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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तमाखू। muviummmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm इत्यादि तमाखू और शराब पीनेवालोंके साथ छायाकी तरह लगे रहते हैं । सैकड़ों वर्षोंके साहित्यके अनुभवके आधार पर उपर्युक्त बातें बताई गई हैं। और बहिनो ! तमाखू और शराब पीनेवाले मनुष्योंसे अलग रहो और यह निश्चय कर लो कि हम तमाखू और शराबसे वंचित रहनेवाले पुरुषसे ही विवाह करेंगी; और यदि ऐसा न हो सके " तो सारी आयु अविवाहिता रह कर जीवनके दिन काटो।" __डाक्टर आर० टी० ट्राल० एम० डी० कहते हैं कि " तमाखू सेवनसे जो चुस्ती प्रतीत होती है, वह अन्तमें जीवनको मिट्टी में मिलानेवाली होती है।" ___ तमाखू एक प्रकारका विष है, यह हम ऊपर बता चुके हैं । यह विष जब शरीर में प्रवेश करता है, तब इसको पसीनेके द्वारा बाहर निकालनेके लिये दिल और इसी प्रकार दूसरी इन्द्रिया प्रयत्न करती हैं, जिसे लोग हुक्केसे " चुस्ती आई " कहते हैं। इस प्रकार अधिक अधिक तमाखू सेवनसे इन्द्रियाँ थक कर अन्तको रोगी बन जाती हैं । तमाखूके सेवनसे तमाखू पीनेवालोंको जो चुस्ती बोध होती है, उससे भ्रममें नहीं पड़ना चाहिए । शेक्सपियर, बोकर और न्यूटन जैसे पण्डित लोगोंने अनन्त कष्ट उठा कर पुस्तके लिखी हैं । इनमें जो विद्या भर दी है, वह कोई तमाखू पीनेकी ही टेवसे नहीं लिखी गई है। शास्त्र भी तमाखूका घोर विरोध करता है । ईसाई धर्ममें तमाखका सेवन धर्म नहीं है। आठवें पोप आवन और नवें पोप अनफैण्टने तमाखूके विरुद्ध कठिन नियम बनाये हैं । इसी प्रकार तुर्कि For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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