिन्दी समझ सकते हैं । अत एव मोरीशस-सरकारका कर्तव्य है कि वह हिन्दुस्तानी लड़कोंको हिन्दीमें शिक्षा दिलवानेका प्रयत्न करे। ___ मोरीशसमें रहनेवाले हिन्दुओंको एक भारी दुःख यह है कि वे शास्त्रानुकूल अपने यहैं। अन्त्येष्टि संस्कार नहीं कर सकते अर्थात् मुर्दे नहीं जलाने पाते । सुना है कि इन मुद्दों द्वारा भी वहाँवाले शक्कर बनाने योग्य मसाला प्राप्त करते हैं । वे मुर्देको किसी यंत्रमें डाल कर उसका सत्व निकाल लेते हैं जो शक्कर बनाने के काममें आता ह । हम नहीं कह सकते कि यह बात जनताको घृणा उत्पन करनेके लिये गढ़ी गई है या कि सत्य है, ईश्वर ही जाने ! एक बार एक धनी हिन्दूने वहा बहुतसा रुपया व्यय करके एक मुर्दा जलाया था, परन्तु अन्य हिन्दुओंको ऐसा करनेका अधिकार नहीं । जो मुर्दा जलाता है उसे कठिन दंड दिया जाता है। ___ सबसे बड़ा कष्ट भारतीयोंको यह है कि उनकी आर्थिक उन्नतिमें अनेक बाधाएँ डाली जाती हैं । मोरीशसमें कारखानोंके मालिकोंका एक विशेष दल है । इन्हीं लोगोंका मोरीशसमें प्रभुत्व है । ये लोग भारतवासियोंकी बढ़ती देख कर जलते हैं और उनकी दशा सुधारनेके लिये जो यत्न किये जाते हैं, उन्हें निष्फल करनेकी चेष्टामें रातदिन लगे रहते हैं । मोरोशसमें भारतीयोंके साथ न्याय-युक्त व्यवहार होनेका प्रश्न बहुत दिनोंसे चल रहा है । सन् १८७२ ई. से जब कि वहाँके प्रवासी भारतीयोंकी दशाकी जाँच करने के लिये पहला कमीशन बैठा था, तभीसे यह प्रश्न चल रहा है, किंतु अभी For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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