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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पशु-धन । अवस्थावाले बच्चे भारतमें सब देशोंसे अधिक मरते हैं। जिसका प्रधान कारण यही है कि भारतकी संतानवती स्त्रियोंको वह खाद्यपदार्थ कि जिनसे उनके स्तनोंमें नीरोग दूध बनता है, इतने कम मिलते हैं कि जिनके अभावसे उनके बच्चे जी ही नहीं सकते । ___ अब तो हमारे पाठक समझ गये होंगे कि भारतके दुर्भिक्षका ही नहीं बरन् सर्वनाशका प्रधान कारण गो वंशका नाश है । अत एव हमारो प्रजा-रक्षक गवर्नमेण्टको चाहिए कि गो-वध निवारणके वास्ते शीघ्र ही कोई उचित आईन बनानेका प्रबन्ध करे। यह एक प्रसिद्ध बात है कि मुगल-सम्राट अकबरने नरहरि कविसे निम्न पद्य सुन कर गो-वध बिलकुल ही बन्द करा दिया था। तो क्या हमारी ब्रिटिश गवर्नमेंट हमारी प्रार्थनाओं पर तनिक भी ध्यान न देगी? "तृण जो दन्त तर धरहिं तिनहिं मारत न सबल कोइ, हम नित प्रति तृण चरहिं बैन उच्चरहिं दीन होइ । हिन्दु हि मधुर न देहिं कटुक तुरकहिं न पियावहि, पय विशुद्ध अतिस्रवर्हि बच्छमहि थंभ न जावहिं ! सुन साह अकबर ! अरज यह कहत गऊ जोरे करन, सो कौन चूक मोहिं मारियत मुए चाम सेवहुँ चरन ।" वर्तमान कालमें गो-वध एकदम बन्द हो जाने की अत्यन्त आवश्यकता है। हिन्दू लोग पशुओंकी रक्षा करनेका पूर्ण प्रयत्न कर रहे हैं, उन्होंने बहुतेरे पिंजरापोल तथा गोशालाएँ खोल रखी हैं । अनुमानसे उनकी संख्या ६०० से कम न होगी, तथा उनका व्यय भी वर्ष भरमें १,००,००,०००) रु. होता है । परंतु ये यथा नियम For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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