SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भारतमें दुर्भिक्ष । बातोंके सम्बन्धमें इस देशके लोगोंको बिलकुल ज्ञान नहीं है । इस विषयकी जानकारी जहाँ तहाँ फैला कर देशकी औद्योगिक परिस्थितिका अवलोकन करना अत्यन्त आवश्यकीय काम है।" सन् १९१६ ई० के अक्टूबर मासमें देशी उद्योग-धन्धोंकी उन्नति एवं सरकारके कर्तव्य पर विचार करनेके लिये एक भारतीय औद्योगिक कमीशन नियुक्त हुआ था। उसने डेढ वर्ष तक देशभरमें घूम-फिर कर विशेषज्ञों तथा व्यापारिक एवं कला-कौशल-सम्बन्धी सभा-संस्थाओंकी गवाहिया ली। उक्त कमीशनके सभापति सर टामस हालैंड, मिस्टर फ्रांसिस स्टुआर्ट और डा• हैपकेंसन आदि यूरोपियन तथा मा० मालवीयजी, सर फजलभाई करीमभाई, सर दोराबजी ताता और सर राजेन्द्रनाथ मुकुर्जी भारतीय मेम्बर थे। उक्त कमीशनकी रिपोर्ट ४८३ पृष्ठोंमें प्रकाशित हुई है। मालवीयजी कमीशनकी बहुतसी बातोंके विरुद्ध हैं। उन्होंने ५५ पृष्ठोंमें अपनी बातें अलग लिखी हैं। __कमीशनन अपनी रिपोर्ट में दो बातें कही हैं। पहली बात तो यह है कि सरकारको भविष्यमें भारतीय उद्योग-धन्धोंके सम्बन्धमें जन और सम्पत्तिकी दृष्टिसे निश्चय ही तत्परता-पूर्वक ऐसा काम करना चाहिए, जिससे भारत इन मामलों में स्वावलम्बी रहे । दूसरी बात यह है कि सरकारके लिये ऐसा करना तब तक असंभव है जब तक कि उसे कुछ अधिक अधिकार और विश्वसनीय वैज्ञानिक एवं कला-कौशल-सम्बन्धी परामर्श नहीं मिलते। __ उपर्युक्त बातोंके सम्बन्धमें क्या क्या अधिकार सरकारके हाथमें रहने चाहिए, और फिर औद्योगिक उन्नतिमें उसके द्वारा क्या क्या होना चाहिए, इस विषयमें कमीशनका कहना है कि भारतीय और For Private And Personal Use Only
SR No.020121
Book TitleBharat me Durbhiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshdatta Sharma
PublisherGandhi Hindi Pustak Bhandar
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy