________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उद्योग-धन्धे ।
प्रांतीय दो प्रकारके औद्योगिक विभाग खोले जायँ । भारतीय औद्योगिक बोर्ड वायसरायकी कार्यकारिणी कौंसिलके एक मेंबरकी मातहतीमें रहेगा, और उसमें तीन अन्य उत्तरदायित्व पूर्ण सज्जन रहेंगे। एक इम्पीरियल इण्डस्ट्रियल सर्विस खोली जायगी। बोर्ड देशी उद्योग-धन्धोंकी उन्नतिका काम सोचा और किया करेगा। प्रान्तिक बोडों पर कार्यके विस्तारका भार रहेगा। प्रान्तिक काममें बहुतसे विशेषज्ञ और यंत्र-सम्बन्धी काम जाननेवाले आदमी रहेंगे। भारतीय औद्योगिक डिपार्टमेण्ट देहलीमें खोला जायगा। प्रांतिक विभाग औद्योगिक डाइरेक्टरके ताल्लुक रहेगा । प्रांतिक बोर्ड में अधिकांश गैर-सरकारी आदमी ही रहेंगे। बोर्डके विशेषज्ञ इण्डस्ट्रियल सर्विसके ही नौकर होंगे । इस प्रकार डाइरेक्टर प्रांतिक सरकारका सेक्रेटरी भी हो जायगा।
कार्य-विभाजनके प्रथम अध्यायमें भारतीय औद्योगिक स्थितिका वर्णन करते हए कहा गया है कि इस देशके निवासी अब भी प्राचीन प्रणालीके अनुसार खेती करते हैं, इसी कारण उन्हें भर पेट अन्न तक भी नहीं मिलता। पश्चिमी ढंग पर अब भी उद्योग-धन्धोंका प्रचार बहुत कम हो पाया है। दूसरे भारतीय मजदूरोंको कुछ भी ज्ञान नहीं होता। जंगल तथा मछलीके उद्योग-धन्धोंसे अच्छी आमदनी हो सकती है, पर यहाँके लोग व्यापारमें तो रुपये लगा सकते हैं, लेकिन कला-कौशलकी उन्नतिमें अपने रुपये फँसाते हुए डरते हैं । युद्धके पूर्व लोग बाहरसे आनेवाले माल पर ही अवलम्बित रहते थे, सरकार भी इन्हें इसी ओर मदद देती थी। इस देशमें सभी प्रकारके कच्चे माल उपजते हैं, पर न तो लड़ाईके समयमें हो और न शान्तिके समय ही यह देश अपनी आवश्यक वस्तुओंके बनाने में समर्थ हुआ । कपड़े बुननेका काम यहाँ बड़े जोरशोरसे चल सकता
For Private And Personal Use Only