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भारतमें दुर्भिक्ष |
है, पर यहाँवाले बाहिरी मशीनोंका आसरा ताकते हैं । यदि समुद्री आवागमन रुक जाय तो लोग हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहें । अतः अब सरकार ऐसा प्रबन्ध करे कि कठिनसे कठिन समय में भी यहाँ सब प्रकारकी आवश्यक वस्तुएँ बन सकें । कमीशन वैज्ञानिक ढंग से खेती करानेके पक्षमें हैं, जिससे दूसरे कामोंके लिये मजदूर बहुतायत से प्राप्त हो सकें। इससे कारखानोंकी वृद्धि होगी और मशीनें बनानेके कारखाने के कारखाने भी खुल सकेंगे । कोयले और तेल कम खर्च की ओर ध्यान खींचते हुए कमीशनका कहना है कि ईंधन में किफायत करके जल-कल द्वारा बिजली आदि से मेशीaa चलाने की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए ।
दूसरे अध्याय में कहा गया है कि भारतीय कारीगरोंकी योग्यताके बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए। इस अयोग्यता के तीन मुख्य कारण कारण हैं । ( १ ) शिक्षाका अभाव, (२) गरीबीका दुःख और ( ३ ) रोग आदिकी अधिकता । कमीशनकी राय है कि स्वयं सरकार या स्थानिक अधिकारी इन लोगोंको प्राथमिक शिक्षा दें, न कि मजदूर रखनेवाले ऐसा करें | साथ ही शिल्प शिक्षा के प्रचारकी अत्यन्त आवश्यकता है । सुखमय जीवन बितानेके लिये कमीशन चाहता है कि इन लोगोंको अच्छे घर दिये जायें। इसके लिये स्वयं सरकार कल-कारखानेवालोंको भाड़े पर अच्छी भूमि दिया करे । बम्बईवालोको और भी अधिक सहायता दी जाय। कमीशन की राय में यहाँ की शिक्षा प्रणाली नितान्त अव्यावहारिक है । इसे बिलकुल बदल देना I उचित है | यंत्र-सम्बन्धी कार्यों में ऊँचे पदों पर काम कर सकने के लिये, कारखानोंमें उम्मेदवार लोग काम सीख कर, पढ़-लिख कर कुछ बातोंका अध्ययन करें। साथ ही व्यापारिक और कला-कौशल - सम्बन्धी शिक्षाका सरकार विशेष प्रबन्ध करे । इसका जिम्मा
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