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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पशु-धन । १०३ गोरक्षणी-सभाके सभापति आनरबल सुखवीरसिंहजीने अपने व्याख्यानमें प्रकाशित किया था। उन्होंने कहा था कि सन् १९१२ में उक्त व्यापारके वास्ते मौजा गालपुर, तहसील अनूपशहर, जिला बुलन्दशहरमें २०००, अलीगढ में ३९५१०, सिकन्दराराऊमें ७०८९, सादाबादमें १६८०, मथुरामें १७५०, झुरुआनाला इतमादपुर ( आगरा ) में २६५४०, फीरोजाबादमें ६००, इतमादपुरमें १४०, खन्दौली तहसील इतमादपुरमें ४५, फटाधरती (आगरा) में ४०५५, शजवालपुर (तहसील अलीगंज ) में ५००, बरेलीमें १३१७२, फरीदपुर में ५००, ग्राम शहबाज नगरमें ५८००, जहानगंज रसूलपुरमें २५००, सती चौरी (ग्राम) में २३००, संभलमें ७५८, भोजपुर ( ग्राम ) में २०००, अमरोहामें १६८०, फतहपुरमें ३००, कसबा कमालपुरमें २५०, जहानाबादमें ६०, ऐरानमें ५००, कौंचा भँवरमें १०१९२, ललितपुरमें ७६६३, कौचमें ४३५३, पनवाड़ी ( ग्राम ) में ८००, राठमें ८९९, मौदहामें २०३२, महोबामें ४०७७, हुसेनपुरमें ४९३ और आजमगढमें ६० पशुओंका वध हुआ था। यह हिसाब केवल उस मांस-व्यापारका है जो वर्माको भारतवर्षके एक प्रान्तसे भेजा जाता है । यदि सब प्रान्तोंका हिसाब जोड़ा जाय तो न मालूम कितना हो ! अब यह भी विचारना चाहिए कि इस पशु-संहारसे भारतको कितनी हानि पहुँच चुकी है ? पाठकवर्ग ! अकबरके समयका अन्नका भाव तो आप पीछे पढ़ ही आये हैं, उसमें हमने दूधका भाव नहीं बतलाया है। अब हम अलाउद्दीन खिलजीके शासन-कालका, अर्थात् सन् १३०४ ई० में दूधका For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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