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भारतमें दुर्भिक्ष ।
दिया । परंतु यह मादक पदार्थों को भारतसे दूर करनेका तरीका नहीं है, बल्कि निर्धन भारतके पैसेको इस बहानेसे छीन कर अपने कोषको भरना है । यदि गवर्नमेण्ट चाहे तो एक छिनमें भारतको इस सर्व नाशकारी नशेके चंगुल से छुड़ा सकती है। टैक्स बढ़ाने से भारतीय नशेसे कदापि विमुख नहीं हो सकते; क्योंकि नशेकी लत एक ऐसी बुरी लत है जो नशेका मूल्य अधिक करनेसे नहीं छूट सकती ! भारतको इंग्लैण्डका अनुकरण करना चाहिए कि युद्ध-समय में मदिरा के अहितकर एवं हानिप्रद सिद्ध होते ही एक दम उसका परित्याग कर दिया गया - यहाँ तक कि राजमहालों में मदिरा जैसे आसुरी पदार्थका प्रवेश तक निषेध कर दिया गया ! उधर यह हालत हैं, तो इधर भारत जैसे धार्मिक देशमें दिनों दिन नशा तरक्की कर रहा है !
जिन देशों में लड़कियाँ अपने इच्छानुसार पति पसन्द करती हैं, वहाँ उन्हें विख्यात डाक्टर काविन एम० डी० निम्न लिखित उपदेश देते हैं- " रोगके साथ विशेष सम्बन्ध रखनेवाली अथवा जिन्हें रोगका कारण कहा जाय ऐसी बहुतसी आदतें हानिकारक होती हैं, जैसे कि तमाखू और शराबकी देव । मेरी भोलीभाली बहिनो, उन युवा पुरुषोंसे जो इन दो वस्तुओंका व्यवहार करते हैं, सदा दूर रहने का मैं तुम्हें उपदेश देता हूँ । जो मनुष्य तमाखू सेवन करता होगा, वह बहुत ही बदहोश प्रतीत होगा । तमाखू के साथ ही शराबकी कुटेवका ऐसा गहरा सम्बन्ध है जैसा कि दिनका रात्रिके साथ । सुस्ती, रोगोंका होना, सदा बुरा हाल रहना, शोक, एकाएक मृत्युका होना, जिगर और फेफड़ोंकी बीमारीका होना
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