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भारतमें दुर्भिक्ष।
आर्थि कदशा।
राई माण्डेगू साहब ' लण्डन टाइम्स' नामक समाचार पत्रमें पालिखते हैं कि हिन्दुस्थानके राजनैतिक सुधारोंके पूर्व आर्थिक सुधार होने चाहिए
“ The economic development of India was more important than the alternation of the machinery of Government."
" अर्थात्-भारतीय राजनीतिमें हेरफेर करने की अपेक्षा हिन्दु. स्थानकी आर्थिक अवस्था सुधारनेकी अधिक आवश्यकता है।" - हिन्दुस्थानके आर्थिक साधन बढ़ानेके ३-४ तरीके हैं। खेतीकी उन्नति होनी चाहिए । व्यापारकी उन्नति होनी चाहिए । वैज्ञानिक और औद्योगिक शिक्षा बढ़ानी चाहिए । वैज्ञानिक और औद्योगिक शिक्षा बढ़ानेसे भारतवासियोंकी बुद्धिमें बृद्धि होगी। परन्तु उसके लिये मौका तो चाहिए ? अब मांटेग साहब कहते हैं कि खेती और व्यापारकी उन्नति होनेसे भारत की आर्थिक उन्नति होगी। क्या यह बात ठीक है ? हाँ है जरूर, बात उचित तो है, परन्तु आधी। क्योंकि जब तक खेती और व्यापार पूर्ण-रूपसे हिन्दुस्थानी लोगोंके अधीन नहीं हैं तब तक खेती और व्यापारकी उन्नति होनेसे हिन्दुस्थानके लोगोंको कुछ भी फायदा नहीं है। भाज कल बम्बई सरीखे शहरोंमें जो व्यापार बढ़ा हुआ दृष्टि आता है वह विदेशी लोगोंका व्यापार है । कपड़ेके व्यापारमें हिदुस्थानी लोग मेंचेस्टरवाले व्यापारी लोगोंका सामना नहीं कर सकते। क्योंकि मेंचेस्टरवाले व्यापारी लोगोंके माल
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