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भारतके प्राचीन राजवंश
निवेदन किया कि महाराज, प्राचीन पुस्तकोंमें भविष्यवाणी लिखी है कि यह देश तुर्कोंके अधिकारमें चला जायगा । तथा, अनुमानसे भी प्रतीत होता है कि वह समय अब निकट है; क्योंकि बिहार पर उनका आधिकार हो चुका है। सम्भवतः अगले वर्ष इस राज्य पर भी धावा होगा । अतएव उचित है कि इनके दुःखसे बचनेके लिए अन्य लोग सहित आप कहीं अन्यत्र चले जाएँ। __ इस पर राजाने पूछा कि क्या उन पुस्तकोंमें उस पुरुषके कुछ लक्षण भी लिखे हैं जो इस देशको विजय करेगा ? विद्वानोंने उत्तर दियाहाँ, वह पुरुष आजानुबाहु ( खड़ा होने पर जिसकी उँगलियाँ घुटनों तक पहुँचती हों) होगा । यह सुन कर राजाने अपने गुप्तचरों द्वारा मालूम करवाया तो बख्तियार खिलजीको वैसा ही पाया । इस पर बहुतसे ब्राह्मण आदि उस देशको छोड़ कर सङ्कनात ( जगन्नाथ ).. बड़ ( पूर्वी बङ्गाल ), और कामरूद (कामरूप-आसाम ) की तरफ़ चले गये। तथापि राजाने देश छोड़ना उचित न समझा। ___ इस घटनाके दूसरे वर्ष मुहम्मद बख्तियार खिलजीने बिहारसे ससैन्य कूच किया और ८० सवारों सहित आगे बढ़ कर अचानक नदियाकी तरफ़ धावा किया। परन्तु नदिया शहरमें पहुँच कर उसने किसीसे कुछछेड़-छाड़ न की । सीधा राज-महलकी तरफ़ चला । इससे लोगोंने उसे घोड़ोंका व्यापारी समझा। जब वह राज-महलके पास पहुंच गया तक उसने एकदम हमला किया और बहुतसे लोगोंको, जो उसके सामने आये, मार गिराया।
राजा उस समय भोजन कर रहा था। वह इस गोलमालको सुनकर महलके पिछले रास्तेसे नङ्गे पैर निकल भागा और सीधा सङ्कनात (जगन्नाथ ) की तरफ चला गया। वहीं पर उसकी मृत्यु हुई । इधर राजाके भागते ही बख्तियारकी बाकी फौज भी वहाँ आ पहुंची और
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